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गबरघिचोर नाटक देखने के लिए उमड़ी भीड़

राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव. द फैक्ट रंगमंडल की ओर से आयोजित आयोजित किया जा रहा कार्यक्रम दिनकर भवन में चल रहा है नाट्य महोत्सव बेगूसराय : दिनकर कला भवन में द फैक्ट रंगमंडल के द्वारा आयोजित छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-ए माहौल के छठे दिन भिखारी ठाकुर की कृति गबरघिचोर नाटक का मंचन कलाकारों के द्वारा […]

राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव. द फैक्ट रंगमंडल की ओर से आयोजित आयोजित किया जा रहा कार्यक्रम

दिनकर भवन में चल रहा है नाट्य महोत्सव
बेगूसराय : दिनकर कला भवन में द फैक्ट रंगमंडल के द्वारा आयोजित छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-ए माहौल के छठे दिन भिखारी ठाकुर की कृति गबरघिचोर नाटक का मंचन कलाकारों के द्वारा किया गया. नाटक को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. चर्चित युवा नाट्य निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन द्वारा निर्देशित नाटक गबरघिचोर ने अपनी कलात्मक एवं रचनात्मकता के साथ स्त्री के आंतरिक जीवन की सभी पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर नयी रंग भाषा बनाने में कामयाब रहा. समाज में हमेशा कठघरे में स्त्री ही रही है. प्रवीण गुंजन स्त्री की संवेदनाओं को नजदीक से समझा और उसे नाटक के माध्यम से सजीव रूप में चित्रण किया गया.
नाटक की कथा ग्रामीण परिवार की है. गबरघिचोर अब 15 वर्ष का हो गया है. गलीज उसका पिता है. जो बाहर प्रदेश में रहता है. परदेशियों से पता चलने पर गांव आता है और गबरघिचोर को अपने साथ ले जाना चाहता है ताकि अधिक पैसा कमाया जा सके. किंतु एक दूसरा व्यक्ति गड़बड़ी है. जो दावा करता है कि असली बाप मैं हूं. दो बाप व एक मां के बीच मामला उलझ जाता है. ऐसे में पंच को बुलाया जाता है. पंच तीनों की दलीलें सुनता है और पक्ष सुनने के बाद कभी गलीज को कभी गड़बड़ी को तो कभी गलीज को पुत्र का अधिकार बताता है. यहां तक कि दोनों बाप पैसा देकर निर्णय अपने पक्ष में करने की गुहार लगाता है. अंत में पंच अविवेक पूर्ण निर्णय करता है और तीनों को बराबर हिस्से में बांटकर तीन टुकड़ा कर बांटने का आदेश दे देता है. किंतु मां की ममता पंच को सही निर्णय लेने को बाध्य कर देती है. मां ने गुहार लगायी कि जिंदा ही दोनों में किसी एक को दें ताकि पुत्र जिंदा रहे. तब पंच की संवेदना जागृत होती है और मां को उसका पुत्र सौंप देता है. अभिनेताओं ने सशक्त अभिनय से कथा को आत्मसात कराया. गलीज बो की भूमिका में खुशबू कुमारी ने अमिट छाप छोड़ी. वहीं पंच अवध ठाकुर,गलीज चंदन कुमार वत्स, गबरघिचोर चंदन कुमार, गड़बड़ी लालबाबू कुमार ने अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ा. वहीं मंच पर देवानंद सिंह, संतोष कुमार राही,संदीप कुमार ने सराहनीय भूमिका अदा की. संगीत दीपक कुमार व सुबोध कुमार का था. संगीत सटेमेंट पर दीपक कुमार, संतोष कुमार राही,कामाख्या नारायण,अमरेश कुमार, रविकांत थे. प्रकाश परिकल्पना चिंटू कुमार का था. इससे पूर्व नाटक का उद्घाटन देश के चर्चित अभिनेता निदेशक आलोक चटर्जी, फिल्म व थियेटर के चर्चित अभिनेता आशीष विद्यार्थी,देश की चर्चित निर्देशिका नादिरा बब्बर, नगर विधायक अमिता भूषण ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर आईएमए के अध्यक्ष डॉ एस पंडित,नाटककार ऋषिकेश सुलभ, पूर्व मेयर संजय सिंह,फेस्टिवल डायरेक्टर प्रवीण कुमार गुंजन समेत अन्य अतिथि उपस्थित थे.

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