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पाँच दिनों के लिए झारखंड जा रहे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एजेंडे में क्या है?

<figure> <img alt="राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत" src="https://c.files.bbci.co.uk/E155/production/_110958675_mohanbhagwat.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत</figcaption> </figure><p>राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत 19 फ़रवरी की शाम पाँच दिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंच रहे हैं. यहां उन्हें बिहार और झारखंड के प्रमुख स्वयंसेवकों […]

<figure> <img alt="राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत" src="https://c.files.bbci.co.uk/E155/production/_110958675_mohanbhagwat.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत</figcaption> </figure><p>राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत 19 फ़रवरी की शाम पाँच दिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंच रहे हैं. यहां उन्हें बिहार और झारखंड के प्रमुख स्वयंसेवकों के साथ कई बैठकें करनी हैं. इस दौरान वह देवघर भी जाएंगे. उनके सार्वजनिक और इनडोर दोनों तरह के कार्यक्रम होने हैं. रांची में कल उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम होगा. इसमें उनका संबोधन होना है.</p><p>आरएसएस के प्रांत सहकार्यवाह राकेश लाल ने बीबीसी को यह जानकारी दी.</p><p>उन्होंने बीबीसी से कहा, &quot;यह अचानक से आयोजित कार्यक्रम नहीं है. हर दो साल में या तो सरसंघचालक (प्रमुख) या सह सरसंघ चालक जी का प्रांतों में आना होता है. डॉ. मोहन भागवत जी का झारखंड दौरा भी इसी के तहत हो रहा है. इस दौरान रांची के डॉ. रामदयाल मुंडा फुटबाल मैदान में गुरुवार की सुबह वह सार्वजनिक कार्यक्रम में अपना संबोधन देंगे. इसमें बिहार (उत्तर और दक्षिण) और झारखंड के प्रांत स्तरीय स्वयंसेवकों को बुलाया गया है. यह खुला सत्र होगा. इसमें क़रीब डेढ़ हज़ार स्वयंसेवकों की मौजूदगी रहेगी. कुछ आमंत्रित लोग भी होंगे. लोगों को उनके संबोधन का इंतज़ार है.&quot;</p><figure> <img alt="भागवत के दौरे की जानकारी देते समय राकेश लाल (बीच में)" src="https://c.files.bbci.co.uk/106C1/production/_110956276_rakesh-lal-inblackbandi-while-addressing-the-press-confrence-in-ranchi-today.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>भागवत के दौरे की जानकारी देते समय राकेश लाल (बीच में)</figcaption> </figure><p>राकेश लाल ने यह भी कहा, &quot;इसके अलावा कुछ इनडोर बैठकें होनी हैं. इनमें तीनों प्रांतों (बिहार के दो और झारखंड) के कार्यकर्ता प्रांत स्तरीय गतिविधियों की जानकारी देंगे. इस दौरान संघ की सभी छह गतिविधियों की समीक्षा के बाद भविष्य के कार्यक्रम तय किए जाएंगे. 23 फ़रवरी की शाम वह रांची से देवघर चले जाएंगे, जहां उन्हें ठाकुर अनुकूल चंद्र जी के पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेना है.&quot;</p><h1>क्या हैं संघ की छह गतिविधियां</h1><p>बकौल राकेश लाल, &quot;आरएसएस की छह गतिविधियों में सामाजिक समरसता, धर्म जागरण, ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण व जल संरक्षण और गो-संवर्धन जैसे दायित्व शामिल हैं. संघप्रमुख अलग-अलग बैठकों में इन्हीं गतिविधियों की समीक्षा करके अपना मार्गदर्शन देंगे.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51442819?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी विरोधियों पर RSS के बयान के क्या हैं मायने?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51438952?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी का विरोध हिंदुओं का विरोध नहीं है: संघ</a></li> </ul><h1>सुरक्षा के प्रबंध</h1><p>संघ की झारखंड इकाई ने उनके कार्यक्रम के मद्देनज़र व्यापक तैयारियां की हैं. उनके कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बिहार और झारखंड के अलग-अलग ज़िलों से स्वयंसेवकों का रांची आना शुरू हो चुका है. इधर, ज़िला प्रशासन ने भी उनकी सुरक्षा के चौकस प्रबंध किए हैं.</p><figure> <img alt="रांची के पिछले दौरे पर झंडारोहण करते डॉ. मोहन भागवत" src="https://c.files.bbci.co.uk/179AD/production/_110958669_mohan-bhagwat-when-he-hoisted-tricolour-in-ranchi.jpg" height="960" width="640" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>रांची के पिछले दौरे पर झंडारोहण करते डॉ. मोहन भागवत</figcaption> </figure><p><strong>कितना </strong><strong>ख़ास </strong><strong>है यह दौरा</strong></p><p>हाल के वर्षों में यह पहला मौक़ा है, जब आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत लगातार पाँच दिनों तक झारखंड में रहेंगे. पिछले साल वह कई दफ़ा यहां आए, लेकिन इतना लंबा प्रवास नहीं किया. झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शिकस्त के बाद उनका यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.</p><p>रांची में गुरुवार को होने वाले उनके सार्वजनिक संबोधन पर भी लोगों की निगाहें हैं. संभव है कि वह इस दौरान देश-दुनिया की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी बोलें. इनमें एनआरसी और एनपीआर जैसी बातें भी हो सकती हैं.</p><p>संघ को लंबे समय से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार दिव्यांशु कुमार मानते हैं कि मोहन भागवत के प्रवास के अपने निहितार्थ हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस हमेशा से संवाद और संपर्क में यक़ीन रखने वाला संगठन रहा है. अब अगर संघप्रमुख लंबे वक्त तक रहेंगे, तो ज़ाहिर है कि स्वयंसेवकों से उनका लंबा संवाद होगा. इससे वे बातें भी पता चलेंगी, जिनके कारण झारखंड में बीजेपी की हार हुई.</p><p>दिव्यांशु ने बीबीसी से कहा, &quot;झारखंड समेत सभी आदिवासी इलाक़ों में आरएसएस 40-50 बरसों से लगातार काम कर रहा है. सेवा भारती, एकल विद्यालय जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए संघ ने आदिवासियों में अच्छी पैठ बनाई थी. इसके बावजूद हाल के वर्षों में आदिवासी संघ के कार्यक्रमों से दूर हुए हैं. संघ प्रमुख के प्रवास को इससे भी जोड़कर देखा जाना चाहिए. झारखंड में चल रही पत्थलगड़ी, चर्च की सक्रियता, धर्मांतरण जैसे मसलों पर संघ की स्पष्ट राय रही है. मुझे लगता है कि मोहन भागवत के प्रवास के दौरान इन मुद्दों पर भी वृहद बातचीत होगी.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51151874?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">संघ का ‘दो बच्चों वाला प्लान’ कितना काम करेगा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51114825?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अब ईसा मसीह की मूर्ति के ख़िलाफ़ खड़ा हुआ संघ परिवार</a></li> </ul><figure> <img alt="ठाकुर अनुकुल चंद के आश्रम में मोहन भागवत (फाइल फोटो)" src="https://c.files.bbci.co.uk/4515/production/_110958671_mohan-bhagwat-in-deoghar’s-thakur-anukul-chand-ashram-file-photo.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>ठाकुर अनुकुल चंद के आश्रम में मोहन भागवत (फाइल फोटो)</figcaption> </figure><h1>पॉलिटिकल एजेंडा है यह प्रवास</h1><p>हालांकि, प्रभात ख़बर के रांची स्थित स्थानीय संपादक संजय मिश्र मानते हैं कि संघ प्रमुख के दौरे के पीछे मुख्य कारण राजनीतिक हैं.</p><p>उन्होंने बीबीसी से कहा, &quot;डॉ. मोहन भागवत देवघर में ठाकुर अनुकुल चंद जी के आश्रम जाएंगे. बिहार और बंगाल में ठाकुर जी के लाखों अनुयायी हैं. दरअसल, उनका मूल उद्देश्य बिहार और पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों में वोटरों को बीजेपी के पक्ष में गोलबंद करना है. बिहार और झारखंड के प्रमुख स्वयंसेवकों के साथ होने वाली बैठकों में भी वह उन मुद्दों को तलाशने की कोशिश करेंगे, जिनसे चुनावों के दौरान बीजेपी को फायदा पहुंचाया जा सके. इसलिए उनके प्रवास को सिर्फ़ संघ की आंतरिक बैठकों तक ही सीमित करके देखना उचित नहीं होगा. इसके सियासी प्रयोजन भी हैं.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48120898?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या आरएसएस के प्रभाव से बीजेपी जीतती है चुनाव?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48313218?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरएसएस ने महात्मा गांधी को दिल से स्वीकार किया है?</a></li> </ul><figure> <img alt="रामरेखा धाम में मोहन भागवत (फाइल फोटो)" src="https://c.files.bbci.co.uk/9335/production/_110958673_mohan-bhagwat-in-jharkhand’s-ramrekha-dham-file-photo.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>रामरेखा धाम में मोहन भागवत (फाइल फोटो)</figcaption> </figure><h1>झारखंड के मुद्दे और संघ की भूमिका</h1><p>झारखंड के आदिवासियों में संघप्रमुख के उस बयान को लेकर नाराज़गी रही है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर आदिवासी समाज को वृहद हिंदू धर्म का हिस्सा बताया था. इसके बाद रांची में उनके पुतले भी फूंके गए थे. झारखंड के आदिवासी ‘सरना धर्म कोड’ लागू करने की मांग करते रहे हैं. पिछली जनगणना में यहां के अधिकतर आदिवासियों ने धर्म के कॉलम में ‘अन्य’ लिखा था, क्योंकि सरना के लिए अलग से कोई कॉलम नहीं था. अब वे आगामी जनगणना से पहले ‘सरना धर्म कोड’ लागू करने की मांग कर रहे हैं.</p><p>इसके अलावा लोगों ने झारखंड में पिछली बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुईं मॉब लिंचिंग की घटनाओं, पत्थलगड़ी समर्थकों पर देशद्रोह के मुक़दमों और चर्च के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी जैसे कई मसलों पर संघ के ख़िलाफ़ आंदोलन किए हैं. मॉब लिंचिंग के कुछ मामलों में तो विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी और बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं को सज़ा भी सुनाई जा चुकी है.</p><p>ऐसे में संघ प्रमुख का यह दौरा कई मायनों में खास हो चुका है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संघप्रमुख अपने सार्वजनिक संबोधन में किन मुद्दों की चर्चा करते हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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