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क्या है पुलिस का प्रदर्शनकारियों से कंबल छीनने का विधिक तरीक़ा?

<figure> <img alt="लखनऊ घंटाघर" src="https://c.files.bbci.co.uk/379D/production/_110573241_lucknow1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लखनऊ के घंटाघर में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही महिलाओं से कंबल और खाने-पीने के सामान कथित तौर पर छीन लेने के मामले में लखनऊ पुलिस ने स्पष्टीकरण दिया कि उसने यह काम विधिक तरीक़े से किया. ये सामान रात में ठंड से बचने के […]

<figure> <img alt="लखनऊ घंटाघर" src="https://c.files.bbci.co.uk/379D/production/_110573241_lucknow1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लखनऊ के घंटाघर में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही महिलाओं से कंबल और खाने-पीने के सामान कथित तौर पर छीन लेने के मामले में लखनऊ पुलिस ने स्पष्टीकरण दिया कि उसने यह काम विधिक तरीक़े से किया. ये सामान रात में ठंड से बचने के लिए वहां मौजूद महिलाओं में वितरित करने के लिए लाए गए थे.</p><p>सवाल उठ रहे हैं कि ठंड के मौसम में किसी से कंबल जैसे सामान छीन लेना या फिर उन्हें बांटने से रोकना किस तरीक़े से विधिक हो सकता है. हालांकि लखनऊ पुलिस ने इस बारे में रविवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि ये सामान कुछ बाहरी लोग वितरित कर रहे थे और सामान पाने वाले वो लोग थे जिनका धरना-प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था.</p><p>लेकिन वहां से मिले वीडियो फ़ुटेज इससे कुछ अलग कहानी कहते हैं. साथ ही वहां मौजूद लोगों के मुताबिक, खुले आसमान के नीचे भीषण ठंड में प्रदर्शनकारी बैठे थे जिनके लिए वहां मौजूद कुछ लोगों ने खाने-पीने का सामान और कंबल लाकर बांटने का ज़िम्मा उठाया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस ने अचानक कंबल के पैकेट्स और दूसरी चीजों को वहां से हटाना शुरू कर दिया. बाद में सोशल मीडिया पर लखनऊ पुलिस की इस कार्यशैली की काफ़ी आलोचना हुई तो पुलिस ने इस बारे में वक्तव्य जारी कर कहा कि सारी कार्रवाई विधिक तरीक़े से हुई.</p><p>लखनऊ के पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय बीबीसी से बातचीत में इस विधिक तरीक़े को स्पष्ट करते हुए कहते हैं, &quot;वहां से जो भी चीजें उठाई गईं उनका पुलिस के पास लिखित विवरण है, वो वस्तुएं पुलिस स्टेशन में लाकर रखी गई हैं, इसका भी लिखित विवरण है. विधिक तरीक़े का यही मतलब है कि जो भी चीज़ ज़ब्त की गई वो पूरी तरह से नियमानुसार की गई और उसका पूरा विवरण लिखित तौर पर पुलिस के पास है.&quot;</p><figure> <img alt="लखनऊ घंटाघर" src="https://c.files.bbci.co.uk/11CA3/production/_110576827_06308866-2bdd-47c1-bcc9-2795fba3bb15.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लखनऊ के घंटाघर पर महिलाओं का पिछले चार दिन से नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ धरना और प्रदर्शन चल रहा है. महिलाएं अपने हाथों में तख़्तियां लेकर बैठी हैं. शनिवार को कुछ लोग वहां कंबलों के पैकेट और कुछ अन्य वस्तुएं लेकर आए और प्रदर्शनकारियों के बीच बांटने लगे. तभी अचानक पुलिस वालों ने ऐसा करने से मना किया और कंबल ज़ब्त कर लिए गए. अगले दिन प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं के पास से खाने-पीने के सामान सहित कंबल को भी ज़ब्त कर लिया है.</p><p>प्रदर्शन स्थल पर मौजूद एक महिला सुमैया राणा बताती हैं, &quot;पुलिस वाले कंबल और दूसरे सामान लेकर भागने लगे तो हम लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया. बिल्कुल चोरों की तरह लेकर भाग रहे थे. न तो किसी से पूछा और न ही किसी को कंबल बांटने से मना किया. सीधे मौक़ा देखकर कंबल के बंडल लेकर भागने लगे. ये कंबल तमाम उन महिलाओं के लिए लाए गए थे जो रात-रात भर खुले आसमान के नीचे बैठी हैं. कई महिलाओं के साथ बच्चे भी हैं, बुज़ुर्ग महिलाएं भी हैं. किसी तरह का शेड डालने से पहले ही रोका गया है. हम लोग वहां आग जलाने की कोशिश करते हैं तो आग में पुलिस वाले पानी डाल देते हैं.&quot;</p><figure> <img alt="लखनऊ पुलिस" src="https://c.files.bbci.co.uk/16AC3/production/_110576829_b5abf10e-dee8-4f67-a1ea-439c90cf3cc4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लेकिन पुलिस वालों का दावा है कि उन्होंने ये कार्रवाई क़ानून और व्यवस्था की दृष्टि से की क्योंकि वहां बांटने वाले दूसरे लोग थे और कंबल लेने के लिए वो लोग आ रहे थे जो प्रदर्शन में शामिल नहीं थे. घंटाघर पर अभी भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं. प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का आरोप है कि पुलिस आंदोलन को रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है.</p><p>प्रदर्शनकारियों से कंबल छीन ले जाने को पुलिस भले ही विधिक कार्रवाई बता रही हो लेकिन जानकारों का कहना है कि ये पूरी तरह से ग़ैर-क़ानूनी है. सामाजिक कार्यकर्ता और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी एसआर दारापुरी कहते हैं, &quot;यह क़तई विधिक तरीक़ा नहीं है. यदि धारा 144 का उल्लंघन हो रहा है तो आप उन्हें हटाइए और उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज करिए लेकिन क़ानून ये अधिकार किसी को नहीं देता है कि ठंड में कोई कंबल बांट रहा है तो पुलिस उसे छीन ले या ज़ब्त कर ले. ये तो अपनी ताक़त का बेजा इस्तेमाल करना है. ये सीधे तौर पर न सिर्फ़ क़ानून का उल्लंघन है बल्कि अत्याचार भी है.&quot;</p><figure> <img alt="लखनऊ पुलिस का बयान" src="https://c.files.bbci.co.uk/85BD/production/_110573243_lucknow-police-clarification_011920011714.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>दारापुरी का कहना है कि ये कंबल बांटने वाले के ऊपर है कि वह किसे देता है और किसे नहीं क्योंकि यह कोई सरकारी वितरण तो था नहीं. दारापुरी सवाल भी उठाते हैं कि पुलिस ने जो कंबल या सामान उठाए थे वो कहां गया और किसे बांटा गया. हालांकि इस बारे में पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय ने बताया कि ज़ब्त किए गए कंबल पुलिस थाने में रखे गए हैं.</p><p>चौक इलाक़े की रहने वाली पैंसठ वर्षीय रुख़साना पिछल तीन दिन से प्रदर्शन स्थल पर लगातार बैठी हुई हैं. उनका कहना है, &quot;हम ग़ैर क़ानूनी काम कर रहे हैं तो पुलिस हमें यहां से हटा सकती है लेकिन इतना तो रहम खाना चाहिए कि यदि इतनी ठंड में कोई आग जलाकर ताप रहा है तो उस आग और उस कोयले में पानी न डालें. हमारे सामने पुलिस वाले छाए में रह रहे हैं और आग जलाकर सेंक रहे हैं. आख़िर क्या हम इंसान नहीं हैं. लेकिन हमें जितना परेशान करेंगे, हम उतनी मज़बूती से डटे रहेंगे.&quot;</p><p>कंबल ज़ब्त करने के विधिक तरीक़े पर सवाल करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सुधीर सिंह हँस पड़ते हैं, &quot;यह किस क़ानून में लिखा है, ये तो पुलिस वाले ही बता सकते हैं. क़ानून व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें वहां इकट्ठा होने से रोका जा सकता है, ठंड से बचने या फिर कुछ खाने-पीने से थोड़ी न रोका जा सकता है.&quot;</p><p>नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ पिछले कुछ दिनों से राज्य के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रयागराज के रोशन बाग में महिलाएं पिछले एक हफ़्ते से धरने पर बैठी हैं तो अलीगढ़, कानपुर, देवबंद, बरेली जैसे शहरों में भी प्रदर्शन की ख़बरें हैं. अलीगढ़ में पुलिस ने धारा 144 का उल्लंघन करने के मामले में सत्तर महिलाओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज की है.</p><p><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, 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