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शहर जहां अकबर पैदा हुए और राणा रतन सिंह को फांसी हुई

<figure> <img alt="उमरकोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/BAA0/production/_110067774_116a09bb-3084-48a1-b700-14bf399c767d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>मुग़ल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का नाम आते ही दिमाग़ में मुगलिया सल्तनत, दीन-ए-इलाही और राजपूत जोधा बाई के नाम आ जाते हैं.</p><p>अगर ये सवाल किया जाए कि अकबर बादशाह का जन्म कहां हुआ था तो कई लोग गूगल पर इसका जवाब तलाशेंगे.</p><p>उमरकोट अकबर का जन्म स्थान. […]

<figure> <img alt="उमरकोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/BAA0/production/_110067774_116a09bb-3084-48a1-b700-14bf399c767d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>मुग़ल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का नाम आते ही दिमाग़ में मुगलिया सल्तनत, दीन-ए-इलाही और राजपूत जोधा बाई के नाम आ जाते हैं.</p><p>अगर ये सवाल किया जाए कि अकबर बादशाह का जन्म कहां हुआ था तो कई लोग गूगल पर इसका जवाब तलाशेंगे.</p><p>उमरकोट अकबर का जन्म स्थान. अकबर बादशाह का जन्म उमरकोट में हुआ था. </p><p>इतिहासकारों के अनुसार हुमायूं बिहार के अफ़ग़ान गवर्नर शेर ख़ान से लड़ाई हारने के बाद उमरकोट में रहने लगे थे. </p><p>और उस समय उस बेवतन बादशाह के साथ सिर्फ कुछ सवार और उनकी जीवन साथी हमीदा बानो थीं.</p><p>उस बेताज़ बादशाह ने अपने बेटे के जन्म की ख़ुशी में अपने साथियों में मुश्क नाफ़ा (हिरण की नाभि से प्राप्त होने वाली खुशबू) बांटी और कहा कि जिस तरह मुश्क अपने आस पास खुशबू फैला देती है, इसी तरह एक दिन ये बच्चा पूरी दुनिया में मशहूर होगा.</p><p>हुमायूँ की मौत के बाद अकबर 13 साल की उम्र में गद्दी पर बैठे और उन्होंने तलवार के जोर पर मुगलिया सल्तनत को कई गुना बढ़ाया और अंग्रेज़ों के इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा होने तक ये सल्तनत क़ायम रही.</p><p>उमरकोट में अकबर के जन्मस्थान पर एक स्मारक बनाया गया है जिसके साथ में एक छोटा सा बाग़ भी मौजूद है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40749606?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राष्ट्रनायक कौन- अकबर या महाराणा प्रताप?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46585144?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिंदू-मुसलमान की लड़ाई नहीं थी अकबर और महाराणा प्रताप के बीच</a></li> </ul><figure> <img alt="उमरकोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/E1B0/production/_110067775_a9bc8488-4b5d-4581-a2ce-2fa44c6fd18e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>थार का गेटवे </h1><p>उमरकोट शहर करांची से लगभग सवा तीन सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.</p><p>यहाँ मीरपुर ख़ास, सांघड़ और थार से भी रास्ते आते हैं जबकि सुपर हाइवे से मीरपुर खास और फिर वहां से उमरकोट की सड़क बेहतर है.</p><p>करांची से मड़ी तक सड़क निर्माण से पहले ये शहर व्यापार का केंद्र था और इसको थार का गेटवे कहा जाता था.</p><p>इस इलाक़े में उमरकोट का क़िला राजनीति की चाबी समझा जाता था. ये राजस्थान के मारवाड़ और वादी मेहरान के संगम पर स्थित है. </p><p>एक तरफ रेगिस्तान है तो दूसरी तरफ नहर के पानी से आबाद होने वाला हरा भरा इलाक़ा. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45897177?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अकबर का इलाहाबास कैसे बना इलाहाबाद</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50307348?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’पानीपत’ फ़िल्म पर अफ़ग़ानिस्तान में क्यों छिड़ी बहस?</a></li> </ul><figure> <img alt="उमरकोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/108C0/production/_110067776_8baeff72-478b-4e78-b80b-962d906dbcb3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>मारवी का क़ैद ख़ाना </h1><p>उमरकोट का नाम यहाँ के एक क़िले के नाम पर है, जहां प्रेम और बहादुरी के कई किरदारों की यादें दफ़न हैं.</p><p>अमरकोट पर राजपूत ठाकुरों और बाद में सोमरा खानदान भी बादशाहत करता रहा है.</p><p>सिंध के सूफी शायर अब्दुल लतीफ़ की पांच सूर्मियों या हीरोइनों में एक किरदार मारवी ने यहाँ जन्म लिया.</p><p>मारवी का संबंध थार के खानाबदोश क़ाबिले से था. </p><p>उस समय के बादशाह उमर सोमरू ने जब उसकी खूबसूरती के चर्चे सुने तो मारवी को उसके गाँव भलवा से उस वक़्त अगवा कर लिया जब वो कुँए पर पानी भरने आई थी.</p><p>उमर ने मारवी को शादी की पेशकश की जो उन्होंने ठुकरा दी जिसके बाद उन्हें क़ैद किया गया.</p><p>बहुत से लालच दिए गए लेकिन उमर बादशाह कामयाब न हुआ. आख़िर में हार स्वीकार की और मारवी को बहन बना कर उसके गाँव में छोड़ आया.</p><p>इस पूरे क़िस्से को शाह अब्दुल लतीफ़ ने अपनी शायरी का विषय बनाया है और मारवी के किरदार को देशप्रेम और अपने लोगों से मुहब्बत की मिसाल बनाकर पेश किया है.</p><figure> <img alt="उमरकोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/12FD0/production/_110067777_c9f661d8-bb31-4978-8b52-c87f9a76059a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>उमरकोट क़िले में म्यूज़ियम </h1><p>उमरकोट के क़िले में एक म्यूज़ियम बना हुआ है, जिसमें पुराने हथियार के अलावा मजनीक के गोले जिनसे क़िलों की दीवारों को तो जाता था.</p><p>इलाक़े में इस्तेमाल होने वाले जेवरात मौजूद हैं.</p><p>अकबर बादशाह के जन्मस्थान की वजह से यहाँ आइन-ए-अकबरी समेत उस समय के वज़ीरों के फ़ारसी में लिखे हुए दस्तावेज़ और किताबें भी नुमाइश के लिए उपलब्ध है.</p><p>इनमें हिंदू धर्म के कुछ पवित्र ग्रंथ भी हैं जिनका फ़ारसी में अनुवाद किया गया है.</p><p>हुमायूँ, हमीदा बेगम और अकबर समेत मुगलिया दरबार की कई तस्वीरें भी यहाँ मौजूद हैं.</p><p>इसके अलावा जैन धर्म की मूर्तियां भी यहां रखी गई हैं जो थार शहर वेरावा में सड़क निर्माण के दौरान ज़मीन से निकाली गई थी.</p><p>क़िले की फ़सील (क़िले की मज़बूत चार दीवारी जो दुश्मन के हमले से बचाती है) पर तोपें लगी हुई हैं जबकि बीच में एक डंडा है जिस के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि इस पर लोगों को फांसी पर लटकाया जाता था.</p><p>यहाँ से पूरे शहर का नज़ारा आसानी से देखा जा सकता है.</p><p>क़िले में दाखिल होने वाले रास्ते के ऊपर घोड़े की एक नाल का निशान मौजूद है.</p><p>स्थानीय लोगों के मुताबिक़ जब राणा रतन सिंह को फांसी दी गई तो उनके घोड़े ने छलांग लगाई थी जिसके दौरान उसका एक पांव क़िले की दिवार से टकराया और इस कहानी का किरदार बन गया.</p><p>राणा रतन सिंह ने ब्रिटिश सरकार को लगान देने से मना कर दिया था और उनसे लड़ाई की जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके फांसी पर चढ़ा दिया गया.</p><figure> <img alt="राणा रतन सिंह" src="https://c.files.bbci.co.uk/156E0/production/_110067778_f269d6f2-c851-47c5-8afb-cc802ef628ff.jpg" height="976" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>धार्मिक सद्भाव </h1><p>धार्मिक सद्भाव की नीव रखने वाले शहंशाह अकबर के जन्मस्थान वाले इस शहर में आज भी धार्मिक सद्भावना नज़र आती है.</p><p>यहाँ मंदिर और मस्जिदें साथ-साथ हैं. हिन्दू मुस्लिम आबादी लगभग बराबर हैं और दोनों एक दुसरे की ख़ुशी, गमी के अलावा त्योहारों में भी शामिल होते हैं.</p><figure> <img alt="मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/4958/production/_110067781_8a375faa-31e7-409a-b0bb-7e71e83ddf2d.jpg" height="976" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>शहर के नज़दीक शिव महादेव का एक पुराना मंदिर है जिस पर हर साल मेला लगता है. </p><p>प्रबंधन और मदद में मुसलमान भी शामिल होते हैं.</p><p>इसके अलावा पास ही सूफी फ़क़ीर का शहर स्थित है जहां सूफी सादिक़ का मज़ार है जो सूफी शाह इनायत के प्रतिरोध आंदोलन से जुड़े हुए थे.</p><p>इसके अलावा पथोरो शहर में पीर पथोरो का मज़ार है जिसमें हिन्दू धर्म के लोग आस्था रखते हैं.</p><figure> <img alt="मुगलकालीन पेंटिंग" src="https://c.files.bbci.co.uk/17DF0/production/_110067779_ee64b59d-fb1b-4650-a9f3-1032380e30ae.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>उमरकोट का बाजार </h1><p>उमरकोट के बाज़ार की गिनती सिंध के पुराने बाज़ारों में होती है.</p><p>यहाँ आज भी आज भी पत्ते वाली बेड़ी बनाई जाती है और कुछ दुकानदार महिलाओं की परम्परागत चूड़ियां बनाते हैं जिन्हें चूड़ा कहा जाता है.</p><p>ये चूड़े कलाई से लेकर बाज़ू तक पहने जाते हैं, मोहन जोदड़ो से मिलने वाली नृतिका की मूर्ती के बाज़ू पर भी ऐसे ही चूड़े नज़र आते हैं जो किसी ज़माने में जानवरों की हड्डियों से बनाये जाते थे लेकिन अब ये फ़ाइन ग्लास से बनते हैं.</p><figure> <img alt="चूड़ी बनाने वाला कारखाना" src="https://c.files.bbci.co.uk/7068/production/_110067782_a3658e01-0d99-4465-a4dd-cd6655da1e59.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>पहले चूड़े मुस्लिम और हिन्दू दोनों धर्मों की महिलाएं पहनती थी लेकिन मुस्लिम घरानों में अब इनका इस्तेमाल बहुत कम हो गया है.</p><p>सोने के मुक़ाबले में यहाँ चांदी के ज़ेवर की बिक्री ज़्यादा है.</p><figure> <img alt="सामान" src="https://c.files.bbci.co.uk/9778/production/_110067783_f0cb7327-ddec-422c-af6a-fde43b997492.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>हिन्दू क़बीले अपनी परंपरा के अनुसार दहेज़ में चांदी के ज़ेवर देते हैं हर क़बीले का डिज़ाइन भी अलग होता है.</p><figure> <img alt="तोप" src="https://c.files.bbci.co.uk/2248/production/_110067780_62bbeae2-4a41-444e-8b3e-44dd0f7f1c75.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>हरियाली और रेगिस्तान </h1><p>उमरकोट शहर के साथ ही रेगिस्तानी इलाक़ा भी शुरू हो जाता है. एक तरफ हरे भरे खेत हैं तो दूसरी तरफ़ टीलों का सिलसिला है.</p><p>भारत जाने वाली ट्रेन उमरकोट ज़िले के कई शहरों से गुज़रकर खोखरापार बॉर्डर पार करती है.</p><figure> <img alt="उमरकोट क़िला" src="https://c.files.bbci.co.uk/B71C/production/_110067864_1e808b2d-607c-420c-89c7-5ac0434eed58.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>ये पुराना रूट है, हिन्दुस्तान के बंटवारे के समय मेहदी हसन, मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी और डॉक्टर मुबारक अली समेत कई घराने इस बॉर्डर को पार कर के पकिस्तान की सीमा में दाख़िल हुए थे.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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