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फेलोमिना बारला को क्यों नहीं मिला मातृत्व लाभ

<figure> <img alt="फेलोमिना बारला, मातृवंदन योजना" src="https://c.files.bbci.co.uk/1497D/production/_109994348_felomina-barla-with-her-son.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><p>फेलोमिना बारला का बेटा अब एक साल का हो जाएगा. उसके प्रसव के दौरान फेलोमिना बारला बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी थी. </p><p>झारखंड के गुमला ज़िले में बसिया ब्लॉक के डॉक्टरों ने जब जवाब दे दिया, तब उनके पति उन्हें रांची ले गए. […]

<figure> <img alt="फेलोमिना बारला, मातृवंदन योजना" src="https://c.files.bbci.co.uk/1497D/production/_109994348_felomina-barla-with-her-son.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><p>फेलोमिना बारला का बेटा अब एक साल का हो जाएगा. उसके प्रसव के दौरान फेलोमिना बारला बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी थी. </p><p>झारखंड के गुमला ज़िले में बसिया ब्लॉक के डॉक्टरों ने जब जवाब दे दिया, तब उनके पति उन्हें रांची ले गए. वहां ऑपरेशन के ज़रिये बच्चे का जन्म हुआ. इसमें उनके काफी पैसे खर्च हुए. </p><p>इमली के दो पेड़ों की बिक्री के बाद भी पैसे कम पड़े तो उनके पति को दोस्तों से उधार लेना पड़ा. अब वे धीरे-धीरे अपना कर्ज उतार रहे हैं. </p><p>फेलोमिना बारला ने बड़ी उम्मीद से मातृवंदन योजना का फॉर्म भरा लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सका है. फेलोमिना गुमला जिले के बसिया प्रखंड के तेतरा गांव में रहती हैं. </p><p>फेलोमिना बारला ने बीबीसी से कहा, &quot;आंगनबाड़ी सेविका ने कहा कि कुछ गड़बड़ी के कारण मेरा पैसा नहीं आया है. मैंने इसका कारण पूछा, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं बताया. जब मैं बैंक गई, तब पता चला कि मेरे अकाउंट में कोई पैसा नहीं आया है. अगर पैसा आ जाता, तो मुझे मदद मिल जाती.&quot;</p><p>फेलोमिना उन सैकड़ों महिलाओं में से एक हैं, जिन्हें पात्रता के बावजूद इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है.</p><figure> <img alt="मातृवंदन योजना" src="https://c.files.bbci.co.uk/14E5/production/_109994350_anganbadi-kendra-of-tetra-village-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><p><strong>क्या है मातृवंदन योजना</strong><strong>?</strong></p><p>वर्ष 2017 में सरकार ने प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना लागू की थी. इसके तहत गर्भवती महिलाओं को उनके पहले बच्चे के लिए पांच हज़ार रूपए की सहायता देने का प्रावधान किया गया है. यह राशि तीन किस्तों में दी जाती है. </p><p>बसिया स्थित मनेरगा सहायता केंद्र की अंजलि कुमारी ने बताया कि हर किस्त के लिए महिलाओं को अलग-अलग फॉर्म भरना होता है. इसके लिए उनका और उनके पति का आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरुरी है. </p><p>यह फॉर्म आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से प्रखंड कार्यालय भेजा जाता है. वहां से योग्य महिलाओं की सूची बैंक को भेजी जाती है. </p><p>फिर इसके तहत मिलने वाली राशि उनके खाते में जमा करा दी जाती है.</p><figure> <img alt="मातृवंदन योजना" src="https://c.files.bbci.co.uk/6305/production/_109994352_villagers-of-tetra.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><h3>सिर्फ 22 फीसदी कवरेज </h3><p>प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना लागू होने के एक साल के बाद साल 2018-2019 के दौरान चौंका देने वाले तथ्य सामने आये. </p><p>आंकड़े बताते हैं कि इस अंतराल में इस योजना का प्रभावी कवरेज सिर्फ 22 फीसदी रहा. जबकि सभी तीन किस्तें पाने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 14 प्रतिशत थी. </p><p>ये आंकड़े आरटीआई के तहत सामजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से हासिल किए. </p><p>चर्चित सोशल एक्टिविस्ट ऋतिका खेड़ा ने बताया कि आरटीआई से जानकारी प्राप्त करने के साथ ही उनकी टीम ने झारखंड समेत देश के पांच प्रदेशों में जच्चा-बच्चा सर्वे भी कराया. </p><p>तब पता चला कि इस योजना का कई अन्य प्रदेशों में भी बुरा हाल है. सर्वेक्षण में मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ भी शामिल थे.</p><figure> <img alt="मातृवंदन योजना" src="https://c.files.bbci.co.uk/B37D/production/_109994954_felomina’s-house.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><p>ऋतिका खेड़ा ने बीबीसी से कहा, &quot;साल 2013 में बने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सभी भारतीय महिलाओं को मातृत्व लाभ देने की बात कही गई थी. तब इनके लिए छह हजार रुपये की राशि तय की गई थी.&quot;</p><p>केंद्र सरकार ने तीन साल बाद इसकी सुध ली और वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना लागू कर दी. इसके तहत गर्भवती महिलाओं के पहले जीवित बच्चे के लिए तीन किस्तों में 5000 रुपये की राशि देने का प्रवाधान किया गया. </p><p>लेकिन, तकनीकी दिक्कतों और जानकारी के अभाव में इसका लाभ सभी महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है.</p><figure> <img alt="कोनबिर गांव की शकुंतला देवी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1019D/production/_109994956_shakuntala-devi-of-konbir-village.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><h3>कुछ खुशकिस्मत भी हैं</h3><p>हालांकि, कुछ महिलाएं इस मामले में खुशकिस्मत भी हैं. </p><p>कोनबिर गांव की शकुंतला देवी उन भाग्यशाली महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें मातृ वंदन योजना का लाभ मिला है. </p><p>उन्होंने बीबीसी को बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में जच्चा-बच्चा रजिस्टर अपडेट कराते वक्त उन्हें इसकी जानकारी मिली. तब उन्होंने इसका फॉर्म भरा. </p><p>इसके बाद उनके खाते में दो किस्तों में तीन हजार रुपये आ गए. तीसरी किस्त का फार्म भरा जाना अभी बाकी है. उन्हें उम्मीद है कि वह राशि भी मिल जाएगी.</p><figure> <img alt="दीनदयाल वर्णवाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/14FBD/production/_109994958_dindayal-baranwal.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ravi Prakash /BBC</footer> </figure><h3>सरकार के दावे</h3><p>सरकार का भी दावा है कि इस योजना का लाभ हर किसी ज़रूरतमंद को मिल रहा है. </p><p>झारखंड भाजपा के प्रवक्ता दीनदयाल वर्णवाल ने कहा कि यह एकमात्र ऐसी योजना है, जो मां और शिशु दोनों को प्रोटेक्ट करती है. </p><p>पूरे झारखंड में इसका उपयोग लोगों ने किया है और इसका लाभ ले रहे हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a 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