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भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी तय

<p>भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे की सेशल अदालत ने गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. </p><p>इसके बाद गौतम नवलखा ने हिरासत में लिए जाने से तीन दिनों की छूट की मांग की. अदालत ने उनकी इस याचिका को भी ख़ारिज कर दिया. </p><p>पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफ़आईआर […]

<p>भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे की सेशल अदालत ने गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. </p><p>इसके बाद गौतम नवलखा ने हिरासत में लिए जाने से तीन दिनों की छूट की मांग की. अदालत ने उनकी इस याचिका को भी ख़ारिज कर दिया. </p><p>पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफ़आईआर से पहले गौतम नवलखा को लोग एक पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर जानते थे. </p><p>हालांकि ये एफ़आईआर 8 जनवरी, 2018 को दर्ज हुई थी लेकिन गौतम नवलखा का नाम इसमें सात महीने बाद 22 अगस्त को जोड़ा गया.</p><h1>क्या है भीमा कोरेगांव मामला</h1><p>मराठा सेना और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध की 200वीं सालगिरह के मौक़े पर 31 दिसंबर, 2017 के दिन ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ के बैनर तले कई दलित संगठनों ने मिलकर एक रैली आयोजित की थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ़ से महार रेजीमेंट लड़ रही थी जिसमें ज़्यादातर दलित सैनिक थे.</p><p>भीमा कोरेगांव की रैली मराठा सेना के ख़िलाफ़ इन्हीं दलितों की शौर्य की याद में आयोजित की गई थी. इसका नाम यलगार परिषद रखा गया. शनिवार वाड़ा के मैदान पर हुई इस रैली में ‘लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने’ की बात कही गई. दिवंगत छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने रैली का उद्घाटन किया था. </p><p>इसमें कई नामी हस्तियां मसलन- प्रकाश आंबेडकर, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू छात्र उमर ख़ालिद, आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी आदि मौजूद रहे. इनके भाषणों के साथ कबीर कला मंच ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए. </p><p>अगले दिन जब भीमा कोरेगांव में उत्सव मनाया जा रहा था, आस-पास के इलाक़ों- मसलन, संसावाड़ी में हिंसा भड़क उठी और एक नौजवान की जान चली गई. इस मामले में हिंदुत्ववादी संस्था समस्त हिंद अघाड़ी के नेता मिलिंद एकबोटे और शिव प्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी भिड़े के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई. </p><p>एफ़आईआर दर्ज होने के बाद लंबे समय तक मिलिंद एकबोटे और <a href="https://timesofindia.indiatimes.com/city/nashik/right-wing-activist-sambhaji-bhide-gets-bail-in-case-over-infertility-curing-mango-claim/articleshow/66986430.cms">संभाजी भिड़े</a> की गिरफ़्तारी नहीं हुई, उन्हें ज़मानत पर छोड़ दिया गया. इसी दौरान यलगार परिषद से जुड़ी दो और एफ़आईआर पुणे शहर के विश्रामबाग पुलिस थाने में दर्ज की गईं. </p><p>पहली एफ़आईआर में जिग्नेश मेवानी और उमर ख़ालिद पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था. दूसरी एफ़आईआर तुषार दमगुडे की शिकायत पर यलगार परिषद से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई. इस एफ़आईआर के संबंध में जून में सुधीर धवले समेत पांच सामाजिक कार्यर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया. </p><p>इसे बाद 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, अरुण फ़रेरा और वरनॉन गोन्ज़ाल्विस को गिरफ़्तार कर लिया, ये सभी लोग जाने-माने सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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