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सावरकर भारत में हीरो क्यों और विलेन क्यों

<figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/181B6/production/_106924789_sawarkar_2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><p>महाराष्ट्र चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है. इस वादे के साथ ही सावरकर को लेकर चर्चाओं का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है. </p><p><strong><em>सावरकर की पूरी कहानी आप […]

<figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/181B6/production/_106924789_sawarkar_2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><p>महाराष्ट्र चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है. इस वादे के साथ ही सावरकर को लेकर चर्चाओं का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है. </p><p><strong><em>सावरकर की पूरी कहानी आप इस विवेचना में पढ़ सकते हैं जो पहले ही बीबीसी हिंदी पर प्रकाशित हो चुका है. यहां पाठकों के लिए हम </em></strong><strong><em>इस विवेचना को पुर्नप्रकाशित </em></strong><strong><em>कर रहे हैं.</em></strong></p><p>अक्तूबर, 1906 में लंदन में एक ठंडी शाम चितपावन ब्राह्मण विनायक दामोदर सावरकर इंडिया हाउज़ के अपने कमरे में झींगे यानी ‘प्रॉन’ तल रहे थे. </p><p>सावरकर ने उस दिन एक गुजराती वैश्य को अपने यहाँ खाने पर बुला रखा था जो दक्षिण अफ़्रीका में रह रहे भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के प्रति दुनिया का ध्यान आकृष्ट कराने लंदन आए हुए थे. </p><p>उनका नाम था मोहनदास करमचंद गांधी. गाँधी सावरकर से कह रहे थे कि अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ उनकी रणनीति ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक है. सावरकर ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा था, &quot;चलिए पहले खाना खाइए.&quot; </p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=EKJxf2ltuPc">https://www.youtube.com/watch?v=EKJxf2ltuPc</a></p><p>बहुचर्चित किताब ‘द आरएसएस-आइकॉन्स ऑफ़ द इंडियन राइट’ लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय बताते हैं, &quot;उस समय गांधी महात्मा नहीं थे. सिर्फ़ मोहनदास करमचंद गाँधी थे. तब तक भारत उनकी कर्म भूमि भी नहीं बनी थी.&quot; </p><p>&quot;जब सावरकर ने गांधी को खाने की दावत दी तो गांधी ने ये कहते हुए माफ़ी माँग ली कि वो न तो गोश्त खाते हैं और न मछली. बल्कि सावरकर ने उनका मज़ाक भी उड़ाया कि कोई कैसे बिना गोश्त खाए अंग्रेज़ो की ताक़त को चुनौती दे सकता है? उस रात गाँधी सावरकर के कमरे से अपने सत्याग्रह आंदोलन के लिए उनका समर्थन लिए बिना ख़ाली पेट बाहर निकले थे.&quot; </p><p>साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठवें दिन विनायक दामोदर सावरकर को गाँधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया गया था. हाँलाकि उन्हें फ़रवरी 1949 में बरी कर दिया गया था.</p><h1>आरएसएस का न होते हुए भी संघ परिवार में इज़्ज़त</h1><p>इसे एक विडंबना ही कहा जाएगा कि कभी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ के सदस्य न रहे वीर सावरकर का नाम संघ परिवार में बहुत इज़्ज़त और सम्मान के साथ लिया जाता है. </p><p>वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था. </p><p>नीलांजन मुखोपाध्याय बताते हैं, &quot;26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी शपथ लेते हैं. उसके दो दिन बाद ही वीर सावरकर की 131वीं जन्म तिथि पड़ती है. वो संसद भवन जा कर सावरकर के चित्र के सामने सिर झुका कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. हमें मानना पड़ेगा कि सावरकर बहुत ही विवादास्पद शख़्सियत थे.&quot; </p><p>&quot;हम नहीं भूल सकते कि गाँधी हत्याकांड में उनके ख़िलाफ़ केस चला था. वो छूट ज़रूर गए थे, लेकिन उनके जीवन काल में ही उसकी जाँच के लिए कपूर आयोग बैठा था और उसकी रिपोर्ट में शक की सुई सावरकर से हटी नहीं थी. उस नेता को सार्वजनिक रूप से इतना सम्मान देना मोदी की तरफ़ से एक बहुत बड़ा प्रतीकात्मक कदम था.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40076254?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सावरकर और उनकी सज़ा-ए काला पानी</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44410734?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">डॉक्टर हेडगेवार, जिन्हें प्रणब मुखर्जी ने कहा ‘भारत मां का महान सपूत'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2016/07/160720_godse_rss_swarkar_pk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गोडसे पर हिंदू महासभा और संघ की तकरार</a></p><figure> <img alt="नीलांजन मुखोपाध्याय की किताब ‘द आरएसएस-आइकॉन्स ऑफ़ द इंडियन राइट’" src="https://c.files.bbci.co.uk/18C6/production/_106924360_book_1.jpg" height="1507" width="976" /> <footer>NILANJAN MUKHOPADHYAY</footer> <figcaption>नीलांजन मुखोपाध्याय की किताब ‘द आरएसएस-आइकॉन्स ऑफ़ द इंडियन राइट'</figcaption> </figure><h1>नासिक के कलेक्टर की हत्या के सिलसिले में गिरफ़्तारी</h1><p>अपने राजनीतिक विचारों के लिए सावरकर को पुणे के फरग्यूसन कालेज से निष्कासित कर दिया गया था. साल 1910 में उन्हें नासिक के कलेक्टर की हत्या में संलिप्त होने के आरोप में लंदन में गिरफ़्तार कर लिया गया था. </p><p>सावरकर पर ख़ासा शोध करने वाले निरंजन तकले बताते हैं, &quot;1910 में नासिक के जिला कलेक्टर जैकसन की हत्या के आरोप में पहले सावरकर के भाई को गिरफ़्तार किया गया था.&quot; </p><p>&quot;सावरकर पर आरोप था कि उन्होंने लंदन से अपने भाई को एक पिस्टल भेजी थी, जिसका हत्या में इस्तेमाल किया गया था. ‘एसएस मौर्य’ नाम के पानी के जहाज़ से उन्हें भारत लाया जा रहा था. जब वो जहाज़ फ़ाँस के मार्से बंदरगाह पर ‘एंकर’ हुआ तो सावरकर जहाज़ के शौचालय के ‘पोर्ट होल’ से बीच समुद्र में कूद गए.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40247749?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी भाजपा के महानायक, अतीत के नायक कहाँ से आएं?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/multimedia/2014/02/140213_cellular_jail_pic_galllery_sb?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सज़ा-ए-काला पानी..</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151021_ten_questions_rss_ps?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरएसएस से ना पूछिए ये सवाल</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/260E/production/_106924790_sawarkar_7.jpg" height="654" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><h1>पानी के जहाज़ से समुद्र में कूदे सावरकर</h1><p>आगे की कहानी उनकी जीवनी ‘ब्रेवहार्ट सावरकर’ लिखने वाले आशुतोष देशमुख बताते हैं, &quot;सावरकर ने जानबूझ कर अपना नाइट गाउन पहन रखा था. शौचालय में शीशे लगे हुए थे ताकि अंदर गए क़ैदी पर नज़र रखी जा सके. सावरकर ने अपना गाउन उतार कर उससे शीशे को ढ़क दिया.&quot; </p><p>&quot;उन्होंने पहले से ही शौचालय के ‘पोर्ट होल’ को नाँप लिया था और उन्हें अंदाज़ा था कि वो उसके ज़रिए बाहर निकल सकते हैं. उन्होंने अपने दुबले-पतले शरीर को पोर्ट-होल से नीचे उतारा और बीच समुद्र में कूद गए.&quot; </p><p>&quot;उनकी नासिक की तैरने की ट्रेनिंग काम आई और वो तट की तरफ़ तैरते हुए बढ़ने लगे. सुरक्षाकर्मियों ने उन पर गोलियाँ चलाईं, लेकिन वो बच निकले.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2014/04/140421_rss_bjp_same_front_electionspl2014_pk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी की ‘सरकार’ और ‘हिंदू राष्ट्र’ का सपना</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2014/12/141224_bharat_ratna_reaction_pk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मालवीय को भारत रत्न: ‘इतिहास से खेलने जैसा'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2015/01/150130_godse_vs_gandhi_rd?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधीभक्तों के लिए गांधी से ज़रूरी गोडसे</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/B506/production/_106924364_sawarkar_4.jpg" height="753" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> <figcaption>13 मार्च, 1910 के दिन विक्टोरिया स्टेशन पर गिरफ़्तारी के बाद ली गई सावरकर की तस्वीर</figcaption> </figure><h1>सुरक्षाकर्मियों की गिरफ़्त में</h1><p>देशमुख आगे लिखते हैं, &quot;तैरने के दौरान सावरकर को चोट लगी और उससे ख़ून बहने लगा. सुरक्षाकर्मी भी समुद्र में कूद गए और तैर कर उनका पीछा करने लगे.&quot;</p><p>&quot;सावरकर करीब 15 मिनट तैर कर तट पर पहुंच गए. तट रपटीला था. पहली बार तो वो फिसले लेकिन दूसरे प्रयास में वो ज़मीन पर पहुंच गए. वो तेज़ी से दौड़ने लगे और एक मिनट में उन्होंने करीब 450 मीटर का फ़ासला तय किया.&quot; </p><p>&quot;उनके दोनों तरफ़ ट्रामें और कारें दौड़ रही थीं. सावरकर क़रीब क़रीब नंगे थे. तभी उन्हें एक पुलिसवाला दिखाई दिया. वो उसके पास जा कर अंग्रेज़ी में बोले, ‘मुझे राजनीतिक शरण के लिए मैजिस्ट्रेट के पास ले चलो.’ तभी उनके पीछे दौड़ रहे सुरक्षाकर्मी चिल्लाए, ‘चोर! चोर! पकड़ो उसे.’ सावरकर ने बहुत प्रतिरोध किया, लेकिन कई लोगों ने मिल कर उन्हें पकड़ ही लिया.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2010/03/100305_khudiram_samadhi_sz?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शहीदों के मज़ारों पर लगेंगे हर बरस मेले…</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2015/01/150127_godse_gandhi_aakar_pk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गोडसे ने आख़िर गांधी की हत्या क्यों की?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42860708?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या गांधी हत्याकांड में सावरकर का था अहम रोल?</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/66E6/production/_106924362_sawarkar_3.jpg" height="1273" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><p><strong>अंडमान की </strong><strong>सेल्युलर </strong><strong>जेल की कोठरी नंबर 52 में</strong></p><p>इस तरह सावरकर की कुछ मिनटों की आज़ादी ख़त्म हो गई और अगले 25 सालों तक वो किसी न किसी रूप में अंग्रेज़ों के क़ैदी रहे. </p><p>उन्हें 25-25 साल की दो अलग-अलग सजाएं सुनाई गईं और सज़ा काटने के लिए भारत से दूर अंडमान यानी ‘काला पानी’ भेज दिया गया. </p><p>उन्हें 698 कमरों की सेल्युलर जेल में 13.5 गुणा 7.5 फ़ीट की कोठरी नंबर 52 में रखा गया. </p><p>वहाँ के जेल जीवन का ज़िक्र करते हुए आशुतोष देशमुख, वीर सावरकर की जीवनी में लिखते हैं, &quot;अंडमान में सरकारी अफ़सर बग्घी में चलते थे और राजनीतिक कैदी इन बग्घियों को खींचा करते थे.&quot; </p><p>&quot;वहाँ ढंग की सड़कें नहीं होती थीं और इलाक़ा भी पहाड़ी होता था. जब क़ैदी बग्घियों को नहीं खींच पाते थे तो उनको गालियाँ दी जाती थीं और उनकी पिटाई होती थी. परेशान करने वाले कैदियों को कई दिनों तक पनियल सूप दिया जाता था.&quot; </p><p>&quot;उनके अलावा उन्हें कुनैन पीने के लिए भी मजबूर किया जाता था. इससे उन्हें चक्कर आते थे. कुछ लोग उल्टियाँ कर देते थे और कुछ को बहुत दर्द रहता था.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2015/09/150919_akar_blog_on_hindutva_sr?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’सावरकर की किताब हिंदुत्व ने मुझे निराश किया'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45960504?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी के लिए नेताजी की विरासत हासिल करना क्यों मुश्किल</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46998742?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रानी लक्ष्मीबाई किसके लिए लड़ीं : झांसी या भारत?</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/DC16/production/_106924365_sawarkar_5.jpg" height="651" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><p><strong>खड़े</strong><strong>-</strong><strong>खड़े बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ</strong></p><p>देशमुख आगे लिखते हैं, &quot;सभी कैदियों को शौचालय ले जाने का समय नियत रहता था और शौचालय के अंदर भी उन्हें तय समय-सीमा तक रहना होता था.&quot; </p><p>&quot;कभी-कभी कैदी को जेल को जेल के अपने कमरे के एक कोने में ही मल त्यागना पड़ जाता था.&quot; </p><p>&quot;जेल की कोठरी की दीवारों से मल और पेशाब की बदबू आती थी. कभी कभी कैदियों को खड़े खड़े ही हथकड़ियाँ और बेड़ियाँ पहनने की सज़ा दी जाती थी.&quot; </p><p>&quot;उस दशा में उन्हें खड़े खड़े ही शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता था. उल्टी करने के दौरान भी उन्हें बैठने की इजाज़त नहीं थी.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46271843?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वो एक लाइन जिससे परेशान होता है सिंधिया परिवार</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43973398?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर का पूरा सच</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44458347?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’गांधी हत्याकांड में RSS की भूमिका’, ऐतिहासिक दस्तावेज़ क्या कहते हैं</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/10326/production/_106924366_sawarkar_6.jpg" height="651" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><h1>अंग्रेज़ों को माफ़ीनामा</h1><p>लेकिन यहाँ से सावरकर की दूसरी ज़िदगी शुरू होती है. सेल्युलर जेल में उनके काटे 9 साल 10 महीनों ने अंग्रेज़ों के प्रति सावरकर के विरोध को बढ़ाने के बजाय समाप्त कर दिया. </p><p>निरंजन तकले बताते हैं, &quot;मैं सावरकर की ज़िंदगी को कई भागों में देखता हूँ. उनकी ज़िदगी का पहला हिस्सा रोमांटिक क्रांतिकारी का था, जिसमें उन्होंने 1857 की लड़ाई पर किताब लिखी थी. इसमें उन्होंने बहुत अच्छे शब्दों में धर्मनिरपेक्षता की वकालत की थी.&quot; </p><p>&quot;गिरफ़्तार होने के बाद असलियत से उनका सामना हुआ. 11 जुलाई 1911 को सावरकर अंडमान पहुंचे और 29 अगस्त को उन्होंने अपना पहला माफ़ीनामा लिखा, वहाँ पहुंचने के डेढ़ महीने के अंदर. इसके बाद 9 सालों में उन्होंने 6 बार अंग्रेज़ों को माफ़ी पत्र दिए.&quot; </p><p>&quot;जेल के रिकॉर्ड बताते हैं कि वहाँ हर महीने तीन या चार कैदियों को फाँसी दी जाती थी. फाँसी देने का स्थान उनके कमरे के बिल्कुल नीचे था. हो सकता है इसका सावरकर पर असर पड़ा हो. कुछ हलकों में कहा गया कि जेलर बैरी ने सावरकर को कई रियायतें दीं.&quot; </p><p>&quot;एक और कैदी बरिंद्र घोष ने बाद में लिखा कि सावरकर बंधु हम लोगों को जेलर के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए गुपचुप तौर से भड़काते थे. लेकिन जब हम उनसे कहते कि खुल कर हमारे साथ आइए, तो वो पीछे हो जाते थे. उनको कोई भी मुश्किल काम करने के लिए नहीं दिया गया था.&quot; </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46066731?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’पटेल के सम्मान पर शोर क्यों मचा रहे हैं विपक्षी दल?'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45978910?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’एंटी-हिंदू’ किताबों को हटाना साज़िश या प्रक्रिया?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42860525?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में यूं रखा था पक्ष</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/14D5E/production/_106924358_sawarkar_1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><h1>हिंसा का रास्ता…</h1><p>निरंजन तकले कहते हैं, &quot;हर 15 दिन पर वहाँ कैदी का वज़न लिया जाता था. जब सावरकर सेल्युलर जेल पहुंचे तो उनका वज़न 112 पाउंड था. सवा दो साल बाद जब उन्होंने सर रेजिनॉल्ड क्रेडॉक को अपना चौथा माफ़ीनामा दिया, तो उनका वज़न 126 पाउंड था. इस तरह उनका 14 पाउंड वज़न बढ़ा था जेल में रहने के दौरान.&quot; </p><p>&quot;अपने ऊपर दया करने की गुहार करते हुए उन्होंने सरकार से ख़ुद को भारत की किसी जेल में भेजे जाने की प्रार्थना की थी. इसके बदले में वो किसी भी हैसियत में सरकार के लिए काम करने के लिए तैयार थे.&quot; </p><p>&quot;सावरकर ने ये भी कहा था कि अंग्रेज़ों द्वारा उठाए गए गए कदमों से उनकी संवैधानिक व्यवस्था में आस्था पैदा हुई है और उन्होंने अब हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. शायद इसी का परिणाम था कि काला पानी की सज़ा काटते हुए सावरकर को 30 और 31 मई, 1919 को अपनी पत्नी और छोटे भाई से मिलने की इजाज़त दी गई थी.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41816182?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या वाकई संघ से हमदर्दी रखते थे सरदार पटेल?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43053568?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ब्लॉग: किस संघर्ष का इंतज़ार है मोहन भागवत को?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41993388?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नाथूराम गोडसे के लोग और उनकी सोच</a></p><figure> <img alt="रामबहादुर राय" src="https://c.files.bbci.co.uk/8DF6/production/_106924363_rambahadurrai.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी सेंटर ऑफ़ आर्ट्स के प्रमुख राम बहादुर राय बीबीसी के दफ़्तर में रेहान फ़ज़ल के साथ</figcaption> </figure><h1>जेल से बाहर रहने के लिए बनाई थी ये रणनीति</h1><p>बाद में सावरकर ने खुद और उनके समर्थकों ने अंग्रेज़ों से माफ़ी माँगने को इस आधार पर सही ठहराया था कि ये उनकी रणनीति का हिस्सा था, जिसकी वजह से उन्हें कुछ रियायतें मिल सकती थीं. </p><p>सावरकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा था, &quot;अगर मैंने जेल में हड़ताल की होती तो मुझसे भारत पत्र भेजने का अधिकार छीन लिया जाता.&quot; </p><p>मैंने वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी सेंटर ऑफ़ आर्ट्स के प्रमुख राम बहादुर राय से पूछा कि आख़िर भगत सिंह के पास भी माफ़ी माँगने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. तब सावरकर के पास ऐसा करने की क्या मजबूरी थी? </p><p>राम बहादुर राय का जवाब था, &quot;भगत सिंह और सावरकर में बहुत मौलिक अंतर है. भगत सिंह ने जब बम फेंकने का फ़ैसला किया, उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें फाँसी का फंदा चाहिए. दूसरी तरफ़ वीर सावरकर एक चतुर क्रांतिकारी थे.&quot; </p><p>&quot;उनकी कोशिश रहती थी कि भूमिगत रह करके उन्हें काम करने का जितना मौका मिले, उतना अच्छा है. मेरा मानना ये है कि सावरकर इस पचड़े में नहीं पड़े की उनके माफ़ी मांगने पर लोग क्या कहेंगे. उनकी सोच ये थी कि अगर वो जेल के बाहर रहेंगे तो वो जो करना चाहेंगे, वो कर सकेंगे.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42875147?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’गांधी पर चली गोलियां अब सब तरफ चल रही हैं'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39190433?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वो औरत जिन्होंने विदेश में पहली बार फहराया भारत का झंडा</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44684724?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिंदू मुसलमान विवादों के आविष्कार का सियासी फ़ॉर्मूला</a></p><figure> <img alt="नीलांजन मुखोपाध्याय" src="https://c.files.bbci.co.uk/15AA6/production/_106924788_img_3151.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>बीबीसी स्टूडियो में नीलांजन मुखोपाध्याय</figcaption> </figure><h1>सावरकर की हिंदुत्व की अवधारणा</h1><p>अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने एक पुस्तक लिखी ‘हिंदुत्व – हू इज़ हिंदू?’ जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया. </p><p>निलंजन मुखोपाध्याय बताते हैं, &quot;हिंदुत्व को वो एक राजनीतिक घोषणापत्र के तौर पर इस्तेमाल करते थे. हिंदुत्व की परिभाषा देते हुए वो कहते हैं कि इस देश का इंसान मूलत: हिंदू है. इस देश का नागरिक वही हो सकता है जिसकी पितृ भूमि, मातृ भूमि और पुण्य भूमि यही हो.&quot; </p><p>&quot;पितृ और मातृ भूमि तो किसी की हो सकती है, लेकिन पुण्य भूमि तो सिर्फ़ हिंदुओं, सिखों, बौद्ध और जैनियों की हो हो सकती है, मुसलमानों और ईसाइयों की तो ये पुण्यभूमि नहीं है. इस परिभाषा के अनुसार मुसलमान और ईसाई तो इस देश के नागरिक कभी हो ही नहीं सकते.&quot; </p><p>&quot;एक सूरत में वो हो सकते हैं अगर वो हिंदू बन जाएं. वो इस विरोधाभास को कभी नही समझा पाए कि आप हिंदू रहते हुए भी अपने विश्वास या धर्म को मानते रहें.&quot; </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44376306?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नज़रिया: गांधी हिंदुत्व और आरएसएस से पूरी तरह असहमत थे</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42863138?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तिरंगा और भगवा झंडे के घालमेल में आख़िर बुराई क्या?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45279565?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या सनातन संस्था ‘उग्र हिंदुत्व’ की वर्कशॉप है?</a></p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/9B3E/production/_106924793_sawarkar_9.jpg" height="654" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><h1>अंग्रेज़ों के साथ समझौता</h1><p>साल 1924 में सावरकर को पुणे की यरवदा जेल से दो शर्तों के आधार पर छोड़ा गया. </p><p>एक तो वो किसी राजनैतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे और दूसरे वो रत्नागिरि के ज़िला कलेक्टर की अनुमति लिए बिना ज़िले से बाहर नहीं जाएंगे. </p><p>निरंजन तकले बताते हैं, &quot;सावरकर ने वायसराय लिनलिथगो के साथ लिखित समझौता किया था कि उन दोनों का समान उद्देश्य है गाँधी, कांग्रेस और मुसलमानों का विरोध करना है.&quot; </p><p>&quot;अंग्रेज़ उनको पेंशन दिया करते थे, साठ रुपए महीना. वो अंग्रेज़ों की कौन सी ऐसी सेवा करते थे, जिसके लिए उनको पेंशन मिलती थी ? वो इस तरह की पेंशन पाने वाले अकेले शख़्स थे.&quot;</p><figure> <img alt="वीर सावरकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/742E/production/_106924792_sawarkar_8.jpg" height="1174" width="976" /> <footer>savarkarsmarak.com</footer> </figure><h1>काली टोपी और इत्र की बोतल</h1><p>अतिवादी विचारों के बावजूद निजी ज़िदगी में वो अच्छी चीज़ों के शौकीन थे. वो चॉकलेट्स और ‘जिन्टान’ ब्रैंड की विहस्की पसंद करते थे. </p><p>उनके जीवनीकार आशुतोष देशमुख लिखते हैं, &quot;सावरकर 5 फ़ीट 2 इंच लंबे थे. अंडमान की जेल में रहने के बाद वो गंजे हो गए थे. उन्हें तंबाकू सूँघने की आदत पड़ गई थी. अंडमान की जेल कोठरी में वो तंबाकू की जगह जेल की दीवारों पर लिखा चूना खुरच कर सूँघा करते थे, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा.&quot; </p><p>&quot;लेकिन इससे उनकी नाक खुल जाती थी. उन्होंने सिगरेट और सिगार पीने की भी कोशिश की, लेकिन वो उन्हें रास नहीं आया. वो कभी-कभी शराब भी पीते थे. नाश्ते में वो दो उबले अंडे खाते थे और दिन में कई प्याले चाय पीते थे. उनको मसालेदार खाना पसंद था, ख़ासतौर से मछली.&quot; </p><p>&quot;वो अलफ़ांसो आम, आइसक्रीम और चॉकलेट के भी बहुत शौकीन थे. वो हमेशा एक जैसी पोशाक पहनते थे… गोल काली टोपी, धोती या पैंट, कोट, कोट की जेब में एक छोटा हथियार, इत्र की एक शीशी, एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में मुड़ा हुआ अख़बार!&quot;</p><p><strong>महात्मा गांधी </strong><strong>हत्याकांड </strong><strong>में गिरफ़्तारी</strong></p><p>सावरकर की छवि को उस समय बहुत धक्का लगा जब 1949 में गांधी हत्याकांड में शामिल होने के लिए आठ लोगों के साथ उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया गया. </p><p>लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में वो बरी हो गए. </p><p>नीलांजन मुखोपाध्याय बताते हैं, &quot;पूरे संघ परिवार को बहुत समय लग गया गाँधी हत्याकाँड के दाग़ को हटाने में. सावरकर इस मामले में जेल गए, फिर छूटे और 1966 तक ज़िदा रहे लेकिन उन्हें उसके बाद स्वीकार्यता नहीं मिली.&quot; </p><p>&quot;यहाँ तक कि आरएसएस ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया. वो हमेशा हाशिए पर ही पड़े रहे, क्यों कि उनसे गांधी हत्या की शक की सुई कभी नहीं हटी ही नहीं. कपूर कमिशन की रिपोर्ट में भी साफ़ कहा गया कि उन्हें इस बात का यकीन नहीं है कि सावरकर की जानकारी के बिना गांधी हत्याकाँड हो सकता था.&quot;</p><h1>सावरकर की राजनीतिक विचारधारा </h1><p>सावरकर के जीवन के आख़िरी दो दशक राजनीतिक एकाकीपन और अपयश में बीते. </p><p>उनके एक और जीवनीकार धनंजय कीर उनकी जीवनी ‘सावरकर एंड हिज़ टाइम्स’ में लिखते हैं कि लाल किले में चल रहे मुक़दमें में जज ने जैसे ही उन्हें बरी किया और नथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फाँसी की सज़ा सुनाई, कुछ अभियुक्त सावरकर के पैर पर गिर पड़े और उन्होंने मिल कर नारा लगाया, </p><p>हिंदू – हिंदी – हिदुस्तान</p><p>कभी न होगा पाकिस्तान</p><p>राम बहादुर राय कहते हैं, &quot;दरअसल उन पर आख़िरी दिनों में जो कलंक लगा है, उसने सावरकर की विरासत पर अंधकार का बादल डाल दिया है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा उदाहरण मिले जो क्राँतिकारी कवि भी हो, साहित्यकार भी हो और अच्छा लेखक भी हो.&quot; </p><p>&quot;अंडमान की जेल में रहते हुए पत्थर के टुकड़ों को कलम बना कर जिसने 6000 कविताएं दीवार पर लिखीं और उनकी कंठस्थ किया. यही नहीं पाँच मौलिक पुस्तकें वीर सावरकर के खाते में हैं, लेकिन इसके बावजूद जब सावरकर महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ जाते हैं, सावरकर समाप्त हो जाते हैं और उनकी राजनीतिक विचारधारा वहीँ सूख भी जाती है.&quot;</p><figure> <img alt="निरंजन तकले" src="https://c.files.bbci.co.uk/3FD6/production/_106924361_img_3172.jpg" height="626" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>सावरकर पर ख़ासा शोध करने वाले निरंजन तकले बीबीसी स्टूडियो में</figcaption> </figure><h1>’पोलराइज़िग फ़िगर'</h1><p>1966 में अपनी मृत्यु के कई दशकों बाद भी भारतीय राजनीति में वीर सावरकर एक ‘पोलराइज़िग फ़िगर’ है. या तो वो आपके हीरों हैं या विलेन. </p><p>निरंजन तकले कहते हैं, &quot;साल 2014 में संसद के सेंट्रल हॉल में जब नरेंद्र मोदी सावरकर के चित्र को सम्मान देने वहाँ पहुंचे तो उन्होंने अनजाने में अपनी पीठ महात्मा गांधी की तरफ़ कर ली, क्योंकि गाँधीजी का चित्र उनके ठीक सामने लगा था.&quot; </p><p>&quot;ये आज की राजनीति की वास्तविकता है. अगर आपको सावरकर को सम्मान देना है तो आपको गाँधी की विचारधारा की तरफ़ पूरी तरह से पीठ घुमानी ही पड़ेगी. अगर आपको गांधी को स्वीकारना है तो आपको सावरकर की विचारधारा को नकारना होगा. शायद सही वजह है कि सावरकर अभी भी भारत में एक ‘पोलराइज़िंग फ़िगर’ हैं.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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