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महाराष्ट्र चुनावः विदर्भ का रुख़ किधर होगा, भाजपा या कांग्रेस?

<figure> <img alt="देवेंद्र फडणवीस, नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/046D/production/_109133110_6f681a8b-49e9-4645-acab-2d1258974e0a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र के इतिहास में विदर्भ का स्थान हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. </p><p>विदर्भ का सबसे बड़ा शहर नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी है. इसलिए नागपुर की अपनी राजनीतिक अहमियत है.</p><p>महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 62 केवल विदर्भ में है. </p><p>भारत के […]

<figure> <img alt="देवेंद्र फडणवीस, नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/046D/production/_109133110_6f681a8b-49e9-4645-acab-2d1258974e0a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र के इतिहास में विदर्भ का स्थान हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. </p><p>विदर्भ का सबसे बड़ा शहर नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी है. इसलिए नागपुर की अपनी राजनीतिक अहमियत है.</p><p>महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 62 केवल विदर्भ में है. </p><p>भारत के लगभग दस राज्य के कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या विदर्भ से कम है. </p><p>प्रशासनिक दृष्टि से विदर्भ को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है और ये हैं नागपुर और अमरावती. </p><p>महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में होता है. इसलिए विदर्भ की प्रशासन के नज़रिये से भी ख़ास अहमियत है.</p><p>जातीय समीकरण, विकास के मामले मे पिछड़ापन, यही विदर्भ की पहचान रही है. लेकिन ये सब बीते कुछ सालों से बदल रहा है. </p><p>मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दक्षिण पश्चिम नागपुर से चुनावी मैदान में हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इसी शहर से सांसद हैं. आइए एक नज़र विदर्भ की राजनीति पर डालते हैं.</p><figure> <img alt="मतदाता" src="https://c.files.bbci.co.uk/50CA/production/_109228602_7adc62d6-6c93-4bbe-8629-4ca0c2fe1860.jpg" height="351" width="624" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>कांग्रेस का गढ़</h1><p>विदर्भ पर हमेशा से कांग्रेस का प्रभाव रहा है. विदर्भ से आने वाले कांग्रेसी नेता हमेशा से दिल्ली के नेताओं के क़रीबी होने के लिए जाने जाते रहे हैं. </p><p>जातीय समीकरण का ख्याल रखते हुए कांग्रेस ने विदर्भ में अपनी जड़ें मज़बूत की थी. </p><p>विदर्भ ने महाराष्ट्र को मारोतराव कन्नमवार, वसंतराव नाइक, सुधाकरराव नाइक जैसे मुख्यमंत्री दिए हैं. </p><p>समय के साथ विदर्भ कांग्रेस में आंतरिक संघर्ष बढ़ा और बीजेपी और शिवसेना ने इसका फ़ायदा उठाया.</p><p>राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय नागपुर में स्थित होने के कारण भाजपा के कई नेता यहां से आए हैं. </p><figure> <img alt="विदर्भ के किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/29BA/production/_109228601_8cc0991b-9676-41e6-8de3-af396b4d29ec.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>आरएसएस के कार्यकर्ताओं की मदद से ही विदर्भ में भाजपा का विस्तार हुआ है. </p><p>भाजपा और आरएसएस ने न केवल दूसरी और तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व तैयार किया बल्कि वो कांग्रेस के अहम चेहरों को भी अपनी तरफ़ खींचने में सफल रहे.</p><p>इस बीच कांग्रेस का पतन शुरू हो गया और भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने विदर्भ में एक ठोस नींव रखी.</p><p>साल 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर में भाजपा की हवा चल रही थी. </p><p>इस बीच, विदर्भ में भाजपा शिवसेना का महत्व बढ़ने लगा और फिर विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार का गठन हुआ. </p><p>नागपुर के सांसद नितिन गडकरी को केंद्र में महत्वपूर्ण विभाग मिला.</p><p>गडकरी और फडणवीस जब सत्ता में नहीं थे तब भी वे विकास के मुद्दे को लेकर राजनीति में सक्रिय थे.</p><p>इसलिए लोग विदर्भ के विकास की उम्मीद कर रहे थे लेकिन विकास का वादा किस हद तक पूरा हुआ, यही इस चुनाव का महत्त्वपूर्ण मुद्दा है. </p><figure> <img alt="गडकरी के साथ चंद्रशेखर बावनकुले" src="https://c.files.bbci.co.uk/528D/production/_109133112_d3dedc0a-61db-4fbb-9eff-07f26b34982f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Facebook/Chandrashekhar Bawankule </footer> <figcaption>गडकरी के साथ चंद्रशेखर बावनकुले</figcaption> </figure><h1>महत्वपूर्ण मुद्दे</h1><p>जब विदर्भ की राजनीति की बात आती है, तो एक अलग विदर्भ का मुद्दा हमेशा चर्चा में होता है. </p><p>विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग-अलग वादे किए हैं. साल 2014 में जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें सत्ता में आईं तो इस मुद्दे को फिर से हवा मिली.</p><p>भाजपा के कई नेताओं ने अलग विदर्भ राज्य के गठन का वादा किया है, लेकिन ये वादा कहीं से भी पूरा होता नहीं दिख रहा है.</p><p>हाल के लोकसभा चुनावों में इस मुद्दे पर किसी तरह की चर्चा सुनने को नहीं मिली. </p><p>वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बीबीसी मराठी के राष्ट्र महाराष्ट्र कार्यक्रम में कहा था कि यदि भाजपा को बहुमत मिलता है तो विदर्भ राज्य की स्थापना का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.</p><p>इसी तरह के सपने भाजपा के नेता विदर्भ के लोगों को दिखाते रहे हैं. लेकिन इस संबंध में कुछ भी होता नहीं दिख रहा है. विदर्भ में इस मुद्दे को लेकर कोई ख़ास उत्साह नहीं है.</p><p>केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के केंद्र और राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर होने के कारण राज्य के लोगों की उम्मीदें बढ़ी थीं.</p><figure> <img alt="राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" src="https://c.files.bbci.co.uk/A0AD/production/_109133114_aaac21bc-1821-4b1b-8c66-03aa32890f41.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Facebook@RSSORG</footer> </figure><p>वरिष्ठ पत्रकार जयदीप हर्डिकर का कहना है, &quot;विकास नागपुर शहर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है, लेकिन ये विदर्भ के अन्य हिस्सों तक नहीं पहुंचा है.&quot;</p><p>उन्होंने कहा, &quot;केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है. वर्तमान चुनावों में इसका परिणाम दिखाई दे रहा है. इसलिए कुल मिलाकर मतदाताओं में एक तरह की निराशा है.&quot;</p><p>नागपुर के पूर्व भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा विधायक कृष्णा खोपड़े और मध्य नागपुर के उम्मीदवार विकास कुंभारे ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने का इरादा जताया है. </p><p>उन्होंने फडणवीस और गडकरी नेताओं के विकास कार्यों को बीबीसी मराठी के सामने रखा.</p><p>वहीं, मुख्यमंत्री के विरोधी रहे कांग्रेस उम्मीदवार आशीष देशमुख ने इस विकास के मुद्दे पर जोरदार विरोध किया. </p><p>वे कहते हैं कि जिस तरह से भाजपा विकास का चित्रण कर रही है, वैसा कोई विकास नहीं हुआ है.</p><p>विदर्भ की राजनीति में किसानों की समस्या भी एक प्रमुख मुद्दा है. आर्थिक सुस्ती के इस माहौल का असर कृषि क्षेत्र पर भी पड़ा है. </p><p>हालांकि इस साल अच्छी बारिश हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ क्षेत्रों में सूखे का सामना करना पड़ रहा है. पीने का पानी इस इलाके के लिए एक अहम सवाल है. </p><p>हालांकि हर्डिकर कहते हैं कि सरकारें पीने के पानी की समस्या को लेकर उदासीन रही हैं.</p><p>महाराष्ट्र की राजनीतिक फ़िज़ा को देखकर ये लगता है कि ये चुनाव मुद्दों के बजाय राजनीतिक दलों की स्थिति पर लड़ा जा रहा है.</p><figure> <img alt="यशोमती ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/9095/production/_109131073_ea40c874-3d51-46ab-bb1c-35bd94895157.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>'</strong><strong>बेरोज़गारी </strong><strong>एक प्रमुख मुद्दा है'</strong></p><p>सभी दलों ने पूरे राज्य में अलग-अलग यात्राएं कीं हैं. बीजेपी से कांग्रेस में आए नाना पटोले ने ‘महापर्दाफाश यात्रा’ शुरू की थी.</p><p>कांग्रेस विधायक यशोमती ठाकुर कहती हैं, &quot;प्रत्येक पार्टी के पास काम करने का एक तरीका है और हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं. हमारा अभियान ‘डोर-टू-डोर’ है.&quot;</p><p>उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस किसानों की कर्जमाफी, फसल बीमा, बेरोज़गारी पर चुनाव लड़ने जा रही थी. </p><p>वो कहती हैं, &quot;किसानों की आत्महत्या एक गंभीर सवाल है.&quot;</p><p>कांग्रेस नेता आशीष देशमुख कहते हैं, &quot;इसलिए, इस चुनाव में बेरोज़गारी एक प्रमुख मुद्दा है और कांग्रेस इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएगी.</p><p>देशमुख दक्षिण-पश्चिम नागपुर निर्वाचन क्षेत्र से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं.</p><hr /><p>पढ़ें:</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49963349?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनावः शरद पवार की मांद में कैसे घुसी बीजेपी </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50029172?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनाव: क्या वादे के मुताबिक़ किसानों के कर्ज़ माफ़ हुए? </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50019691?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र को सूखे के संकट से उबारने के सरकार के दावे में कितनी सच्चाई?</a></li> </ul><figure> <img alt="नितीन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/12CD5/production/_109131077_nitingadkri.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Hindustan Times/getty</footer> </figure><h1>नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस का प्रभाव</h1><p>नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस के बीच मुक़ाबले की ख़बरें राजनीतिक हलकों में दिखाई दे रही हैं. </p><p>चंद्रशेखर बावनकुले नितिन गडकरी के गुट में हैं, इसलिए उनका टिकट गिरा दिया गया था.</p><p>अंत में, चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच कोई अनबन नहीं थी. चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय देवेंद्र फडणवीस की रैली में नितिन गडकरी भी मौजूद थे.</p><p>विदर्भ के लोगों पर इन दोनों नेताओं का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक अविनाश दुधे कहते हैं, &quot;विदर्भ के लोग नितिन गडकरी और फडणवीस को अपना नेता मानते हैं,. इन दोनों नेताओं के ज़रिए विदर्भ में विकास के लिए बहुत निवेश आया है.&quot;</p><p>अविनाश दुधे आगे कहते हैं, &quot;जिस क्षेत्र में भाजपा के बड़े नेता मौजूद हैं, वहां निवेश अधिक चला गया है और पूरे विदर्भ में विकास नहीं पहुंचा है. विदर्भ के पिछड़े ज़िलों का पिछड़ापन बना हुआ है. इसका चुनावों पर भी असर पड़ सकता है.&quot;</p><p><strong>2014 विधानसभा </strong><strong>में विदर्भ की</strong><strong> स्थिति</strong></p><table><tr><th><p>पार्टी</p></th><th><p>विधायकों की संख्या</p></th></tr><tr><td><p>भारतीय जनता पार्टी</p></td><td><p>43</p></td></tr><tr><td><p>शिवसेना</p></td><td><p>4</p></td></tr><tr><td><p>राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी</p></td><td><p>2</p></td></tr><tr><td><p>काँग्रेस</p></td><td><p>10</p></td></tr><tr><td><p>अन्य</p></td><td><p>3</p></td></tr></table><h1>महत्वपूर्ण सीटें</h1><p>मुख्यमंत्री के अलावा, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, मदन येरावार और परिणय फुके फिर से चुनाव में शामिल हुए हैं.</p><p>लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी के ख़िलाफ़ लड़ने वाले नाना पटोले अपनी पारंपरिक सकोली निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं.</p><p>आम आदमी पार्टी ने ब्रह्मपुरी से पारोमिता गोस्वामी को उतारा है. उन्होंने बीबीसी मराठी से कहा, &quot;मैं अनुच्छेद 370 के सवालों और दिल्ली-मुंबई की समस्याओं के बजाय स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हूं.&quot; </p><p>अमरावती की सांसद नवनीत कौर राणा के पति रवि राणा बडनेरा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.</p><p>आशीष देशमुख मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ खड़े हैं. आशीष देशमुख के पिता रणजीत देशमुख ने भी देवेंद्र फडणवीस के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था.</p><p>11 लोकसभा क्षेत्रों और 62 विधानसभा क्षेत्रों वाले विदर्भ में इस समय भाजपा के पास 43, शिवसेना 4, एनसीपी 2 और कांग्रेस के पास 10 सीटें हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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