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मोदी सरकार क्या बजट में हुई चूक को अब सुधार पाएगी- नज़रिया

<p>पांच जुलाई को संसद में अपना पहला बजट पेश करने के कुछ ही महीने बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में बदलाव का ऐलान किया.</p><p>ये बदलाव इनकम टैक्स एक्ट 1961 और फ़ाइनैंस एक्ट 2019 में संशोधन करने वाले अध्यादेश से माध्यम से लागू होंगे जिसे कुछ सप्ताह पहले […]

<p>पांच जुलाई को संसद में अपना पहला बजट पेश करने के कुछ ही महीने बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में बदलाव का ऐलान किया.</p><p>ये बदलाव इनकम टैक्स एक्ट 1961 और फ़ाइनैंस एक्ट 2019 में संशोधन करने वाले अध्यादेश से माध्यम से लागू होंगे जिसे कुछ सप्ताह पहले ही संसद से मंज़ूरी मिली है.</p><p>शुक्रवार को दिया गया पैकेज मोदी सरकार की ओर से कुछ ही हफ़्तों में जारी किया गया चौथा ऐसा पैकेज है जिसने पांच जुलाई को पेश किए गए बजट को व्यावहारिक तौर पर पूरी तरह पलट दिया है. यह एक अभूतपूर्व क़दम भी है और साहस भरा भी. </p><p>इससे बिज़नस को लेकर उदासीनता भले माहौल को दूर करने और निवेशकों के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के खोए हुए आकर्षण को लौटाने में मदद मिलेगी.</p><p>मगर अभी इस क़दम को उठाना दिखाता है कि मोदी सरकार ने पांच जुलाई को बजट पेश करते हुए वर्तमान में गहराती आर्थिक सुस्ती से निपटने का मौक़ा गंवाया था. साथ ही, अगर पेचीदा समस्याओं से निपटना है तो यह काम आधे मन से कुछ करने या मात्र एक क़दम उठा लेने से नहीं हो सकता. </p><figure> <img alt="मज़दूर" src="https://c.files.bbci.co.uk/FB49/production/_108892346_75a11e20-ade4-44d0-9569-8638f03b4e7e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>क्या है बदलाव</h1><p>2016-17 से लेकर 2018-19 तक, इन तीन सालों में जीडीपी ग्रोथ में काफ़ी गिरावट देखने को मिली है- 8.2%, 7.2% और 6.8%. साल 2019 में अप्रैल से जून की तिमाही में तो जीडीपी ग्रोथ पिछली 25 तिमाहियों में सबसे कम रही. </p><p>निजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियों की कटौती की जा रही है. आर्थिक सुस्ती का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला है. कारों की बिक्री, खुदरा ऋण और प्रॉपर्टी की ख़रीद-फ़रोख़्त भी कई सालों के निचले स्तर पर हैं. </p><p>इससे पहले के कुछ हफ़्तों में वित्त मंत्री सीतारमण ने कई प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के इरादे से घोषणाएं की थीं. इनमें कुछ ऐलान तो ऐसे थे जिन्होंने पांच जुलाई को पेश किए गए बजट के प्रावधानों को ही पलट दिया. </p><figure> <img alt="निर्मला सीतारमण" src="https://c.files.bbci.co.uk/F379/production/_108892326_0031a300-575d-48c7-bbca-06f79bdd3f02.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>शुक्रवार को सरकार की ओर से उठाया गया क़दम काफी साहस भरा है क्योंकि इससे ख़ज़ाने पर असर पड़ेगा और हर साल 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा होगा. वह भी उस दौर में जब तय लक्ष्यों तक टैक्स की वसूली नहीं हो पा रही है. </p><p>शुक्रवार को किया गया मुख्य ऐलान था- कॉर्पोरेट मुनाफ़े पर लगने वाले टैक्स की दरों में कटौती. कॉर्पोरेट टैक्स को उन कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया जो अन्य रियायतों का लाभ नहीं उठाती हैं. अभी तक इस श्रेणी में सरचार्ज और सेस मिलाकर कुल टैक्स 34.94% था जिसे घटाकर 25.17 कर दिया गया है. </p><p>जो कंपनियां अक्तूबर या इसके बाद गठित होंगी और 31 मार्च 2023 से पहले उत्पादन शुरू कर देंगी, उनके ऊपर 25 प्रतिशत की जगह 14 प्रतिशत की दर लागू होगी.</p><p>सेस और सरचार्ज मिलाकर अभी यह दर 29.12 है. नए कर ढांचे के तहत यह दर 17.01 रह जाएगी. इन कंपनियों को मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स (एमएटी) चुकाने की भी ज़रूरत नहीं होगी. 17.01 फ़ीसदी की यह दर काफ़ी आकर्षक है. अमरीका में यह दर 21 प्रतिशत है और चीन में 25 फ़ीसदी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49552930?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’मोदी सरकार की इस चूक से लगा अर्थव्यवस्था पर ब्रेक'</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49541222?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मनमोहन सिंह बोले- अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर</a></li> </ul><figure> <img alt="फ़ैक्ट्री" src="https://c.files.bbci.co.uk/14199/production/_108892328_66147998-c987-461c-983b-66a602bea1f5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>क्या असर होगा</h1><p>नई टैक्स दरों में सभी सेक्टरों की सभी कंपनियों को डायरेक्ट कैश सेविंग का मौक़ा मिलेगा. नई दरों से कंपनियां प्रॉफ़िट बिफ़ोर टैक्स (पीबीटी) का दस फ़ीसदी बचा सकेंगी.</p><p>नई कंपनियों का गठन करके विनिर्माण क्षेत्र में ताज़ा निवेश करना हो तो नई कंपनी अपने पीबीटी में 18 फ़ीसदी तक की बचत कर सकती है. </p><p>ताज़ा घोषणा का लक्ष्य निवेश, खपत और ग्रोथ को बढ़ाना है. टैक्स में कटौती से कंपनियों की नेट इनकम तो बढ़ेगी. लेकिन शुक्रवार को की गई घोषणाएं आर्थिक सुस्ती को दूर करने में कितनी सफल हो पाएंगी, यह इस पर निर्भर करेगा कि कंपनियां अपने सरप्लस को रीइनवेस्टमेंट, कर्ज घटाने और शेयरहोल्डर को अच्छे रिटर्न्स देने में इस्तेमाल करेंगी या नहीं. </p><figure> <img alt="टैक्स" src="https://c.files.bbci.co.uk/0D01/production/_108892330_4bbb6418-d76b-4b02-9e21-f8a2a22af3d5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>वित्त मंत्री की घोषणा से सेंसेक्स में 1800 से अधिक अंकों का उछाल देखने को मिला और निफ़्टी भी 500 अंक चढ़ा. एक दशक में यह पहला मौक़ा है जब निवेशकों को एक दिन के कारोबार में सबसे अधिक लाभ हुआ. कुछ ही मिनटों में निवेशकों को 5 लाख करोड़ का फ़ायदा हुआ. </p><p>बाज़ार के मूड में अचानक आया यह सुधार संकेत देता है कि कारोबार को लेकर जो उदासी का माहौल बना हुआ था, उसमें बदलाव देखने को मिल सकता है.</p><p>शुक्रवार को हुए ऐलान से निवेशकों में भरोसा जग सकता है कि मोदी सरकार आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए साहसी क़दम उठाना चाहती है. शेयर बाज़ार के इस रुख़ से यह भी माना जा सकता है कि बाज़ार के उत्साह में जो कमी आई थी, उसमें फिर रवानी आ रही है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49528469?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ऐसे कैसे बनेगा भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49543609?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’भारतीय अर्थव्यवस्था पाँच से नहीं, शून्य की दर से बढ़ रही'</a></li> </ul><figure> <img alt="शेयर बाज़ार" src="https://c.files.bbci.co.uk/5B21/production/_108892332_2e412f08-539d-446f-ac65-0a00c4b38430.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>निवेश बढ़ेगा</h1><p>इस घोषणा के तात्कालिक प्रभाव के इतर, घटी हुई टैक्स दरों में भारत को निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बनाने की क्षमता है. टैक्स दरें उन पैमानों में से एक हैं, जिनके आधार पर वैश्विक कंपनियां फ़ैक्ट्री वगैरह लगाने के लिए किसी जगह का चुनाव करती हैं. </p><p>यह एक बड़ा सुधार है और लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा की जा रही थी. इस सुधार ख़ुद में एक सकारात्मक संदेश देता है और यह भारत को लेकर निवेशकों के रवैये को बदल सकता है.</p><p>यह इसलिए भी काफ़ी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमरीका और चीन के ट्रेड वॉर में फंसी कंपनियां चीन से निकलना चाहती हैं ताकि अमरीका द्वारा वहां से आयात पर लगाए गए भारी शुल्कों से बच सकें. </p><figure> <img alt="ट्रेड वॉर" src="https://c.files.bbci.co.uk/AD29/production/_108892344_9b86566e-939f-4ab2-af95-d3dac1c3f567.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>जब ये कंपनियां अमरीका को निर्यात करने के मक़सद से अपना उपक्रम लगाने और उत्पादन शुरू करने के लिए नई जगहों की तलाश करेंगी, तब भारत उन्हें काफ़ी आकर्षक लगेगा. अगर जीएसटी समेत पूरी कर प्रणाली को और सरल किया जाएगा तो इसकी संभावना और बढ़ जाएगी.</p><p>वित्त मंत्री ने कंपनियों को विकल्प दिया है कि वे घटे हुए कॉर्पोरेट टैक्स रेट या फिर पहले से जारी रियायतों में से एक को चुनें. इससे बचा जा सकता था और रियायतों को ख़त्म करके नई और साफ़-सुथरी टैक्स प्रणाली लाई जा सकती थी.</p><p>पर्सनल इनकम टैक्स में भी ऐसी की कमी लाई जा सकती थी और उसे और सरल किया जा सकता था. ऐसा करने से जीडीपी ग्रोथ रेट को तत्काल बढ़ाने में मदद मिलती क्योंकि त्योहारी सीज़न से पहले ग्राहकों के हाथ में टैक्स से बचा और पैसा आ जाता.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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