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Thursday, March 28, 2024

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महाराष्ट्र चुनाव: कमज़ोर हो चुकी एनसीपी में कितना दम बाक़ी है?

<figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/EACB/production/_108870106_0a3c92bb-2afa-4f89-9899-34da21636b6a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मुंबई में समुद्र के किनारे आबाद ऊंची इमारतों वाला वरली अमीरों का इलाक़ा माना जाता है. ये वो इलाक़ा हैं जहां शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का असर वर्षों से था मगर पिछले चुनावों में यहां शिवसेना ने इसकी जड़ें कमज़ोर कर दी […]

<figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/EACB/production/_108870106_0a3c92bb-2afa-4f89-9899-34da21636b6a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मुंबई में समुद्र के किनारे आबाद ऊंची इमारतों वाला वरली अमीरों का इलाक़ा माना जाता है. ये वो इलाक़ा हैं जहां शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का असर वर्षों से था मगर पिछले चुनावों में यहां शिवसेना ने इसकी जड़ें कमज़ोर कर दी हैं. </p><p>अब इसका बचा असर भी उस समय और कम हो गया, जब एनसीपी के बड़े नेता सचिन अहीर शिवसेना में शामिल हो गए.</p><p>सचिन अहीर पार्टी के संस्थापकों में से तो थे ही साथ ही मंत्री भी रह चुके थे और मुंबई में पार्टी प्रमुख भी. वो अपने समर्थकों के साथ शिवसेना में शामिल हो गए. सतारा के सांसद और एनसीपी के एक जाने-माने नेता उदयनराजे भोसले भी कुछ दिन पहले बीजेपी में शामिल हो गए. </p><p>दूसरी तरफ़ पुणे से 200 किलोमीटर दूर पवार परिवार के गढ़ बारामती में एनसीपी के ढेर सारे बैनर और पोस्टर जगह-जगह लगे हैं. नौजवान कार्यकर्ताओं में जोश है. यहां से सांसद हैं सुप्रिया सुले, जो शरद पवार की बेटी हैं. यहां पार्टी कार्यकर्ताओं को देख कर ऐसा नहीं लगता कि पार्टी संकट में है. </p><p>पार्टी के कार्यकर्ता अरविंद पाटील कहते हैं, &quot;हमारी पार्टी युवाओं की पार्टी है. किसानों और मज़दूरों की पार्टी है. इनकी तरफ़ किसी और पार्टी का ध्यान नहीं जाता.&quot; </p><p>पार्टी कार्यकर्ता इस बात से संतुष्ट थे कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में ये स्पष्ट हो गया कि पार्टी की साख गिरी नहीं है और दोनों पार्टियों ने 50-50 के आधार पर आपस में सीटों का बंटवारा कर लिया है.</p><p>जुलाई में जब सचिन अहीर ने पार्टी छोड़ी तो मालूम हुआ कि एनसीपी के कई और नेता पार्टी छोड़ने की क़तार में खड़े हैं. बाद में उदयनराजे भोसले जैसे कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ी भी. </p><p>शायद इसीलिए लोग ये समझने लगे कि पार्टी अब काफ़ी कमज़ोर हो गई है या ख़त्म होने के कगार पर है या फिर अपने 20 वर्ष के इतिहास में पहली बार अपने अस्तित्व के संकट से गुज़र रही है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49738685?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी और शिव सेना, किसको किसकी कितनी ज़रूरत?</a></p><figure> <img alt="एनसीपी" src="https://c.files.bbci.co.uk/56F9/production/_108856222_bda04a28-a857-4a45-b42a-7c5308410cc4.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>पार्टी के ‘मृत्युलेख’ भी लिखे गए</h3><p>पिछले कुछ महीनों से एनसीपी के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा रहा है. कुछ विश्लेषक समझते हैं कि पार्टी का वजूद ख़तरे में है. कुछ विश्लेषकों ने तो इसका ‘मृत्युलेख’ भी लिख डाला. </p><p>कुछ राजनीतिक पंडितों ने भविष्यवाणी कर रखी है कि पार्टी का कांग्रेस के साथ विलय हो जाएगा, यानी पार्टी 20 साल पहले जहां से आई थी, वहीं वापस लौट जाएगी.</p><p>हालांकि पार्टी के सबसे बड़े नेता शरद पवार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्हें नहीं लगता कि पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की वजह से पार्टी कमज़ोर होगी. </p><p>महाराष्ट्र के कई इलाक़ों का दौरा करने के बाद ऐसा लगता है कि एनसीपी के बारे में इन अटकलों पर विश्वास करना या इसका मृत्युलेख लिख देना एक बड़ी भूल हो सकती है. </p><p>पार्टी में संकट ज़रूर है. इससे पार्टी के नेता भी इनकार नहीं करते. एनसीपी के प्रमुख नेता नवाब मलिक के शब्दों में पार्टी को झटका ज़रूर लगा है लेकिन ये नौजवान नस्ल के लिए एक अवसर भी है. </p><p>वो कहते हैं, &quot;ये पेड़ इतने बड़े हो गए थे कि अग़ल-बग़ल में कोई पौधा ही नहीं लग पा रहा था. हमें लगता है इनके गिर जाने से नए पौधे लगेंगे.&quot;</p><p>नए पौधे लगने शुरू हो गए हैं. पार्टी ने अगले चुनाव में अपने उम्मीदवारों की जो लिस्ट बनायी है, उसमें युवा पीढ़ी को ख़ास जगह दी गई है. नवाब मलिक कहते हैं कि पार्टी में नई जान फूंकी जा रही है. हो सकता है वो इस बार जीत हासिल न कर सकें लेकिन भविष्य के लिए वो पार्टी का स्तंभ बन सकते हैं.</p><figure> <img alt="उदयनराजे भोसले" src="https://c.files.bbci.co.uk/4E8B/production/_108870102_c1379ec3-7efc-401e-a005-48fc6098595d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>उदयनराजे भोसले</figcaption> </figure><p>एनसीपी की एक नेता विद्या चौहान कहती हैं कि उनकी पार्टी बाक़ी पार्टियों की तरह व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं है. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;एनसीपी नए नेता तैयार करने वाली पार्टी है, नया नेतृत्व बनाने वाला दल है. जब पार्टी की स्थापना हुई थी, उस वक़्त सचिन अहीर जैसे नेता काफ़ी युवा थे. हमने महाराष्ट्र को नेताओं की एक नई पीढ़ी दी है.&quot;</p><p>2014 के चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े थे. एनसीपी को 40 और कांग्रेस को 41 सीटें मिली थीं. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने महाराष्ट्र पर 15 सालों तक लगातार राज किया था. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49565548?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कहीं एनसीपी में अकेले तो नहीं रह जाएंगे शरद पवार?</a></p><figure> <img alt="सचिन अहीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/15FFB/production/_108870109_e711e309-faf6-435b-be37-1a86160bf2e1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>एनसीपी छोड़कर शिवसेना में जाने वाले सचिन अहीर</figcaption> </figure><p><strong>'</strong><strong>लालच में पार्टी छोड़ रहे हैं लोग</strong><strong>'</strong></p><p>पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता और सियासी विश्लेषक एनसीपी के कमज़ोर होने के कई कारण बताते हैं. </p><p>पार्टी प्रवक्ता विद्या चौहान के अनुसार, लोग सत्ता के लालच में पार्टी छोड़ रहे हैं. वो कहती हैं, &quot;पार्टी पांच साल से सत्ता में नहीं है. जो लोग पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं, वो सत्ता के बग़ैर नहीं रह सकते लेकिन पार्टी को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा.&quot; </p><p>एनसीपी नेता नवाब मलिक का मानना है कि लगातार 15 साल सत्ता में रहने के बाद कार्यकर्ता आलसी हो गए थे. वो कहते हैं, &quot;लगातार सत्ता में बने रहने से कार्यकर्ताओं की जो धार थी वो कमज़ोर हो गई थी, उनमें ज़ंग लग गई थी.&quot;</p><p>शरद पवार पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में कैबिनेट मंत्री होने के अलावा हमेशा से महाराष्ट्र के एक क़द्दावर नेता भी रहे हैं. लेकिन उनकी ढलती उम्र और ख़राब स्वास्थ्य के कारण पार्टी में उनकी पकड़ कुछ कमज़ोर हो गई है. नवाब मलिक इससे सहमत हैं.</p><p>वो कहते हैं, &quot;उनकी उम्र हो गई अब लेकिन वो हमेशा नए लोगों का प्रोत्साहन करते रहे हैं. वो आज भी वही कर रहे हैं.&quot;</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48604238?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार की एनसीपी का भविष्य क्या है?</a></p><figure> <img alt="एनसीपी" src="https://c.files.bbci.co.uk/CC29/production/_108856225_84a29c6e-70ae-4b44-b68b-8cab64df23ef.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>अमित शाह</figcaption> </figure><h3>’पार्टी की सबसे बड़ी भूल…'</h3><p>वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ सुहास पलशीकर ने हाल ही में बीबीसी हिंदी के लिए अपने लेख में लिखा था कि एनसीपी को कांग्रेस से अलग होने का लाभ नहीं मिला. ये न ही अपनी अलग पहचान बना सकी और न ही राज्य से कांग्रेस को हटा सकी.</p><p>उन्होंने लिखा था, &quot;ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी. अब उधर की कांग्रेस लगभग ख़त्म हो चुकी है और तृणमूल कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी बन गई है. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी ने अलग पार्टी की स्थापना की और उधर भी कांग्रेस अब लगभग ख़त्म हो चुकी है. मगर एनसीपी महाराष्ट्र में ऐसा करिश्मा नहीं कर पाई.&quot;</p><p>वरिष्ठ पत्रकार विजय चोरमरे का मानना है कि एनसीपी की सबसे बड़ी भूल थी 2014 में बीजेपी की अल्पसंख्यक सरकार को बाहर से समर्थन देने का फ़ैसला. चोरमरे कहते हैं कि अपने इस फ़ैसले से पार्टी ने धर्मनिरपेक्ष वोट खो दिए.</p><figure> <img alt="सचिन अहीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/9CAB/production/_108870104_8373bcae-ae48-49da-8bae-a66f8a1c89df.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>’जब तक शरद पवार हैं, पार्टी भी रहेगी'</h3><p>हालांकि सचिन अहीर विद्या चौहान के आरोपों से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि वो शिवसेना में सत्ता हासिल करने के लिए नहीं आए हैं. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;हमें नहीं मालूम हमें टिकट मिलेगा या नहीं, हम चुनाव जीतेंगे या नहीं, हमें मंत्रालय मिलेगा या नहीं. पार्टी को अपनी कमियों को देखना चाहिए.&quot; </p><p>उन्होंने पार्टी छोड़ने के कई कारण बताए मगर उनके लिए सबसे बड़ा कारण था ‘पार्टी में आपस की अंदरूनी संवाद का ख़त्म हो जाना.’ </p><p>अहीर कहते हैं कि अलग-अलग मुद्दों पर पार्टी का पक्ष क्या था, ये संदेश स्पष्ट रूप से बाहर नहीं आता था. उन्होंने ये भी कहा कि शहरी इलाक़ों में पार्टी का विकास रुक गया था. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;मेरा निजी विकास रुक गया था. पार्टी ने शहरी इलाक़ों में सालों से ग्रोथ नहीं देखा. पार्टी जिस मक़सद से स्थापित हुई थी, वो अब भूल चुकी है&quot;</p><p>हालांकि इन सबके बावजूद महाराष्ट्र में एनसीपी पर गहरी नज़र रखने वाले लोग इसे हल्के में लेने के लिए तैयार नहीं हैं. </p><p>पिछले 20 साल तक पार्टी में रहे सचिन अहीर ख़ुद कहते हैं, &quot;शरद पवार ख़ुद एक विचारधारा हैं. जब तक वो हैं, पार्टी को नुक़सान नहीं होगा. पार्टी कमज़ोर हो सकती है लेकिन मिट नहीं सकती.&quot; </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48531383?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राज ठाकरे का एनसीपी-कांग्रेस के साथ जाना क्या आख़िरी विकल्प?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो सकते हैं.)</strong></p>

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