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पीरियड का ख़ून चेहरे पर लगाने वाली लड़की

<figure> <img alt="A woman uses water mixed with menstrual blood to water plants" src="https://c.files.bbci.co.uk/10C2F/production/_107355686_sangue2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Renata Chebel para DanzaMedicina</footer> </figure><p>27 साल की लौरा टेक्सीरिया हर महीने माहवारी के दौरान निकलने वाले ख़ून को इकट्ठा करके वह अपने चेहरे पर लगाती हैं. </p><p>इसके बाद बचे हुए ख़ून को पानी में मिलाकर अपने पेड़ों में […]

<figure> <img alt="A woman uses water mixed with menstrual blood to water plants" src="https://c.files.bbci.co.uk/10C2F/production/_107355686_sangue2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Renata Chebel para DanzaMedicina</footer> </figure><p>27 साल की लौरा टेक्सीरिया हर महीने माहवारी के दौरान निकलने वाले ख़ून को इकट्ठा करके वह अपने चेहरे पर लगाती हैं. </p><p>इसके बाद बचे हुए ख़ून को पानी में मिलाकर अपने पेड़ों में डालती हैं. </p><p>’सीडिंग द मून’ नाम की ये प्रथा कई पुरानी मान्यताओं से प्रेरित है, जिनमें माहवारी के ख़ून को उर्वरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता था. </p><p>इस प्रथा को मानने वाली महिलाएं अपने पीरियड को अपने ही अंदाज़ में जीती हैं. </p><p>लौरा बीबीसी को बताती हैं, &quot;जब मैं अपने पेड़ों में पानी डालती हूं तो मैं एक मंत्र का जाप करती हूँ, जिसका मतलब है- मुझे माफ़ करना, मैं आपसे प्यार करती हूं और आपकी आभारी हूँ.&quot;</p><p>लौरा कहती हैं कि जब वह अपने ख़ून को अपने चेहरे और शरीर पर लगाती हैं तो वह सिर्फ़ आँखें बंद करती हैं और शुक्रगुज़ार महसूस करती हैं, और अपने अंदर शक्ति का संचार होते हुए महसूस करती हैं. </p><p><strong>ताक़त </strong><strong>देने वाली प्रथा</strong></p><p>लौरा के लिए ये प्रथा महिलाओं को सशक्त बनाने से भी जुड़ी हुई है. </p><p>वह कहती हैं, &quot;समाज में सबसे बड़ा भेदभाव मासिक धर्म से जुड़ा हुआ है. समाज इसे ख़राब मानता है. सबसे बड़ा शर्म का विषय भी यही है क्योंकि महिलाएं अपने पीरियड के दौरान सबसे ज़्यादा शर्मसार महसूस करती हैं.&quot;</p><figure> <img alt="लौरा" src="https://c.files.bbci.co.uk/14E65/production/_107850658_f62f39e5-dd62-420c-915c-8746052c3237.jpg" height="1213" width="953" /> <footer>Laura Mocellin Teixeira</footer> </figure><p>साल 2018 में ‘वर्ल्ड सीड योर मून डे’ इवेंट को शुरू करने वालीं बॉडी-साइकोथेरेपिस्ट, डांसर और लेखक मोरेना कार्डोसो कहती हैं, &quot;महिलाओं के लिए सीडिंग द मून एक बहुत ही सरल और उनके मन को शक्ति देने वाला तरीक़ा है.&quot;</p><p>बीते साल इस इवेंट के दौरान दो हज़ार लोगों ने अपनी माहवारी के दौरान निकले ख़ून को पेड़ों में डाला था. </p><h3>महिलाओं का आध्यात्मिक काम</h3><p>मोरेना कहती हैं, &quot;इस कार्यक्रम के आयोजन का मकसद ये था कि लोग ये समझें कि माहवारी के दौरान निकलने वाला ख़ून शर्म का विषय नहीं है बल्कि ये सम्मान और ताक़त का प्रतीक है.&quot;</p><p>मोरेना के मुताबिक़, उत्तरी अमरीका (मेक्सिको समेत) और पेरू में ज़मीन पर माहवारी के दौरान निकलने वाले ख़ून को ज़मीन पर फैलाया गया ताकि उसे उर्वर बनाया जा सके.</p><figure> <img alt="सीडिंग द मून" src="https://c.files.bbci.co.uk/AF7E/production/_107762944_photo4902515125127325709.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ana Oliveira</footer> </figure><p>ब्राज़ील की यूनीकैंप यूनिवर्सिटी में 20 साल से इस मुद्दे पर शोध कर रहीं मानवविज्ञानी डानियेला टोनेली मनिका बताती हैं कि दूसरे समाजों में पीरियड के दौरान निकलने वाले ख़ून को लेकर एक बहुत ही नकारात्मक रुख़ है. </p><p>वह बताती हैं, &quot;माहवारी को बेकार का ख़ून बहना माना जाता है और इसे मल और मूत्र की श्रेणी में रखा जाता है जिसे लोगों की नज़रों से दूर बाथरूम में बहाना होता है.&quot; </p><p>1960 में महिलावादी आंदोलनों ने इस सोच को बदलने की कोशिश की थी और महिलाओं को उनके शरीर के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. </p><p>इसके बाद कई कलाकारों ने माहवारी से निकले ख़ून के प्रतीक का इस्तेमाल अपने राजनीतिक, पर्यावरणीय, सेक्शुअल और लैंगिक विचारों को सामने रखने में किया. </p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-45260913?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वक़्त पर पीरियड्स के लिए क्या खाएं क्या न खाएं </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45677336?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हम घरों के मंदिरों में पीरियड्स के दौरान महिलाओं के प्रवेश से रोक कब हटाएँगे?</a></li> </ul><hr /><h3>विशालकाय गर्भाशय</h3><p>इंटरनेट पर इस प्रथा के बारे में जानकारी पाने वालीं रेनेटा रिबेरियो कहती हैं, &quot;सीडिंग माई मून प्रथा ने मुझे पृथ्वी को एक बड़े गर्भाशय के रूप में देखने में मदद की. इस विशाल योनि में भी अंकुरण होता है जिस तरह हमारे गर्भाशय में होता है.&quot;</p><figure> <img alt="रेनेटो" src="https://c.files.bbci.co.uk/10045/production/_107850656_renata-horizonta.jpg" height="600" width="976" /> <footer>Sofia Ribeiro</footer> </figure><h1>आज भी कई जगह वर्जित</h1><p>दुनिया भर में 14 से 24 साल के बीच की उम्र वाली 1500 महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षणों में सामने आया है कि कई समाजों में आज भी ये विषय वर्जनाओं में शामिल है. </p><p>जॉन्सन एंड जॉन्सन ने ब्राज़ील, भारत, दक्षिण अफ़्रीका, अर्जेंटीना और फिलीपींस में ये अध्ययन किया. </p><p>इस अध्ययन में सामने आया कि महिलाएं सेनिटरी नैपकिन ख़रीदने में शर्म महसूस करती हैं. इसके साथ ही पीरियड के दौरान महिलाएं अपनी सीट से उठने में भी शर्म महसूस करती हैं. </p><p>फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ बहिया से जुड़ीं 71 साल की समाज मानव विज्ञानी सेसिला सार्डेनबर्ग बताती हैं कि उन्हें अपना पहला पीरियड उस दौर में हुआ था जब लोग मुश्किल से ही इस बारे में बात करते थे. </p><figure> <img alt="A drop of menstrual blood on a leaf on the floor" src="https://c.files.bbci.co.uk/1333F/production/_107355687_sangue.jpg" height="655" width="989" /> <footer>Mel Melissa para DanzaMedicina</footer> </figure><p>वह कहती हैं कि इस विषय से जुड़ी शर्म को दूर करने के लिए ज़रूरी है कि महिलाएं इस बारे में बात करें और आजकल की महिलाएं अपनी माहवारी को लेकर शर्मसार नहीं दिखती हैं. </p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-45322312?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पीरियड्स में महिलाओं का दिमाग तेज़ हो जाता है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-47108000?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वो दिन, जब महिलाएं असहनीय दर्द से गुजरती हैं..</a></li> </ul><hr /><h3>क्या हुए विवाद </h3><p>लौरा बताती हैं कि इस प्रथा के लिए सभी लोग तैयार नहीं हैं. </p><p>अपने अनुभव को साझा करते हुए वह कहती हैं, &quot;इंस्टाग्राम पर सिर्फ 300 लोग मुझे फॉलो करते थे. मैंने इस प्रथा का अनुसरण करने के बाद एक तस्वीर पोस्ट की.&quot;</p><p>लेकिन चार दिन बाद इंस्टाग्राम पर उनका मज़ाक उड़ाया गया. </p><p>ब्राज़ील के एक विवादित कॉमेडियन डेनिलो जेन्टिलि ने इस तस्वीर को अपने 16 मिलियन फॉलोअर्स के साथ साझा किया.</p><p>लेकिन उन्होंने लिखा, &quot;पीरियड के दौरान निकलने वाला ख़ून सामान्य है लेकिन उसे अपने चेहरे पर लगाना असामान्य है.&quot;</p><figure> <img alt="मोरेना, महिला, पीरियड" src="https://c.files.bbci.co.uk/12755/production/_107850657_97be116c-55b0-4a3f-86c9-bcbea41467c0.jpg" height="631" width="643" /> <footer>Morena Cardoso </footer> </figure><p>लेकिन इस पोस्ट पर 2300 से ज़्यादा कमेंट्स आए जिनमें से ज़्यादातर नकारात्मक थे. </p><p>लौरा कहती हैं कि ये किस्सा सिर्फ बताता है कि ये विषय आज भी कितना वर्जित है. </p><p>वह कहती हैं, &quot;लोग सोचते हैं कि अगर कोई चीज़ उनके लिए सामान्य नहीं है तो वह चीज़ ज़रूर ही एक ग़लत होगी. वह सोचते हैं कि वह अपने मोबाइल फोनों के पीछे छिपकर किसी को गालियां दे सकते हैं.&quot;</p><p>&quot;ये मेरे शरीर से निकला तरल पदार्थ है और ये मैं तय करूंगी कि कौन सी चीज असामान्य है और कौन सी चीज़ नहीं. मैं किसी अन्य व्यक्ति की ज़िंदगी में हस्तक्षेप नहीं कर रही हूं.&quot;</p><p>&quot;लोगों को भद्दी गालियां दिया जाना असामान्य होना चाहिए. मैं उस दिन ये करना बंद करूंगी जब लोग पीरियड के दौरान निकले ख़ून को प्राकृतिक चीज़ की तरह देखना शुरू कर दें.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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