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Thursday, March 28, 2024

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छत्तीसगढ़ः क्या कांग्रेस का किसानों की कर्ज़ माफी छलावा है ?

<figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/FA2D/production/_107954046_gettyimages-487217928.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बिलासपुर ज़िले के कराड़ गांव के रहने वाले उमेश दुबे इस बार फिर खेती के लिये कर्ज़ लेने की तैयारी में जुटे हुए हैं. </p><p>उन्होंने पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा से बीज-खाद और कीटनाशक के लिए तीन लाख रुपये का कर्ज़ लिया था. राज्य सरकार ने […]

<figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/FA2D/production/_107954046_gettyimages-487217928.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बिलासपुर ज़िले के कराड़ गांव के रहने वाले उमेश दुबे इस बार फिर खेती के लिये कर्ज़ लेने की तैयारी में जुटे हुए हैं. </p><p>उन्होंने पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा से बीज-खाद और कीटनाशक के लिए तीन लाख रुपये का कर्ज़ लिया था. राज्य सरकार ने जब पिछले साल दिसंबर में किसानों का अल्पकालीन कर्ज़ माफ़ करने की घोषणा की तो उन्हें लगा कि इस साल पहली बार बिना कर्ज़ लिए ही काम हो जायेगा.</p><p>लेकिन जब वो बैंक पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनकी कर्ज़ माफ़ी नहीं हुई है और उल्टे उन्हें ‘डिफॉल्टर’ घोषित कर दिया गया है.</p><p>उमेश दुबे कहते हैं, &quot;इस सरकार से भरोसा उठ गया. चुनाव से पहले कांग्रेस ने सभी किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था. उसके बाद सरकार बन गई तो अल्पकालीन कर्ज़ पर मामला अटक गया और अब देने की बारी आई तो वह वादा भी पूरा नहीं हुआ.&quot;</p><p>उमेश दुबे का कहना है कि उनके बैंक ने नया कर्ज़ देने से साफ़ मना कर दिया है. अब बाज़ार से भारी ब्याज पर कर्ज़ लेने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है.</p><p>दुबे अकेले नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में कर्ज़ माफ़ी की उम्मीद में बैठे हज़ारों किसानों की हालत उमेश दुबे जैसी ही है.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39507815?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या किसानों की कर्ज माफी पर पीएम मोदी फंस गए हैं?</a></li> </ul><figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/1484D/production/_107954048_agriculture-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>मुश्किल में किसान</h1><p>छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार द्वारा किसानों की कर्ज़ माफ़ी की घोषणा के सात महीने होने को आये हैं, लेकिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में किसान परेशान हैं.</p><p>बरसात शुरु हो गई है. खेतों में धान लगाने की तैयारी चल रही है लेकिन कई बैंकों ने बीज-खाद के लिये किसानों को कर्ज़ देने से साफ़ मना कर दिया है. हालत ये है कि राज्य के कई सहकारी बैंकों ने भी हाथ खड़े कर दिये हैं.</p><p>बैंकों का कहना है कि जब तक राज्य सरकार बैंकों को पूरा पैसा ज़मा नहीं करती, तब तक पहले से कर्ज़दार किसानों को नया कर्ज़ नहीं दिया जा सकता.</p><p>बिलासपुर स्थित भारतीय स्टेट बैंक के रीजनल मैनेजर एमएन परिदा ने बीबीसी से कहा, &quot;आज की तारीख़ तक कृषि ऋण के खाते में केवल 55 प्रतिशत रक़म ही सरकार की ओर से जमा की गई है. हम केवल उन किसानों को ही नये कर्ज़ दे रहे हैं, जिनके पास लिमिट है.&quot;</p><p>हालांकि राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे का दावा है कि राज्य में मुश्किल से 2-3 प्रतिशत ही किसान ऐसे होंगे, जिनकी अल्पकालीन कर्ज़ा माफ़ होने की प्रक्रिया बची हुई होगी.</p><p>रवींद्र चौबे ने कहा, &quot; कर्ज़ माफ़ी का असर सब तरफ़ नज़र आ रहा है. किसान खेती-बाड़ी में पूरे उत्साह से जुटे हुये हैं. नये घर बना रहे हैं, बच्चों की शादी-ब्याह की तैयारी कर रहे हैं. ऑटोमोबाइल सेक्टर में बूम नज़र आ रहा है. किसान मोटरसाइकिलें ख़रीद रहे हैं. पिछले 50 सालों में पहली बार किसान इतना ख़ुश है.&quot;</p><p>लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पास अपने आंकड़े हैं.</p><p>रमन सिंह का दावा है कि सहकारी बैंक, ग्रामीण बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंकों के कुल 12,468 करोड़ रुपये में से केवल 62 प्रतिशत किसानों के ही कर्ज माफ़ हुये हैं.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47608176?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या मोदी ने सच में अपने उद्योगपति दोस्तों के क़र्ज़ माफ़ किये?</a></li> </ul><figure> <img alt="मुख्यमंत्री भूपेश बघेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/01BD/production/_107954400_cmbhupeshbaghel-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG PRD</footer> <figcaption>मुख्यमंत्री भूपेश बघेल</figcaption> </figure><h1>वादा</h1><p>असल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में राज्य में सरकार बनने पर 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था. </p><p>पिछले साल दिसंबर में सरकार बनी तो 17 दिसंबर को शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के अल्पकालीन कृषि ऋण माफ़ करने के आदेश जारी भी कर दिये. सरकार का दावा था कि इस फ़ैसले से राज्य के 16 लाख से अधिक किसानों को 6100 करोड़ रूपए के कर्ज़ से मुक्ति मिलेगी.</p><p>लेकिन कर्ज़ माफ़ी के दायरे में उन्हीं किसानों को रख गया, जिन्होंने सहकारी बैंकों या छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से कर्ज़ लिया था. </p><p>इसके बाद विपक्षी दलों ने जब विरोध शुरु किया तो सरकार ने 21 राष्ट्रीयकृत बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक, यूनाइटेड बैंक, देना बैक और विजया बैंक के भी अल्पकालीन कृषि ऋण माफ़ करने की घोषणा की.</p><p>राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे कहते हैं, &quot;हमने केवल अल्पकालीन कृषि ऋण माफ़ करने की बात कही है. दूसरा ये कि 21 राष्ट्रीयकृत बैंकों के अलावा जो निजी बैंक हैं, उनका ऋण हमने माफ़ करने की बात नहीं की थी. तीसरी ये कि सहकारी बैंक प्रति एकड़ जितना ऋण देते हैं, वही सीमा राष्ट्रीयकृत बैंकों की भी होगी.&quot;</p><p>लेकिन कृषि मंत्री के दावे से उलट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अमित जोगी का कहना है कि राज्य सरकार की घोषणा के छह महीने बाद भी किसानों की मुश्किल कम नहीं हुई है.</p><p>जोगी के अनुसार जून तक छत्तीसगढ़ के 7 ज़िला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के संचालन करने वाले एपेक्स बैंक को छत्तीसगढ़ के 2,78,652 पंजीकृत किसानों का 4047 करोड़ का अल्पक़ालीन क़र्ज़ माफ़ करने हेतु पैसे ही नहीं दिये गये.</p><p>उन्होंने दावा किया कि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के अंतर्गत आने वाले 4 जिले- मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और कोरबा में 48000 किसानों का 246.91 करोड़ का अल्पकालीन क़र्ज़ माफ़ करने के लिए 6 महीने में 9 पत्र लिखने के बाद भी सरकार ने एक फूटी कौड़ी नहीं दी गई.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48777525?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राजस्थानः किसान पर था दो-दो बैंकों का क़र्ज़</a></li> </ul><figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/4FDD/production/_107954402_agriculture-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>आंकड़े</h1><p>हमने कुछ राष्ट्रीयकृत बैंक के अधिकारियों से भी बातचीत की. उनका कहना था कि सरकार की ओर से जो रक़म मिली है, वह आधी अधूरी है. यही कारण है कि किसानों के खाते में अब भी कर्ज़ की रक़म दर्ज़ है.</p><p>हमारे पास जो दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, उसके अनुसार राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर में सहकारी बैंकों से कर्ज़ लेने वाले 13.46 लाख किसानों के 5260.15 करोड़ रुपये माफ़ करने की घोषणा की थी.</p><p>इसके अलावा छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से कर्ज़ लेने वाले 1.79 लाख किसानों का 1208.33 करोड़ माफ करने का दावा किया गया. लेकिन आंकड़ों के अनुसार किसानों के खाते में केवल 701.11 करोड़ की रकम ही पहुंची और सरकार ने शेष बची रकम बैंकों को दी ही नहीं.</p><p>इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के 21 व्यावसायिक बैंकों से कर्ज लेने वाले 2.72 लाख किसानों के 2441.25 करोड़ रुपये कर्ज़ माफ़ करने का दावा किया गया था लेकिन इन किसानों के खाते में 15 जून तक तो सरकार ने फूटी कौड़ी नहीं जमा की. </p><p>बाद में सरकार ने बैंकों को केवल 899.21 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया और 1542.04 करोड़ की रकम बैंकों को दी ही नहीं.</p><p>संकट ये हुआ कि छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यावसायिक बैंकों ने सरकार से मिली हुई आधी-अधूरी रकम को समानुपातिक रुप से किसानों के खाते में जमा कर दिया. यानी किसानों के खाते में भी आधी-अधूरी रकम ही जमा की गई और किसान बैंक के कर्ज़दार बने रह गये.</p><p>बिल्हा के भाजपा नेता और जनपद उपाध्यक्ष विक्रम सिंह कहते हैं, &quot;मैंने 11 लाख 90 हज़ार का अल्पकालीन कर्ज़ लिया था. अब तक बैंक में केवल 1.35 लाख रुपये सरकार की ओर से जमा करवाये गये हैं. मुझे बैंक ने डिफॉल्टर भी घोषित कर दिया और कर्ज़ देने से भी इंकार कर दिया. भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों से बड़ा धोखा किया है.&quot;</p><p>हालांकि मुंगेली ज़िले के गिधा गांव में खेती-बाड़ी में जुटे छत्तीसगढ़ के किसान नेता आनंद मिश्रा का कहना है कि किसानों की कर्ज़ माफ़ी का सरकार का फैसला ऐतिहासिक है. आनंद मिश्रा के अनुसार सहकारी बैंकों में कर्ज़ माफ़ी का हाल तो ठीक है लेकिन सरकार को राष्ट्रीयकृत बैंकों की ओर ध्यान देना चाहिये.</p><p>वे कहते हैं, &quot;सरकार राज्य स्तर पर बैंकों को कर्ज़ की रक़म चुकाने का आश्वासन दे दे तो निचले स्तर पर किसान कर्ज़ की समस्या से मुक्त हो जायेंगे.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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