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रिचा को क़ुरान बाँटने का आदेश कोर्ट ने वापस लिया

झारखंड की उस अदालत ने रिचा भारती को कुरान की पांच प्रतियां बांटने के आदेश को बदल दिया है, जिस अदालत ने उन्हें यह सजा सुनाई थी. अदालत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुरान की पांच प्रतियां बांटने के आदेश को लागू करने में मुश्किलों को देखते हुए इसे हटा […]

झारखंड की उस अदालत ने रिचा भारती को कुरान की पांच प्रतियां बांटने के आदेश को बदल दिया है, जिस अदालत ने उन्हें यह सजा सुनाई थी.

अदालत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुरान की पांच प्रतियां बांटने के आदेश को लागू करने में मुश्किलों को देखते हुए इसे हटा दिया गया है.

दरअसल इस मामले के जांच अधिकारी ने अदालत को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस आदेश को लागू कराने की मुश्किलों की बात करते हुए इसे हटाने की अपील की थी, जिसे अदालत ने मान लिया है.

इससे उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में शुरू हुआ विवाद थम जाएगा.

वैसे आदेश के ख़िलाफ़ राँची बार एसोसिएशन से जुड़े वकीलों ने न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह की कोर्ट में 48 घंटे तक न्यायिक कार्यों में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया था. यह मियाद गुरुवार की शाम ख़त्म होने वाली थी, उससे पहले ही अदालत ने अपना फ़ैसला वापस ले लिया है.

बुधवार को किसी भी अधिवक्ता ने उनकी कोर्ट में हाजिरी नहीं लगाई और सिविल कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन भी किया. इस कारण कोर्ट में काम बाधित रहा.

इससे पहले, राँची के वीमेंस कॉलेज में ‘कॉमर्स’ की पढ़ाई कर रहीं रिचा भारती ने कहा है कि उन्होंने ‘इतिहास’ की किताबें भी पढ़ी हैं. उन्हें पता है कि हिंदुओं के ख़िलाफ़ एक धर्म विशेष के लोग कैसे एकजुट हो जाते हैं. वे मानती हैं कि उनका जेल जाना ऐसी ही एकजुटता का परिणाम है. इस कारण वे दुखी हैं.

उन्होंने कहा कि वे अदालत की उस शर्त के विरोध में हाईकोर्ट में अपील करेंगी, जिसमें उन्हें कुरान की पांच प्रतियां बाँटने का आदेश दिया गया था. यह शर्त राँची सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने रिचा पटेल को ज़मानत देते वक्त लगाई थी.

रिचा पटेल उर्फ रिचा भारती पर आरोप है कि उनके फ़ेसबुक और व्हाट्सएप पोस्ट से इस्लाम मानने वाले लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. इससे सामाजिक सदभाव बिगड़ सकता है. इसके बाद पुलिस ने 12 जुलाई की शाम उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

कुरान बांटने की शर्त मेरे मौलिक अधिकारों का हनन: रिचा पटेल

नरेंद्र मोदी की समर्थक हैं रिचा

इस बीच रिचा पटेल ने बीबीसी से कहा, ‘मैंने लोकसभा चुनावों के वक्त से अपने फ़ेसबुक पेज पर हिंदू धर्म से संबंधित कुछ पोस्ट लिखना और शेयर करना शुरू कर दिया. मैं चाहती थी कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनें. इसलिए मैंने कुछ-कुछ पोस्ट लिखे और दूसरे लोगों द्वारा लिखे गए कुछ पोस्ट शेयर भी किए. मैं चाहती हूं कि लोग अपने-अपने धर्मों का आदर करें लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कोई मुझे मस्जिद में जाने और क़ुरान बाँटने के लिए विवश करे. मैं इसका विरोध करती हूं.’

रिचा ने यह भी कहा, ‘मेरे वकील ने फ़ैसले की सर्टिफाइड कॉपी के लिए आवेदन किया है. उसके मिलते ही मैं अपने न्यायिक अधिकारों के तहत हाईकोर्ट में अपील करुंगी. मुझे देश भर के लोगों का समर्थन मिल रहा है और लोगों ने मुझे आर्थिक मदद देने की पेशकश की है. इसके लिए मैं उनकी आभारी हूं. हालांकि, मुझे कोई आर्थिक मदद अभी तक नहीं मिली है.’

वकीलों ने क्यों किया विरोध

राँची बार एसोसिएशन के महासचिव कुंदन प्रकाशन ने बीबीसी से कहा कि न्यायिक दंडाधिकारी या जस्टिस को यह अधिकार है कि वे किसी मामले की सुनवाई कर फैसला सुनाएं. लेकिन, किसी हिंदू लड़की को क़ुरान बाँटने की शर्त पर ज़मानत देना तो समाज के सदभाव को और बिगाड़ेगा.

उन्होंने बीबीसी से कहा, ‘रांची बार के पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लेकर बुधवार को ज्यूडिशियल कमिश्नर (जेसी) से मुलाक़ात की. उन्होंने हमें 48 घंटे के अंदर इस मामले के समाधान का भरोसा दिलाया है. तब तक हमलोग न्यायिक दंडाधिकारी मनीष सिंह जी की कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे. उनका व्यवहार पहले से भी ख़राब रहा है. इसलिए हमने उनके तबादले की मांग की है.’

रिचा के घर लोगों की भीड़

इधर, ज़मानत पर जेल से बाहर आने के तीसरे दिन भी उनके घर पर मीडिया और विभिन्न हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों की भीड़ जुटी रही. सनातन हिंदू समाज से जुड़े लोगों ने उनके घर जाकर गीता की पांच प्रतियां दीं और कहा कि क़ुरान बाँटने से बेहतर है कि रिचा श्रीमद भागवत गीता बाँटे.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव और कुछ और नेताओं ने भी रिचा के घर जाकर उनसे और उनके परिवार वालों से बातचीत की है. इस बीच वे सोशल मीडिया पर ट्रेंड करती रहीं और ट्विटर पर उनकी आर्थिक मदद के लिए क्राउड फंडिंग से संबंधित अपील भी की गई.

गीता बांटेंगे मुस्लिम नौजवान

इस बीच चर्चित सोशल एक्टिविस्ट नदीम ख़ान और उनके साथियों ने 18 जुलाई को राँची के संकट मोचन मंदिर में गीता की प्रतियां बांटने की घोषणा की है.

उन्होंने बीबीसी से कहा, ‘भारत का चरित्र ही धर्मनिरपेक्ष है. कुछ लोग चुनावों के वक्त हिंदुओं और मुसलमानों के बीच वैमन्सय पैदा कर सियासी लाभ लेने की कोशिश करते हैं. हमारा अभियान इसी मंशा के ख़िलाफ़ है. हम चाहते हैं कि समाज में सांप्रदायिक सदभाव रहे. इसलिए हम लोग गीता बाँटने जा रहे हैं. ज़रूरत पड़ी तो आने वाले दिनों में हम लोग संविधान की प्रतियां भी बांटेंगे.’

महाधिवक्ता की टिप्पणी

इस बीच झारखंड के एडवोकेट जनरल अजीत कुमार ने मीडिया से कहा कि उन्हें कोर्ट की शर्त में कुछ भी अनुचित नहीं लगता. क़ुरान बांटने की शर्त लगाते वक्त न्यायिक दंडाधिकारी की यह मंशा रही होगी कि लोग सभी धर्मों का आदर करें. इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए. वहीं, रांची पुलिस ने भी एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से भड़काऊ पोस्ट शेयर नहीं करने की अपील की है.

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