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राशन कार्ड से पानी हासिल करने को मजबूर क्यों हैं ये लोग

<figure> <img alt="चिंतोली गांव" src="https://c.files.bbci.co.uk/F93D/production/_107350836_ca4aa972-aabf-49dc-a696-941f1f8cd47c.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>कभी यहां टैंकर से पानी हासिल करने के लिए लड़ाई झगड़े हुआ करते थे जिनमें आम लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते थे. </p><p>लेकिन अब महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के चिंचोली गांव में राशन कार्ड के आधार पर हर परिवार को 200 लीटर पानी देना […]

<figure> <img alt="चिंतोली गांव" src="https://c.files.bbci.co.uk/F93D/production/_107350836_ca4aa972-aabf-49dc-a696-941f1f8cd47c.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>कभी यहां टैंकर से पानी हासिल करने के लिए लड़ाई झगड़े हुआ करते थे जिनमें आम लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते थे. </p><p>लेकिन अब महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के चिंचोली गांव में राशन कार्ड के आधार पर हर परिवार को 200 लीटर पानी देना शुरू कर दिया है. </p><p>बुलढाणा ज़िले में स्थित सभी बांध पानी की कमी से जूझ रहे हैं. सभी बड़े, मंझले और छोटे बांधों में से सत्तर फीसदी बांधों में पानी पूरी तरह ख़त्म हो चुका है. </p><p>चिंचोली गांव में सुबह पांच बजे टैंकर पहुंचता है. इसके बाद यहां रहने वालीं मीरा दबेराओ अपने सिर पर कई घड़े और कई बाल्टियां लेकर उस लाइन में लगती हैं. </p><p>कभी-कभी ऐसा होता है कि उनका नंबर आने से पहले ही टैंकर का पानी ख़त्म हो जाता है और उन्हें बिना पानी के घर पहुंचना पड़ता है. </p><p>मीरा कहती हैं, &quot;अकाल की वजह से हमने अपने कुछ जानवरों को बेच दिया है. और कुछ जानवरों को अपने रिश्तेदारों के घरों में पहुंचा दिया है. हमारे गांव के सभी कुंए पूरी तरह से सूख चुके हैं. ऐसे में हमारे गांव में हर रोज़ दो टैंकर आते हैं और हम इन टैंकरों पर ही आश्रित हैं. कभी-कभी राशन कार्ड के आधार पर हमारा नंबर आने से पहले ही पानी ख़त्म हो जाता है.&quot;</p><p>मीरा बताती हैं, &quot;कुछ दिन पहले यहां कुछ नेता आए थे, उन्होंने अकाल-प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पानी उपलब्ध कराएंगे लेकिन इस क्षेत्र में पानी की समस्या अभी भी ख़त्म नहीं हुई है. हम उन लोगों को वोट देते हैं जो पानी देने का आश्वासन देते हैं. लेकिन हर ये आश्वासन खोखले साबित होते हैं. ऐसे में हमें नहीं पता कि हम किसके पास जाकर पानी मांगे.&quot;</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48573442?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांव जो साल में सिर्फ़ एक बार पानी से बाहर आता है</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48568818?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ग़रीबों की पहुंच से दूर होता जा रहा है पानी</a></li> </ul><h1>टैंकरों की संख्या पर्याप्त नहीं</h1><p>चिंचौली गांव की जनसंख्या 3650 है और इतने लोगों के लिए दो टैंकर पर्याप्त नहीं हैं. पानी का टैंकर गांव में साढ़े पांच बजे और 12 बजे दोपहर में आता है. </p><p>किसान दोपहर में अपने काम में व्यस्त रहते हैं. लेकिन उन्हें अपना काम छोड़कर टैंकर का इंतज़ार करना पड़ता है. गांववालों को भी टैंकर के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है क्योंकि टैंकर टाइम से नहीं आता है. </p><p>रमेश वानखेड़े टैंकर का इंतज़ार करने वाले ऐसे ही तमाम गांववालों में से एक हैं. </p><p>वानखेड़े बताते हैं, &quot;पाँच साल से गाँव पानी की कमी से जूझ रहा है. टैंकरों से जो पानी मिलता है वो पर्याप्त नहीं है. गांववालों को हर रोज़ लगभग चार से पांच टैंकरों की ज़रूरत होती है. लेकिन हमें सिर्फ दो टैंकर मिल रहे हैं. हर परिवार को जितना पानी मिलता है वो उनकी ज़रूरत के लिहाज़ से काफ़ी कम है. अगर पानी की पूर्ति नहीं होगी तो हम अपने जानवरों को ज़िंदा कैसे रख पाएंगे.&quot;</p><p>रमेश वानखेड़े ने भी मीरा दबेराओ की तरह अपने पालतू जानवरों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया है. </p><figure> <img alt="देवेंद्र फडनवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/1204D/production/_107350837_37e44da7-8317-4790-a7b3-a45341e7834b.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लेकिन वानखेड़े के घर में अब भी कुछ जानवर हैं लेकिन उन्हें ज़िंदा रखना मुश्किल हो रहा है.</p><p>वानखेड़े कहते हैं, &quot;पानी की कमी के चलते कई जानवरों की मौत हो गई है और हमारे कई मवेशी मरने की हालत में हैं. अब से दो तीन महीने पहले गांव में टैंकर आते ही लोगों के बीच झगड़े शुरू हो जाते थे. ऐसे में हमारे प्रधान ने राशन कार्ड के आधार पर पानी देने का फैसला किया. अब झगड़े कम हो गए हैं लेकिन लोगों का नंबर आने से पहले ही पानी ख़त्म हो जाता है.&quot;</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48545575?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जहां पानी के टैंकर से तय होते हैं शादी के मुहूर्त</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-earth-48424982?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फ़ैशन की कीमत चुकाते बेज़ुबान जानवर</a></li> </ul><hr /><h1>क्या है समस्या का निदान</h1><p>चिंचौली गांव में रहने वाले एक अन्य नागरिक सखाराम भंजवाढे इस समस्या के निदान की ओर इशारा करते हैं. </p><p>भंजवाढे बताते हैं, &quot;पिछले दो सालों में हमारे गांव में टैंकर से पानी आ रहा है. बांध से पानी ले जाने वाली पाइपलाइन हमारे गाँव से चार किलोमीटर की दूरी पर आ गई है. अगर वो पाइप लाइन हमारे गांव में आ जाती है तो हमारी पानी की दिक्कत दूर हो जाएगी.&quot;</p><p>बीबीसी ने इस गांव के प्रधान संजय इंगले से बात करके ये समझने का प्रयास किया है कि इस योजना से कितना लाभ हुआ.</p><p>इंगले कहते हैं, ” हमारा गांव गंभीर रूप से अकाल की चपेट में है. सरकार की ओर से टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने की स्वीकृति मिल गई है. लेकिन बीते तीन महीनों में कई बार ये देखने में आया कि लोग दौड़कर चलते हुए टैंकर पर चढ़ गए. हम ये नहीं चाहते थे कि पानी की वजह से किसी का एक्सीडेंट हो जाए. ऐसे में हमनें राशन कार्ड के जरिए से हर परिवार को 200 लीटर पानी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी. </p><p>इंगले बताते हैं कि चिंचोली में इस समय 11 हैंडपम्प और पाँच सरकारी कुएँ हैं लेकिन इनमें पानी नहीं है.</p><p>इस गांव के पास वान धनोदी बांध परियोजना स्थित है. गांववालों की मांग है कि उन्हें इस बांध से पानी मिलना चाहिए और वे सरकार से इसकी मांग कर रहे हैं.</p><p>इंगले ने संवाद-सेतु कार्यक्रम के दौरान अपनी ये मांग मुख्यमंत्री के सामने रख चुके हैं. लेकिन इन गांव वालों का पानी को लेकर संघर्ष कब ख़त्म होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और 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