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मोदी के शपथग्रहण समारोह में कुछ ख़ास मेहमान भी होंगे

<p>&quot;मेरे पति ने मोदी जी की जीत के लिए अपना बलिदान दिया है. हमें न्याय चाहिए. अब जब प्रधानमंत्री ने हमें शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली बुलाया है तो उम्मीद है कि वे हमें न्याय भी दिलाएंगे.&quot; चंदन साव की पत्नी आरती देवी डबडबाई आंखों से यह कहते हुए शून्य में खो […]

<p>&quot;मेरे पति ने मोदी जी की जीत के लिए अपना बलिदान दिया है. हमें न्याय चाहिए. अब जब प्रधानमंत्री ने हमें शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली बुलाया है तो उम्मीद है कि वे हमें न्याय भी दिलाएंगे.&quot; चंदन साव की पत्नी आरती देवी डबडबाई आंखों से यह कहते हुए शून्य में खो जाती हैं. </p><p>उनके पति चंदन साव पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के सबसे ताजा शिकार हैं. कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के भाटपाड़ा इलाके में बीती 26 मई को कुछ अज्ञात लोगों ने चंदन की गोली मार कर हत्या कर दी थी. उस समय वे मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे.</p><p>आरती देवी कहती हैं, &quot;मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और परवरिश बेहतर तरीके से हो और पति के हत्यारों को सजा मिले. मोदी से मुलाकात होने पर आरती उनसे यही गुहार लगाएंगी.&quot;</p><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वृहस्पतिवार शाम को जब अपने सहयोगियों के साथ शपथ लेंगे तो समारोहस्थल पर एक कोने में लगभग सौ ख़ास लोग भी मौजूद रहेंगे. </p><p>ये लोग हैं पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के दौरान कथित तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हाथों मारे गए 54 बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के परिजन. </p><p>प्रदेश बीजेपी की पहल पर इन परिवारों के दो-दो सदस्य बुधवार को कोलकाता से ट्रेन से दिल्ली रवाना हो गए. आरती देवी भी इसी समूह का हिस्सा हैं.</p><p>अगले साल होने वाले कोलकाता नगर निगम और 2021 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने अपनी दूरगामी रणनीति के तहत हिंसा में मारे गए इन लोगों के परिजनों को शपथग्रहण समारोह का न्योता दिया है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48446994?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जीः मोदी जी, माफ़ करें, मैं नहीं आ सकती</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48291467?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर भड़कना कितना जायज़? </a></li> </ul><h1>’अभियुक्त खुला घूम रहा है'</h1><p>उसका मकसद यह संदेश देना है कि बीजेपी और उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार बंगाल में पार्टी के लिए काम करने वालों के साथ खड़ी है.</p><p>हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता संदीप चौधरी के भाई सौरभ चौधरी बताते हैं, &quot;वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने मेरे भाई का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी. वह बीजेपी का बूथ एजेंट था. लेकिन मुख्य अभियुक्त आज तक खुला घूम रहा है.&quot; </p><p>लेकिन बावजूद इसके सौरभ कहते हैं कि अगर प्रधानमंत्री से मुलाकात का मौका मिला तो यही कहेंगे कि बंगाल में राजनीति के मुद्दे पर हिंसा नहीं होनी चाहिए.</p><p>पुरुलिया में बीते साल जून में दुलाल कुमार का शव रहस्यमय हालात में एक खंभे से लटकता मिला था. उनके पुत्र सुरेन कहते हैं, &quot;प्रधानमंत्री ने हमें दिल्ली बुला कर काफी सम्मान दिया है. लेकिन मेरे पिता को अपनी जान देकर राजनीति करने की कीमत चुकानी पड़ी है. फिर भी यह सम्मान अच्छा लग रहा है.&quot;</p><p>बीजेपी का आरोप है कि बीते पांच-छह साल के दौरान बंगाल में राजनीतिक हिंसा के दौरान उसके कम से कम 80 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं. लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों का खंडन किया है. अब ताजा मामले के बाद दोनों दलों के बीच एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48290906?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बंगाल में TMC और BJP की जंग, सीन से कहां ग़ायब है लेफ़्ट?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48279013?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पश्चिम बंगाल की चुनावी हिंसा क्या इस बार अलग है?</a></li> </ul><p>बुधवार सुबह तक मोदी के शपथग्रहण समारोह में जाने के लिए तैयार ममता बनर्जी ने इन 54 लोगों के परिजनों को समारोह में ले जाने की बात सुनते ही अपना फैसला बदल दिया. </p><p>उन्होंने बीजेपी पर एक संवैधानिक समारोह का सि.सी फायदा उठाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1133663064463675392">https://twitter.com/ANI/status/1133663064463675392</a></p><h1>दिल्ली का बुलावा</h1><p>ममता ने बुधवार को कहा, &quot;बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 54 लोगों के मारे जाने का आरोप पूरी तरह गलत है. राज्य में कोई भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई है. बीजेपी झूठी खबर फैला रही है.&quot; तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह मौतें, निजी दुश्मनी, पारिवारिक झगड़ों और दूसरे विवादों की वजह से हुई हो सकती हैं. उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है. </p><p>मुख्यमंत्री ने कहा, &quot;राज्य सरकार के पास इन मौतों के राजनीति से संबंधित होने का कोई रिकार्ड नहीं है. शपथग्रहण समारोह लोकतंत्र का उत्सव मनाने का मौका है. लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी को सियासी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.&quot;</p><p>प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, &quot;हिंसा में मारे गए 54 लोगों के दो-दो परिजनों को दिल्ली बुलाया गया है. पार्टी ने उनलोगों के आने-जाने और रहने-खाने का इंतजाम किया है. यह तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के हाथों मारे गए पार्टी के शहीदों के प्रति सम्मान जताने का एक तरीका है.&quot; </p><p>बीजेपी सूत्रों ने बताया कि इन 54 परिवारों को दिल्ली ले जाने का फैसला कर पार्टी ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को यह दो-टूक संदेश देने का प्रयास किया है कि बंगाल पार्टी की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर है.</p><p><strong>बीजेपी की सूची</strong><strong> पर घमासान</strong></p><p>दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन को नीचा दिखाने और अपमानित करने के लिए ही बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने कथित हिंसा के शिकार लोगों के परिजनों को शपथग्रहण समारोह में ले जाने का फैसला किया है. </p><p>उन्होंने सवाल किया कि अगर बीजेपी सचमुच शहीदों के सम्मान के प्रति गंभीर होती तो वह हिंसा में मारे गए तृणमूल कांग्रेस के लोगों के परिजनों को भी उक्त समारोह में ले गई होती. लेकिन ऐसा करने की बजाय बीजेपी के लोगों को ले जाकर उसने सियासी संकेत दिया है.</p><p>बीजेपी ने जो सूची तैयार की है उसमें 16 जून, 2013 से लेकर 26 मई, 2019 यानी लोकसभा चुनावों के दौरान मारे गए पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम हैं. </p><p>राजनीतिक विश्लेषक सुप्रिय सेन कहते हैं, &quot;ममता के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के फैसले से लगा था कि दोनों दल केंद्र-राज्य संबंधों के हित में चुनाव अभियान के दौरान पनपी कड़वाहट को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अब ताज़ा मामले से साफ़ है कि उनके बीच लड़ाई के फिलहाल थमने के आसार कम ही हैं.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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