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मोदी के इंटरव्यू को गै़र सियासी मान लेता अगर…: ब्लॉग

<p>कई साल पहले एक भारतीय सेठ के साथ मुलाक़ात हुई थी. सजा-धजा नौजवान आदमी. </p><p>मैंने पूछा क्या करते हो? उसने बताया कि वह फ़िल्में बनाता है. मैंने पूछा, &quot;प्रोडूसर हो?&quot; उसने एक बड़ी सारी कंपनी का नाम बताया और कहने लगा, &quot;जो लोग फ़िल्में प्रोड्यूस करते हैं मैं उन पर पैसे लगाता हूँ. मैंने कहा […]

<p>कई साल पहले एक भारतीय सेठ के साथ मुलाक़ात हुई थी. सजा-धजा नौजवान आदमी. </p><p>मैंने पूछा क्या करते हो? उसने बताया कि वह फ़िल्में बनाता है. मैंने पूछा, &quot;प्रोडूसर हो?&quot; उसने एक बड़ी सारी कंपनी का नाम बताया और कहने लगा, &quot;जो लोग फ़िल्में प्रोड्यूस करते हैं मैं उन पर पैसे लगाता हूँ. मैंने कहा कि आप को तो बहुत सारे स्क्रिप्ट पढ़ने पड़ते होंगे क्योंकि हर तीसरा आदमी आईडिया लिए घूमता है.&quot;</p><p>उसने कहा कि यह काम तो पेचीदा है पर मैंने इसका सीधा सा फार्मूला बनाया है. </p><p>मैंने पूछा, &quot;वो क्या?&quot; उसने कहा कि प्रोड्यूसर उसके पास स्क्रिप्ट लेकर आता है और वह पढ़ते नहीं बल्कि सीधे पूछ लेते हैं कि क्या इस फ़िल्म में अक्षय कुमार है?</p><p>अगर वह बताए कि हां तो वह कहता है कि यह लो पैसे और जाकर फिल्म बनाओ. अगर वह बताए कि स्क्रिप्ट में अक्षय कुमार नहीं हैं तो वह उनको कहते हैं कि घर जाइए और जब स्क्रिप्ट में अक्षय कुमार डाल लें तो मेरे पास वापस आइएगा.</p><p>उसने बताया कि यह फॉर्मूला अभी तक तो काफ़ी कामयाबी से चल रहा है. मैंने समझा कि सेठ मेरे साथ मज़ाक कर रहा है. </p><p>पिछले दिनों मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी साहब का एक इंटरव्यू देखा, ऐसे लगा कि यह फार्मूला अब मोदी जी के पास भी पहुंच गया है. मोदी जी पांच साल तक वज़ीरे-आज़म रहे हैं.</p><p>न कोई प्रेस कांफ्रेंस, ना कोई इंटरव्यू. अब चुनाव के बीच में एक लंबा इंटरव्यू और वह भी अक्षय कुमार को. साथ में दावा भी कि यह इंटरव्यू ग़ैर-सियासी है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48033732?xtor=AL-[73]-[partner]-[prabhatkhabar.com]-[link]-[hindi]-[bizdev]-[isapi]">’ओबामा अंग्रेज़ी में मोदी को तू कैसे कहते होंगे'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48033952?xtor=AL-[73]-[partner]-[prabhatkhabar.com]-[link]-[hindi]-[bizdev]-[isapi]">मोदी का ‘नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू’ लेने वाले अक्षय कुमार की पूरी कहानी</a></li> </ul><p>दुनिया के सब से बड़े चुनाव के दरमियान इंटरव्यू देना और कहना कि यह ग़ैर-सियासी है. यह तो वैसे ही है कि हिन्दोस्तान-पाकिस्तान का दोस्ताना मैच ना करवा लें या एक पुर-अमन जंग का हो जाए या एक पुर-सकून सा, पोला सा कत्ल-इ-आम ना कर दें. </p><p>लाहौर वाले इस मौके पर कहेंगे, &quot;बड़ा आया ग़ैर-सियासी.&quot; </p><p>मैंने इतना सियासी इंटरव्यू नहीं देखा, जिसमें पांच साल हकूमत करने के बाद बंदा कह रहा हो, &quot;मेरी सियासत को भूल जाओ, मेरी शक्ल-ए-आम देखो. यह याद रखना कि मैं ग़रीब का बालक था, मैं तो आम चूसता-चूसता चला था और वज़ीरे-आज़म बन गया, मुझे वोट दे दो. &quot; </p><p>&quot;मैं तो कंधे पर थैला डाल कर अकेला ही देश की सेवा करने चला था, पता नहीं वज़ीरे-आज़म किसने बना दिया. मेरा तो कोई बैंक अकाउंट भी नहीं होता था. मैं भी आप की तरह मीठे लतीफ़े सुना सकता हूँ. लो सुनो, जब से वज़ीरे-आज़म बना हूँ, आप के लिए इतनी मेहनत करता हूँ कि माँ के साथ उठने-बैठने का भी टाइम नहीं मिलता.&quot; </p><h3>क्या कहते लाहौरी?</h3><p>यहां कोई लाहौरी फिर कहता, &quot;जो अपनी माँ का ना हुआ वो किसी और का क्या होगा?&quot;</p><p>पूरे इंटरव्यू में बग़ैर वोट मांगे मोदी वोट मांगते रहे कि अगर मेरी पचपन इंच की छाती को वोट नहीं देना हो, अगर मेरे धर्म के साथ युद्ध पसंद नहीं आए, अगर मेरे पाकिस्तानी विरोधी होने पर कोई शक है तो फिर भी मुझे ग़रीब का बालक समझ कर वोट डाल दो. </p><p>मेरे साथ देखो कौन बैठा है? अक्षय कुमार. यह पचास साल से ज़्यादा का हो गया है, अब भी अगर हाई स्कूल के लड़के की वर्दी पहन कर पर्दे पर आ जाए तो आप ताली बजाते हो और फिल्म सुपरहिट हो जाती है. मेरा नहीं तो इसका ही ख़्याल कर लो.</p><p>अक्षय कुमार पूरे इंटरव्यू में मोदी को कभी प्यार से और कभी शर्मा कर ऐसे देखें जैसे एक फिल्म में रवीना टंडन को देख रहे थे. मुझे फिल्म का नाम याद आ गया, ‘मोहरा’. </p><p>मुझे लग रहा था कि अभी यह सर पर रुमाल बांध कर मोदी का हाथ पकड़ कर गाने लगेंगे, &quot;तू चीज़ बड़ी है, मस्त-मस्त.&quot; अगर वो सचमुच ऐसा कर देते तो मैं सचमुच इसे ग़ैर-सियासी मान लेता. </p><p>मोदी ने इंटरव्यू तो नहीं दिए पर ‘मन की बात’ के नाम से भाषण तो बड़े-बड़े देते रहे हैं. आवाम को ‘मन की बात’ करने का मौका तो पांच साल बाद ही मिलता है. </p><p>यहां पर कराची के मुहावरे के मुताबिक ‘मोदी तो खुद ही एक पूरी फिल्म हैं’. अब उन्होंने इसमें अक्षय कुमार को भी डाल लिया है. सेठ के फॉर्मूला के मुताबिक फिल्म हिट होनी चाहिए. बाक़ी तो वोटर्स की मनमर्ज़ियाँ. रब्ब राखा.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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