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गर्व का रजिस्ट्रेशन

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com उस फिल्म स्टार ने कहा कि मुझे गर्व है अपने देशप्रेम पर, आपको भी करना चाहिए. फिर वह फिल्म स्टार अगले ही सीन में बिस्कुट बेचता दिखा. मैं उस फिल्म स्टार की फिल्म देख कर आया- जिसमें वह महान योद्धा बना था, जिसने अफगानिस्तान के हजारों कबायलियों के खिलाफ एक […]

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

उस फिल्म स्टार ने कहा कि मुझे गर्व है अपने देशप्रेम पर, आपको भी करना चाहिए. फिर वह फिल्म स्टार अगले ही सीन में बिस्कुट बेचता दिखा.

मैं उस फिल्म स्टार की फिल्म देख कर आया- जिसमें वह महान योद्धा बना था, जिसने अफगानिस्तान के हजारों कबायलियों के खिलाफ एक किले की रक्षा की. सिर श्रद्धा से झुक गया. उस शहीद की फोटो तलाश कर मैंने अपनी टेबल के पास लगा ली, जिजीविषा, संघर्ष-वृत्ति यह होती है. पर वह फिल्म स्टार अगले ही सीन में टीवी पर बनियान बेचता दिखा. जिजीविषा को बनियान ने ढक लिया हो जैसे.

फिर मैं समझा- वह स्टार जब देशप्रेम की बात कर रहा था कि यह आह्वान कर रहा था कि वह वाली बनियान और यह वाला बिस्कुट खरीदो. प्रेम बिना नकद के नहीं होता, देशप्रेम भी बिना नकदी के न होता, नकदी दो बनियान लो और देशप्रेम पर गर्व का रजिस्ट्रेशन करा लो.

कोई मुझे कहता है कि गर्व करो. तो कुछ पल के लिए मैं कन्फ्यूज हो जाता हूं कि गर्व करने की विधि, प्रक्रिया, प्रकार, परिभाषा क्या है. स्कूल-काॅलेजों में तमाम बातें सिखायी जाती हैं, पर गर्व कैसे किया जाये, यह न बताया जाता. मतलब गर्व कैसे करे कोई, सावधान मुद्रा में खड़ा हो जाये क्या? अचानक से सामान्य बंदा सावधान मुद्रा में खड़ा हो जाये, तो आसपास के लोग कहेंगे कि कतई पागल हो लिया है. जवाब हालांकि दिया जा सकता है कि देखिए, मैं गर्व कर रहा हूं.

फिर भी यह बताया जाना चाहिए कि दिन में कितनी बार गर्व किया जाये और कितनी कितनी देर के लिए किया जाये. इस जाति के, उस धर्म के, उस गोत्र के, उस उपगोत्र के, उस काॅलेज के, इस स्कूल के, इस शहर के, उस राज्य के, इस देश के, उस महाद्वीप के, इस धंधे के, उस प्रोफेशन के हैं, तो आपको गर्व करना चाहिए. गर्व की बारह वजहें मैंने ऊपर गिना दी हैं.

बंदा दस-दस मिनट गर्व करे इन बारह बातों पर, तो दो घंटे तो गर्व में ही निकल लेंगे. दो घंटे गर्व क्या उस देश में उचित है, जहां कई किसान इसलिए आत्महत्या कर लेते हों कि वे पचास हजार का कर्ज ना चुका पाये.

यह बेकार सवाल है. इस पर शर्म करनी चाहिए. दस मिनट शर्म के रख लें. भरी नालियां, खाली क्लिनिक, गरीब रिक्शेवाले, अमीर ठेकेदार, गायब बिजली, फरार पानी, इन पर भी दस-दस मिनट शर्म करे बंदा, तो घंटाभर तो शर्म में निकल जायेगा. बंदा गर्व और शर्म करता रह जायेगा, आखिर काम कब करेगा. गर्व करना है, तो बनियान या बिस्कुट खरीदो, शर्म करनी हो, तो क्रांतिकारी टीशर्ट और मोमबत्तियां खरीद लो. जिसकी जितनी हैसियत हो, उतना गर्व और शर्म कर लो.

इससे भी फायदा मोमबत्ती, टीशर्ट, बिस्कुट और बनियान के कारोबारी का ही होता है. जन्म से अंतिम संस्कार में लगनेवाले आइटमों की दुकानों से भी कारोबारी ही कमाते हैं.तो फिर छोड़िए सब, अपना कारोबार कीजिए ना! जी, शर्म और गर्व, अब दोनों ही कारोबार हैं.

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