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बहुत जरूरी है ऊर्जा संरक्षण

शफक महजबीन टिप्पणीकार mahjabeenshafaq@gmail.com ‘पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं.’ हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह कथन हमें यह बताता है कि किसी भी चीज का उपयोग हमें आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए. ऊर्जा संरक्षण भी इसी बात की […]

शफक महजबीन
टिप्पणीकार
mahjabeenshafaq@gmail.com
‘पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं.’ हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह कथन हमें यह बताता है कि किसी भी चीज का उपयोग हमें आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए. ऊर्जा संरक्षण भी इसी बात की ओर इशारा करता है कि इसकी बर्बादी न हो, ताकि सभी तक ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित हो सके.
आजकल ऊर्जा की बचत एक बड़ा विषय बना हुआ है कि इसका संरक्षण कैसे किया जाये. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष आज ही के दिन यानी 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है.
इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा के उपयोग का महत्व समझाना है, जिससे वे इसकी बर्बादी पर नियंत्रण कर सिर्फ अपनी जरूरत की ऊर्जा का ही उपयोग कर सकें. गौरतलब है कि इस बात को ध्यान में रखकर ही भारत सरकार के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के द्वारा साल 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम भी बनाया गया था.
हर समय हर कदम पर ऊर्जा की जरूरत होती है. चाहे खाना पकाना हो, रोजमर्रा के काम हों या फिर एक से दूसरी जगह जाना हो. हम ऊर्जा के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते. इसके बिना किसी भी देश का विकास संभव ही नहीं है. आज भी भारत की लगभग आधी से ज्यादा आबादी, जो ग्रामीण क्षेत्र में रहती है, बिजली से वंचित है.
लगभग 50 प्रतिशत लोग रसोई गैस की बजाय खाना पकाने के लिए लकड़ी या ऐसे ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं. शहरी जनता जहां एक ओर इन संसाधनों का आसानी से उपयोग कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऊर्जा की बर्बादी भी कर रही है. अगर हम जरूरतभर की ऊर्जा का ही उपयोग करें, तो यह हमारे बेहतर भविष्य के लिए अच्छा होगा और वंचित क्षेत्रों का भी विकास होगा.
कुछ लोग बिजली का अनावश्यक उपयोग करते हैं, यानी वे पंखा, बल्ब आदि चालू हालत में छोड़ देते हैं और इस तरह ये उपकरण घंटों चलते रहते हैं. इससे कितनी बिजली बर्बाद हो जाती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
अगर थोड़ा-सा जागरूक होकर इस बिजली का संरक्षण किया जाये, तो भविष्य में हम उसका बेहतर उपयोग कर सकते हैं. देशभर में जहां-जहां तक अभी बिजली की कमी है या नहीं पहुंची है, उन सभी क्षेत्रों तक इसे पहुंचाया भी जा सकता है.
बिजली की बचत के लिए बड़ों के साथ-साथ हमें बच्चों को भी इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है. वैसे तो बच्चों को स्कूल में बताया ही जाता है, पर घर का माहौल भी कुछ ऐसा ही होना चाहिए, जिससे वे बिजली बचाने के तरीकों को अपने व्यवहार में ला सकें. हम यदि हमेशा अपनी जरूरी चीजों को इस्तेमाल करने को लेकर जागरूक हैं, तो बिजली जैसी बेहद जरूरी चीज भी बचा सकते हैं. किसी भी उपकरण का उपयोग करने में एक सिस्टमैटिक तरीका अपनाकर बिजली बचाने को हमें अपनी आदत में शामिल करना चाहिए.

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