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Friday, March 29, 2024

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डाकिया डाक लाता रहेगा!

शफक महजबीन टिप्पणीकार एक जमाने में दिलों को दिलों से जोड़ने का बेहतरीन जरिया चिट्ठियां ही होती थीं. नौ अक्तूबर, 1874 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन हुआ, इसलिए 9 अक्तूबर को हर साल ‘विश्व डाक दिवस’ होता है. भारत 1 जुलाई, 1876 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना. जाहिर है, भारतीय डाक देश […]

शफक महजबीन
टिप्पणीकार
एक जमाने में दिलों को दिलों से जोड़ने का बेहतरीन जरिया चिट्ठियां ही होती थीं. नौ अक्तूबर, 1874 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन हुआ, इसलिए 9 अक्तूबर को हर साल ‘विश्व डाक दिवस’ होता है. भारत 1 जुलाई, 1876 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना. जाहिर है, भारतीय डाक देश के प्रमुख व पुराने विभागों में से एक है.
देश के भीतर या देश के बाहर चिट्ठियों और जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान का और दूर-दराज से संवाद स्थापित करने का सबसे आसान और सस्ता साधन यही रहा है. पत्रों, पार्सलों, निमंत्रण पत्रों और मनीऑर्डर आदि को लोगों के घर-घर पहुंचाना हो, या फिर बाहर से आये हुए पत्र और पार्सल उस स्थान पर सुरक्षित भेजने की व्यवस्था करनी हो, इस विभाग ने बड़ी जिम्मेदारी के साथ काम किया है.
वक्त के साथ-साथ भले ही डाक विभाग का स्वरूप काफी बदल गया है, पर डाक घर का वर्चस्व बनाये रखने के उद्देश्य से हर साल 9 अक्तूबर से 14 अक्तूबर (सप्ताह: रविवार छोड़कर) तक ‘वर्ल्ड पोस्ट वीक’ यानी ‘विश्व डाक सप्ताह’ मनाया जाता है.
नौ अक्तूबर यानी सप्ताह के पहले दिन को ‘विश्व डाक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. दस अक्तूबर को ‘बचत बैंक दिवस’ होता है, जिसमें विशेष कैंप आयोजित होता है. ग्यारह अक्तूबर को ‘डाक जीवन बीमा दिवस’ होता है. बारह अक्तूबर को ‘फिला टेली दिवस’ होता है, तेरह अक्तूबर को ‘व्यवसाय विकास दिवस’ होता है और चौदह को ‘मेल दिवस’ होता है.
वक्त के साथ-साथ डाक विभाग का वर्चस्व कम होता गया है. अब दुनिया डिजिटल हो गयी है. सारे काम कंप्यूटर से होने लगे हैं और सूचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से होने लगा है. संदेश भेजने के लिए अब लोगों को लंबी चिट्ठी लिखने की जरूरत नहीं और उसे सही जगह पर पहुंचने का इंतजार करने की भी जरूरत नहीं है.
अाज सबके हाथ में मोबाइल है, बस टाइप करो और कुछ सेकेंड में ही संदेश सैकड़ों-हजारों किमी तक पहुंच जाता है. शादी का कार्ड भी स्मार्ट फोन से ई-कार्ड के जरिये एक क्लिक में ही कहीं भी भेजा जा सकता है. अब तो बस पार्सल और सरकारी दस्तावेज या फिर कोई आवेदन वगैरह ही डाक से भेजे जाते हैं.
अब नुकसान यह हुआ है कि कभी-कभी डाक विभाग की लापरवाही से कुछ जरूरी दस्तावेज समय निकल जाने के बाद गंतव्य तक पहुंचते हैं. फिर भी डाक का बहुत महत्व है और डाकिया डाक लाता रहेगा, भले उसका स्वरूप बदल जाये. हां, डाक के डिजिटल हो जाने से कई बड़ी समस्याएं खत्म हो जायेंगी, पर जरूरी यह है कि डाक को हाइटेक किया जाये.
‘विश्व डाक दिवस’ को मनाने का मकसद जनता को डाक की विभिन्न सेवाओं के प्रति जागरूक करना है, योजनाओं के बारे में बताना है, ताकि लोग इनसे लाभ उठा सकें.
डाक विभाग के अस्तित्व को बरकरार रखा जाना चाहिए. अन्य सरकारी विभागों की तरह इसको भी हाइटेक होने की जरूरत है, जिस तरह से प्राइवेट कोरियर कंपनियां तेजी से हाइटेक हो रही हैं.
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