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सिर्फ जेबें काटेंगे

आलोक पुराणिक व्यंग्यकार एक पैम्फलेट निकला अखबार में, उसका आह्वान था- टेस्ट करा लो, थॉयरॉइड, ब्लड, शूगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल वगैरह. सिर्फ 5000 रुपये, इतनी तरह के आइटम हैं बॉडी में, टेस्ट करानेवाले बताते हैं, तो पता लगता है. वरना तो बंदा दो मुट्ठी राख समझ ले अपनी बॉडी को, जबकि उसमें न जाने क्या-क्या […]

आलोक पुराणिक

व्यंग्यकार

एक पैम्फलेट निकला अखबार में, उसका आह्वान था- टेस्ट करा लो, थॉयरॉइड, ब्लड, शूगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल वगैरह. सिर्फ 5000 रुपये, इतनी तरह के आइटम हैं बॉडी में, टेस्ट करानेवाले बताते हैं, तो पता लगता है. वरना तो बंदा दो मुट्ठी राख समझ ले अपनी बॉडी को, जबकि उसमें न जाने क्या-क्या है, सोडियम, पोटैशियम, साल्ट, शूगर. इस दो मुट्ठी राख से दो लाख कमाने का जो ख्वाब देखे, वह है टेस्ट सेंटर की दुकान और इस दो मुट्ठी राख के शरीर से जो 20 लाख कमाने के ख्वाब देखे, वह है नर्सिंग होम.

मैंने पांच हजार में तरह-तरह टेस्ट करनेवाले से पूछा कि जब मुझे कोई दिक्कत ही नहीं है, तो टेस्ट क्यों कराऊं? उसने जवाब दिया- अगर कोई दिक्कत महसूस नहीं होती, तो आपको मेंटल दिक्कत है. इस दौर में कोई बगैर दिक्कत के हो कैसे सकता है. टेस्ट कराते रहिए, कभी न कभी दिक्कत निकल ही आयेगी. टेस्ट कराते रहिए. दिक्कत निकाल ही देंगे.

नर्सिंग होम या कई प्राइवेट अस्पताल इंसान को सिर्फ इंसानी शरीर के तौर पर न देखते, आम इंसान उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर का पुलिंदा दिखता है, लगातार कमाई का स्रोत. अगर तमाम टेस्ट में कोई बंदा पूरा स्वस्थ निकल जाये, तो इन्हें बहुत निराशा होती है.

मेरे ही दोस्त ने खोला एक नर्सिंग होम कम टेस्ट सेंटर. कारोबारी सेंस वाला दोस्त था, बल्कि कारोबारी सेंस ज्यादा और दोस्त कम था. वह बोला तू दोस्त है, इतने टेस्ट करा ले दो लाख के. मैंने पूछा- दोस्त होकर दो लाख ले रहा है? उसने बताया- दोस्त है तो सिर्फ जेब काट रहा हूं दो लाख से, दोस्त न होता तो सीधा तेरा दिल काटते पांच लाख के ऑपरेशन से.मुझे समझ आया कि दोस्त है तो इतना कंसेशन है, सिर्फ जेब काट रहे हैं. दोस्त न होते तो सीधा मुझे ही काट देते.

एक अस्पताल देखा, जो लुटेरा नहीं है. सबको एक जैसा नहीं काटता. वहां मरीज की हैसियत के हिसाब से कटाई होती है. कम आय वाले को शूगर की बीमारी बता के काटते हैं.

मध्यम वर्ग वाले को हार्ट प्रॉब्लम में काटते हैं और अगर बंदा अच्छी-खासी हैसियत का है, तो उसे किडनी, हार्ट, लिवर न जाने कहां-कहां से काटते हैं. हैसियत के हिसाब से घर तो देखे थे, पर हैसियत के हिसाब से बीमारियां पहली बार देखीं.

मेरी एक नौकरी में मेरा दफ्तर मेरा सारा मेडिकल बिल देता था. एक मित्र का नर्सिंग होम था, उसने कहा- थोड़ा कोऑपरेशन करो, हम कैंसर से लेकर किडनी प्रॉब्लम से लेकर शूगर से लेकर हाई ब्लड प्रेशर से लेकर लो ब्लड प्रेशर तक सब दिखा के लाखों वसूल लेंगे तुम्हारे दफ्तर से.

मैंने कहा- भाई एक ही बंदे को एक साथ हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर कैसे दिखा दोगे.वह बोला- आप तो मौका दें, हम कुछ भी दिखा सकते हैं. सही जी, कुछ भी, कुछ भी दिखा सकते हैं.

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