28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

अगर हम अब भी जाग जाएं, तो

गंगेश ठाकुर टिप्पणीकार विकास की जिस सोच के साथ झारखंड बना, उसका गणित बाद के सालों में गड़बड़ा गया. बीते डेढ़ दशक में राज्य ने विकास के नाम पर 10 मुख्यमंत्रियों का चेहरा देख लिया और राज्य को तीन बार राष्ट्रपति शासन का भी सामना करना पड़ा. राजनीतिक अस्थिरता के बीच झारखंड को तेजी से […]

गंगेश ठाकुर

टिप्पणीकार

विकास की जिस सोच के साथ झारखंड बना, उसका गणित बाद के सालों में गड़बड़ा गया. बीते डेढ़ दशक में राज्य ने विकास के नाम पर 10 मुख्यमंत्रियों का चेहरा देख लिया और राज्य को तीन बार राष्ट्रपति शासन का भी सामना करना पड़ा. राजनीतिक अस्थिरता के बीच झारखंड को तेजी से विकास की ओर बढ़ते राज्य के रूप में दिखाने को लेकर यहां की सरकारों की कोशिश जारी है.

मैं झारखंड को उस समय से देखता आया हूं, जब वह बिहार का हिस्सा हुआ करता था. जब झारखंड का गठन हुआ, तब मैं एक मतदाता की हैसियत पा चुका था. तब तक मेरी समझ इतनी हो चुकी थी कि राज्य के हालात की समीक्षा कर सकूं. प्रदेश में तब से लेकर अब तक के सालों में विकास के नाम पर सड़कों का जाल ज्यादा बिछाया गया. हालांकि, अन्य क्षेत्रों का विकास हुआ है, पर वह नाकाफी है.

मैं झारखंड से आता हूं और एक युवा होने के नाते इस राज्य में आज भी युवाओं की स्थिति देखकर लगता है कि इस राज्य के गठन का उद्देश्य पूरा होना अभी बाकी है. सरकारों के बदलते समीकरण और मुख्यमंत्रियों के नये-नये चेहरे आने के बावजूद भ्रष्टाचार सत्ता के साथ मिलकर चलता रहा.

राज्य में बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य, नशाखोरी, नक्सलवाद आदि में कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला है.

शुरू में विकास के नाम पर लूट राज्य की सत्ता का हिस्सा बन गया था. राज्य के गठन के बाद पहली बार भाजपा की सरकार एक स्थिर सरकार के रूप में राज्य को मिली. रघुवर दास के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य के युवाओं में एक आशा जगी कि शायद अब उन्हें रोजगार मिलेगा. तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलेगी. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए त्राहिमाम कर रहे लोगों को सरकार का सहारा मिलेगा. ये उम्मीदें अब भी कायम हैं, इसलिए सरकार को अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

झारखंड में युवाओं के लिए रोजगार की कमी है. राज्य में स्थित और अरसे से बंद पड़े कल-कारखानों, जहां से युवाओं को रोजगार मिल सकता था, को सरकार ने बहाल किया होता, तो स्थिति कुछ और होती. वहीं दूसरी तरफ, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था की वजह से युवा और बच्चों के मरने की संख्या भी बढ़ी है. नशाखोरी राज्य के युवाओं की एक बड़ी समस्या है. बीते कुछ समय में कच्ची शराब ने राज्य में लोगों की जान ली है. पिछली सरकारें इस मामले में, सत्रह सालों में, संवेदनहीन ही नजर आयी हैं. सरकार को इस समस्या पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यह मामला युवा संपदा के बर्बाद होने का भी है.

खनिज संपदा के अकूत भंडार वाले इस राज्य में युवाओं को रोजगार का मौका न मिल पाये, तो यह विडंबना ही होगी. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अब भी हम जाग जाएं, तो युवाओं को रोजगार देकर राज्य के विकास की गाथा में एक बेहतरीन अध्याय लिख सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें