28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

शारदीय नवरात्र 29 से, हाथी पर मां का आगमन, मुर्गे पर विदाई

चंदन कुमार, बांका : जिलेभर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में पूजा को लेकर तैयारियां जारों से चल रही है. नवरात्र को लेकर पूजा पंडाल स्वरूप लेने लगे हैं. हर पूजा समितियों द्वारा प्रत्येक वर्ष के तरह इस वर्ष भी पूजा पंडाल को कुछ खास बनाया जा रहा है, ताकि उनका पंडाल आकर्षक दिखे. मालूम हो […]

चंदन कुमार, बांका : जिलेभर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में पूजा को लेकर तैयारियां जारों से चल रही है. नवरात्र को लेकर पूजा पंडाल स्वरूप लेने लगे हैं. हर पूजा समितियों द्वारा प्रत्येक वर्ष के तरह इस वर्ष भी पूजा पंडाल को कुछ खास बनाया जा रहा है, ताकि उनका पंडाल आकर्षक दिखे. मालूम हो कि शारदीय नवरात्र इस साल 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और आठ अक्तूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त हो जायेगा. इस बार नवरात्र नौ दिनों का होगा.

इस साल दुर्गा मां का आगमन हाथी पर होगा और मुर्गे पर प्रस्थान करेंगी. ऐसे में देवी आगमन और विदाई दोनों ही संकट की चेतावनी है. 29 सितंबर अश्वनि शुक्ल प्रतिपदा तिथि को देवी दुर्गा का आगमन और आठ अक्तूबर दशमी तिथि को विदाई होगी. इस संबंध में पंडित ओमप्रकाश जी महाराज ने बताया कि दुर्गासप्तशती के वर्णन के मुताबिक, दुर्गा देवी के दोनों ही वाहन प्राकृतिक आपदाओं के प्रतीक हैं.
हालांकि, इसका यह मतलब भी नहीं है कि माता का आगमन और विदाई अमंगलकारी है, लेकिन इसका अभिप्राय ये है कि हम भविष्य की परेशानियों के लेकर वर्तमान में ही सचेत हो जाएं और उसका सामना करने के लिए खुद को मजबूत कर लें. शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रधटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कलरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्रि स्वरूप का दर्शन व पूजन किया जाना भक्तों के लिए शुभ रहेगा.
गुरुधाम के पंडित ओमप्रकाश जी महाराज ने बताया कि शारदीय नवरात्र के पहले दिन सर्वार्धामृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग, ब्रह्म योग, मानस योग, रवि हस्त योग के साथ लक्ष्मी योग का मिलन हो रहा है. चार अक्तूबर को षष्ठी को बेल निमंत्रण की पूजा होगी.
उसके बाद पांच अक्तूबर को प्रात: काल में मां के मंदिरों व पंडालों का पट खुल जायेगा. कलश स्थापना की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त 6.16 बजे से 7.40 बजे सुबह के बीच है. इसके अलावा दोपहर में 11: 48 बजे से 12.35 के बीच अभिजीत मुहूर्त भी है, जिसके बीच आप कलश स्थापना कर सकते हैं.
इस विधि से करें कलश स्थापना: कलश स्थापना के दिन सुबह उठकर घर को साफ करें. उसके बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें, फिर कलश स्थापना की तैयारी करें. सबसे पहले पूजा का संकल्प लें. संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर जौ को बोएं और फिर कलश की स्थापना करें. कलश में गंगा जल भरकर ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजा अर्चना करें. साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें. इसके अलावे यह ध्यान रखें कि कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे.
इस दिन मां के इस स्वरूप की करें पूजा
प्रतिपदा मां शैलपुत्री रविवार 29 सितंबर
द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी सोमवार 30 सितंबर
तृतीया मां चंद्रघंटा मंगलवार 01 अक्तूबर
चतुर्थी मां कूष्मांडा बुधवार 02 अक्तूबर
पंचमी मां स्कंदमाता गुरुवार 03 अक्तूबर
षष्ठी मां कात्यायनी शुक्रवार 04 अक्तूबर
सप्तमी मां कालरात्रि शनिवार 05 अक्तूबर
अष्टमी मां महागौरी रविवार 06 अक्तूबर
महानवमी मां सिद्धिदात्री सोमवार 07 अक्तूबर
विजयादशमी मंगलवार 08 अक्तूबर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें