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Friday, March 29, 2024

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पानी के अभाव में सूख रही धान की फसल

बांका : माॅनसून की कुदृष्टि के बीच धान फसल की रोपनी किसी तरह सिंचाई के अभाव में लक्ष्य के विपरीत 73 फीसदी तक हो गयी, यानि 96 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 70511.18 हेक्टेयर भूमि में धान अच्छादित हो चुका है. पर इसमें से अधिकांश फसल सूखने के कगार पर है. पानी के आभाव में धान […]

बांका : माॅनसून की कुदृष्टि के बीच धान फसल की रोपनी किसी तरह सिंचाई के अभाव में लक्ष्य के विपरीत 73 फीसदी तक हो गयी, यानि 96 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 70511.18 हेक्टेयर भूमि में धान अच्छादित हो चुका है. पर इसमें से अधिकांश फसल सूखने के कगार पर है.

पानी के आभाव में धान की फसल का विकास रुक गया है. अगर अपेक्षित पानी नहीं मिला तो सिंचाई से वंचित फसल केवल घास के रूप में ही रह जायेगी. अलबत्ता, उत्पादन पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है. मौजूदा समय में किसान सिंचाई लेकर तरस रहे हैं.
दो-तीन दिन से थोड़ी-बहुत बारिश जरूर हो रही है, लेकिन बारिश की कृपा कुछ ही क्षेत्रों में नजर आ रही है. किसान राज प्रताप भारती के अनुसार जितनी पानी की अपेक्षा है, उस अनुरूप बारिश भी नहीं हो रही है. स्थिति ऐसी ही रही तो जिला अकाल के गाल में समा जायेगा. अब तक सूखा क्षेत्र घोषित करने को लेकर किसी प्रकार की सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही है.
हालांकि, कृषि विभाग के अंतर्गत सर्वे का कार्य जारी है. ज्ञात हो कि सूखा क्षेत्र घोषित करने के पूर्व आपदा की टीम भी भौतिक निरीक्षण करेगी. उसके बाद जो स्थिति नजर आयेगी, उसी के अनुरूप सूखा घोषित करने के लिए कदम उठाया जायेगा. कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष खरीफ मौसम में 28919 हेक्टेयर भूमि परती रह गयी है.
भू-गर्भीय जलस्तर नीचे सरकने से मोटर पंप भी तोड़ रहा दम: धान फसल को बचाने के लिए किसान मोटर पंप से डीजल के सहारे खेत की सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि भू-गर्भीय जल स्तर नीचे जाने की वजह से मोटर पंप भी एकाध घंटे में ही दम तोड़ जाता है. लिहाजा, किसान के लिए आसमान के बाद धरती के अंदर से भी जल दुर्लभ हो गया है.
वहीं दूसरी ओर डीजल अनुदान राशि मिलने की गति भी काफी धीमी है. सही समय में डीजल अनुदान का आवेदन सत्यापित नहीं होने की वजह से ससमय किसानों को डीजल अनुदान की राशि खाते में नहीं पहुंच पाती है. लिहाजा, आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों को कहीं राहत नहीं मिल रही है. जानकारी के मुताबिक विगत दिनों तक डीजल अनुदान के लिए 33510 किसानों ने आवेदन दिया है. इसमें से अबतक महज 4000 के करीब ही आवेदन को स्वीकृत किया गया है. सत्यापन के अभाव में 25 हजार के आसपास आवेदन लंबित है.
शुरू से ही वर्षापात में जारी रही गिरावट: खरीफ के मौसम में धान की खेती प्रभावित होने का मूल कारण बारिश की कमी ही है. शुरूआती समय से ही माॅनसून की दया यहां नहीं दिखी जो आज भी जारी है. लिहाजा, खेत में अपेक्षित पानी के अभाव में किसान धान की फसल समय पर नहीं लगा पाये. नतीजतन, देर से खेती हुई जो रबी तक के लिए नुकसान दायक साबित हो सकती है.
जानकारी के मुताबिक जून में सामान्य वर्षापात 171 के विपरीत 43.70 फीसदी बारिश हुई. जुलाई में ठीक बारिश रही. सामान्य वर्षापात 296 के विपरीत 274 एमएम बारिश हुई. जबकि अगस्त में 249 एमएम के विपरीत 122.40 एमएम बारिश हुई. इसी तरह सितंबर में सामान्य वर्षापात 208 एमएम की तुलना अबतक महज 51 फीसदी ही बारिश हुई है.
प्रखंडवार धान फसल
अाच्छादन की रिपोर्ट
प्रखंड लक्ष्य अच्छादन (हेक्टेयर में)
अमरपुर 9859 8342
बांका 8302 6033
बाराहाट 7784 6349
बेलहर 9341 6474
बौंसी 8303 7738
चांदन 8822 6415
धोरैया 10378 5619
फुल्लीडुमर 5708 2418
कटोरिया 8303 6031
रजौन 9341 9018
शंभूगंज 9859 5998
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