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नशेड़ियों की शराब छूटी, लेकिन ड्रग्स व गांजे की पड़ गयी आदत

नशे के आदी हुए लोगों की किडनी पर पड़ता है बुरा असर औरंगाबाद सदर : शराबबंदी के साथ सदर अस्पताल में शुरू की गयी नशा मुक्ति केंद्र पर आने वाले लोगों की संख्या अब धीरे धीरे कम हो रही है. नशा मुक्ति केंद्र पर लोगों की संख्या घट कर अब आधी रह गयी है. 22 […]

नशे के आदी हुए लोगों की किडनी पर पड़ता है बुरा असर

औरंगाबाद सदर : शराबबंदी के साथ सदर अस्पताल में शुरू की गयी नशा मुक्ति केंद्र पर आने वाले लोगों की संख्या अब धीरे धीरे कम हो रही है. नशा मुक्ति केंद्र पर लोगों की संख्या घट कर अब आधी रह गयी है. 22 महीने पहले जब राज्य में शराबबंदी की घोषणा हुई थी, तब केंद्र में पियक्कड़ शराब की लत छोड़ने आते थे, पर अब ज्यादातर लोग तंबाकू, अफिम , गांजा, भांग और ड्रग्स से पीड़ित लोग अपनी लत को छोड़ने यहां पहुंच रहे हैं. सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केंद्र सह पुनर्वास केंद्र में लगातार घट रही मरीजों की संख्या के कारण अब केंद्र पर ज्यादातर ताला लटका ही नजर आता है.
वर्ष 2018 का फरवरी महीना आधा बीत चुका है और इस महीने में आप विश्वास नहीं करेंगे कि यहां नशा से पीड़ित मात्र दो मरीज ही केंद्र पर अपनी लत छोड़ने के लिए अब तक पहुंचे हैं. सूत्रों का कहना है कि पियक्कड़ों ने शराबबंदी के बाद से गांजा, भांग, मेडिसिनल ड्रग्स व अन्य नशा का सेवन शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे इसकी लत इतनी बढ़ गई है कि अब इसके शिकार नयी उम्र के लड़के भी हो रहे हैं. इससे उनके परिजनों की परेशानियां बढ़ने लगी हैं. जिसकी वजह से उन्हें इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्र पर लाना पड़ रहा है.
शराबबंदी के बाद नशामुक्ति केंद्र पहुंचे लोग : एक अप्रैल 2016 से अब तक सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केंद्र में शराबबंदी के बाद करीब 567 मरीज आ चुके हैं. शुरुआती दौर में नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचने वाले नशेड़ियों में सर्वाधिक शराब के नशे की लत छुड़ाने लोग पहुंचा करते थे.
नशा मुक्ति केंद्र में गंभीर से गंभीर स्थिति में पहुंचे नशेड़ियों को काउंसलिंग कर उन्हें पुनर्वास केंद्र में रखा गया और उनका इलाज बखूबी किया गया. लेकिन एक साल के भीतर ही शराबियों के नशा मुक्ति केंद्र पहुंचने के आंकड़े गिरते चले
गये. अब नशा मुक्ति केंद्र में
मेडिसिनल ड्रग्स, गांजा, भांग, तंबाकू, अफीम के व्यसन से ग्रसित लोग ही पहुंच रहे हैं.
नशा मुक्ति केंद्र में वर्ष अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक पहुंचे लोग : वर्ष 2017 में अप्रैल महीने से लेकर जनवरी 2018 तक नशा मुक्ति केंद्र में कुल 87 लोगों का इलाज किया गया.
भर्ती मरीजों की संख्या : सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केंद्र में वर्ष 2017 अप्रैल से जनवरी 2018 तक कुल 49 नशेड़ियों को भर्ती किया गया.
शराब से ज्यादा गांजा, भांग मेडिसिनल ड्रग्स के पहुंचे मरीज : गौरतलब है कि नशा मुक्ति केंद्र में शराबबंदी के बाद अप्रैल 2017 से लेकर जनवरी 2018 तक शराब के व्यसन से पीड़ित करीब 74 पुरुष नशेड़ी नशा मुक्ति केंद्र पहुंचे. वहीं दो महिला नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए पहुंची. जबकि गांजा अफीम चरस भांग और मेडिसिनल ड्रग्स के शिकार करीब 115 पुरुष एवं 3 महिलाएं आयीं.
नशेड़ियों को फील गुड करा रहीं कई दवाएं
चिकित्सकों का कहना है कि अल्कोहल जब खून में जाता है और उस के माध्यम से दिमाग में पहुंच कर वहां फीलगुड हार्मोन की मात्रा बढ़ाता है. वहीं ड्रग्स ,गांजा ,भांग ,अफीम और न जाने कई तरह के नशीले पदार्थ भी नशेड़ियों को फील गुड कराता है पर यह सब चीजें शराब से भी ज्यादा हानिकारक हैं. चिकित्सक बतलाते हैं कि शराब के कारण व्यक्ति आरंभ में अच्छा महसूस करता है और बार-बार शराब पीना चाहता है. वहीं मेडिसिनल ड्रग एडिक्ट क्रेविंग से बचने व अतिरिक्त स्फूर्ति के लिए 1 दिन में नशेड़ी एनाल्जेसिक और पारासिटामोल के 10-10 टेबलेट्स खा जाते हैं. लगातार ऐसा करने वाले लोगों की किडनी पर बुरा असर पड़ता है. शराब के विकल्प तलाशने वाले ड्रग्स का इंजेक्शन तक लेने लगे हैं. वाईटनर, सन फिक्स ,क्यू फिक्स, मूव जैसे चीजों को भी नशे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. कफ सिरप व पेन किलर जैसी दवाएं भी नशे के लिए इस्तेमाल किये जा रहे हैं. नशे के लिए चमड़े को चिपकाने वाले तरल पदार्थ का भी इस्तेमाल इनहेलर के तौर पर युवा कर रहे हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
राज्य सरकार के शराबबंदी के फैसले के बाद 21 जनवरी 2017 को नशा मुक्ति जागरूकता के लिए प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला का निर्माण किया जा चुका है. यह शराबबंदी के साथ अन्य नशे के समान पर चोट की गयी थी. यह हकीकत है कि शराबबंदी के कुछ ही महीनों बाद नशा मुक्ति केंद्र में शराब की लत से पीड़ित मरीजों की संख्या घटी है और मेडिसिनल ड्रग्स व गांजा भांग धतूरा के सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. पर केंद्र में जो भी पहुंच रहे हैं उनका इलाज किया जा रहा है. जैसे शराब की आदत छुड़ाई गई है वैसे इन नशाओं को भी छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉ कुमार महेंद्र प्रताप, नोडल पदाधिकारी, नशा मुक्ति केंद्र , औरंगाबाद

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