By Prabhat Khabar | Updated Date: Nov 19 2019 9:13AM
औरंगाबाद सदर : ओबरा व कुराईपुर के बीच पुनपुन नदी पर बांस-बल्ले व रस्सी से बना चचरी का पुल विकास की दास्ता सुना रहा है. यह पुल ओबरा प्रखंड के दर्जनों गांवों को प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय से जोड़ता है. इस पुल के सहारे हर दिन लगभग तीन हजार राहगीर गुजरते हैं. सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण करने ओबरा आते हैं. ऐसे में इनकी पीड़ा को सुनने वाला कोई नहीं है.
छह साल से लगातार हर साल ग्रामीण श्रमदान व चंदा इकट्ठा कर पुनपुन नदी पर चचरी पुल बनाते है. कई बार सूबे के मंत्रियों से लेकर सांसद, विधायक व अधिकारियों के पास इस स्थान पर पक्का पुल बनाने के लिए गुहार लगा चुके हैं, पर किसी ने इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया.
हर साल की तरह इस बार भी कारा मध्य विद्यालय के शिक्षक व कोराईपुर निवासी मोहम्मद रेयाजुदीन के नेतृत्व में गांव के युवा शत्रुंजय कुमार, आनंद कुमार, विकास कुमार, कमलेश कुमार, वरुण कुमार, ब्रजेश कुमार, सृजन कुमार ने मिल कर गांव में चंदा किया और फिर मिल कर रात-दिन कड़ी मेहनत कर पुल का निर्माण किया है.
गांव के युवा मिल कर बनाते हैं चचरी
गांव के युवाओं का जोश देखते बनता है. युवाओं की टोली गांव से चंदा करके खुद ही बांस काटते है और फिर पानी की गहराई की परवाह न करते हुए चचरी पुल का निर्माण करते है. इस पुल को बनाने में हजारों रुपये खर्च होते है जो ग्रामीण अपनी जेब से लगाते है.
शिक्षक मोहम्मद रेयाजुद्दीन ने बताया कि लोगों को सुविधा के लिए ये पुल काफी आवश्यक है. अगर ये पुल न हो तो चार किलोमीटर की दूरी के लिए लोगों को 14 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. अधिकतर छोटे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जायेगी, पर कोई इसकी सुध लेने वाला नहीं है.
12 से अधिक गांवों की आबादी चचरी पुल के सहारे
एक दर्जन से अधिक गांव इस चचरी पुल के सहारे मुख्यालय से जुड़े हुए है.इनमें कोराईपुर, सादा बिगहा, अमिलौना, सूरमा कैथी, तेंदुआ, गुलजार बिगहा, मखरा आदि शामिल है. साथ ही उन्हें काफी परेशानी भी झेलनी पड़ती है. इस रास्ते कोई वाहन नहीं आता है. दोगुना-तीगुना दूरी कर वाहन के जरीये लोग प्रखंड व जिला मुख्यालय में आते है. देखना है कि कब पुल बनता है.