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उनकी रचनाएं रही हैं प्रेरणास्त्रोत

केएनयू में रवींद्र जयंती पर सांस्कृतिक अनुष्ठान में शिक्षकों से लेकर विभिन्न विभागों के स्टूडेंट्सों की भागीदारी रही. कुलपति ने उन्हें जीवन का प्रेरणा स्त्रोत कहा तो अन्य विश्वविद्यालयों से आये विशेषज्ञों ने रवीन्द्र संगीत पेश किया. आसनसोल : काजी नजरूल विश्वविद्यालय के विधाचर्चा भवन में रविंद्र जयंती पर आयोजित एक दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का […]

केएनयू में रवींद्र जयंती पर सांस्कृतिक अनुष्ठान में शिक्षकों से लेकर विभिन्न विभागों के स्टूडेंट्सों की भागीदारी रही. कुलपति ने उन्हें जीवन का प्रेरणा स्त्रोत कहा तो अन्य विश्वविद्यालयों से आये विशेषज्ञों ने रवीन्द्र संगीत पेश किया.
आसनसोल : काजी नजरूल विश्वविद्यालय के विधाचर्चा भवन में रविंद्र जयंती पर आयोजित एक दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन गुरुवार को कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती ने दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम का शुभारंभ उदबोधनी संगीत के साथ हुआ. बांग्ला विभाग की रतना घोषाल, तुहीना बनर्जी, समाप्ती मंडल, मधुमीता मंडल, मोमिता राय, सौमी दास, कोयल राय आदि ने रविंद्र संगीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के दौरान रविंद्र भारती विश्वविद्यालय से विशिष्ट रविंद्र संगीत शिल्पी अग्निभा बंदोपाध्याय ने रविंद्र संगीत प्रस्तुत किया.
िकया रचनाओं का वर्णन: विश्व भारती विश्वविद्यालय (कोलकाता) से आये संगीत शिल्पी स्वास्तीका मुखोपाध्याय ने रविंद्र संगीत, रचनाओं का वर्णन किया. केमिस्ट्री विभाग के द्वारा ओडिशी क्लासिक डांस एवं ओडिशी क्लासिकल रविंद्र संगीत प्रस्तुत किया गया. केएनयू के रजिस्ट्रार अमित अब्राहम ने कवि गुरू रविंद्र नाथ टैगोर की कविताओं का पाठ किया.
नृत्य, संगीत से मन मोहा: विभिन्न विभागों की लड़कियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नृत्य संगीत प्रस्तुत किये. स्टूडेंट्सों ने रविंद्र चर्चा, उनकी रचनाओं, लेखनी, कविता, कहानियों के संग्रह प्रस्तुत किये. बांग्ला विभाग की शिखा राय तथा रत्ना घोषाल ने नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया.
रवीन्द्रनाथ की रचनाओं ने बढ़ाया बांग्ला का मान
कुलपति डॉ चक्रवर्ती ने कहा कित कवि गुरू रविंद्र नाथ प्रेरणा स्त्रोत हैं. उनकी रचनाओं, कविताओं ने वैश्विक स्तर पर बांग्ला का मान बढ़ाया है. देश विदेश में उनके असंख्य चाहनेवाले हैं.
उनकी कविताओं, रचनाओं, नाटक, कहानी संग्रह ने वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान बनायी है. वे बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके अनेकों रूप शिक्षक, ज्ञानी, कविताकार, रचनाकार, कलाकार, स्वतंत्रता सेनानी आदि न जाने कितने रूप हैं. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी लिखी कविताओं तथा रचनाओं ने स्वतंत्रता सेनानियों के मनोबल को बढाया था. बोलपुर के शांतिनिकेतन में उन्होंने काफी समय बिताया था और प्रकृति और मनुष्य को लेकर कइ रचनाएं लिखी थीं.
बेजोड़ प्रस्तुित कर विद्यार्थियों ने खूब बटोरीं तािलयां
स्टूडेंटसों द्वारा प्रस्तुत किये गये कविताओं में मानसी, सोनार तरी, आमरा सोनार बंगला, रचनाओं में जीवन स्मृती, छेलेबेला, घरे बाइरे के कुछ अंश प्रस्तुत किये गये. बंगला विभाग के स्टूडेंटस ने कवि रविंद्र नाथ के लिखे उपन्यास चौखेर बाली, योगा योग और लघु कहानी काबुलीवाला के मुख्य अंश प्रस्तुत किये. अवसर पर केएनयू के रजिस्ट्रार अमित अब्राहम, बांग्ला विभागाध्यक्ष डॉ मोनालिसा दास, डॉ परिमलेंदू विश्वास आदि उपस्थित थे.

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