By Prabhat Khabar | Updated Date: Nov 19 2019 2:01AM
अब तक का सबसे बड़ा ऋण, पहुंचा 54 हजार करोड़
प्लांट की विभिन्न इकाईयों को ऑपरेट करने के लिये हर माह एक हजार करोड़ कर्ज ले रहा है सेल प्रबंधन
पहली तिमाही में मुनाफा के बाद दूसरी तिमाही में एक बार फिर घाटा में चला गया आईएसपी
अगली तिमाही में स्थिति नहीं सुधरी तो डिमांड पर लगेगा ग्रहण, आईएसपी सहित सेल पर संकट के बादल
बर्नपुर : वित वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में मुनाफा कमाने के बाद भी इस्को स्टील प्लांट (आईएसपी) दूसरी तिमाही में एक बार फिर से घाटा में चला गया है. हालत यह हो गयी है कि सेल को वेतन के साथ ब्याज के लिये भी लोन लेना पड़ रहा है. आइएसपी की देनदारी 1604.48 करोड रुपये से बढकर 1685.18 करोड रुपये हो गयी है.
यानी आईएसपी को लगभग 80.7 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. बाजार में स्टील की मांग कम होने की मार सेल की विभिन्न ईकाईयो के साथ साथ आइएसपी को भी झेलनी पड़ी है. लेकिन इस्पात बाजार में मंदी की चपेट में है. बाजार में इस्पात उतपादन की मांग पहले से कम हो गयी है. सेल के उत्पादो के दाम अन्य कंपनियों के मुकाबले अधिक होने के कारण कंपनी के प्रॉडक्ट्स को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. इसका असर बीएसएल के साथ साथ सेल पर दिखने लगा है.
सेल का कर्ज 54 हजार करोड तक पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे बड़ा ऋण है. प्रबंधन को अपने सभी प्लांट को ऑपरेट करने के लिये हर महीने करीब एक हजार करोड कर्ज लेना पड़ रहा है. अधिक उत्पादन करने के बाद भी 523 करोड़ के घाटे में
वर्तमान वित वर्ष के दूसरे तिमाही में पिछले वर्ष के इसी अवधि में मुकाबले अधिक उत्पादन करने के बाद भी सेल 523 करोड (पीबीटी) के घाटे में चली गयी. एक लाख 20 हजार करोड के संपत्ति वाले सेल के कर्ज का आंकडा बीते वित वर्ष 2018-19 में लगभग 46 हजार करोड था. उसके बाद वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में उसने पहली तिमाही में अधिक यानि 35 सौ करोड़ कर्ज लिया.
पहले छह महीने में ही साढे छह हजार करोड का लोन ले चुका है. इससे सितंबर तक कंपनी लगभग 52 हजार करोड के कर्ज में पहुंच चुकी थी. प्रबंधन को अपने सभी प्लांट को अपरेट करने के लिये हर महीने करीब एक हजार करोड की जरूरत होती है. इसलिये तीसरी तिमाही के पहले दो महीने में लिये गये लोन को जोड दिया जाय तो आंकडा 54 हजार करोड तक पहुंच चुका है. सेल बडे आर्थिक संकट में घिरे चुका है. इससे सभी ईकाईयां प्रभावित है. सेल प्रबंधन अपने अधिकारियो तथा कर्मचारियों को वेतन देने के लिये बैंको से पहले ही लोन ले रखा था.
अब स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि पुराने लिये गये लोन का ब्याज चुकाने के लिये भी बैंको से लोन लेना पड़ रहा है. अगर स्टील मार्केट की स्थिति में जल्द सुधार नहीं आया तो मामला और बिगड़ सकता है. सेल में लगभग 72 हजार अधिकारी व कर्मचारी हैं. इनके वेतन में ही हर महीने सौ करोड़ खर्च हो रहा है. मंदी लंबे समय तक चलने पर स्थिति और विकट हो सकती है.