पानागढ़ : कहावत है’ पूत के पांव पालने में ही दिखते हैं’. शायद इस कहावत को पूर्ण रूप से चरितार्थ करके दिखाया है महज 13 वर्ष की स्नेहा दास ने. पश्चिम बर्दवान जिले के पानागढ़ कांकसा सुभाषपल्ली की रहने वाली स्नेहा दास के पिता सुभाष दास की इकलौती बेटी स्नेहा दास को कुछ अलग करता हुआ देखना चाहते थे. यही कारण है कि वह महज पांच वर्ष की आयु में ही स्नेहा को गायकी क्षेत्र में ना डाल कर उसे ड्रम वादक के रूप में प्रतिष्ठित करना चाहते थे.
क्योंकि ड्रम वादक के रूप में महिला की उपस्थिति बहुत कम है. पिता- मां की इस सोच को स्नेहा दास ने पूरा किया. आज पश्चिम बर्दवान जिले की पहली महिला ड्रम वादक के रूप में स्नेहा दास अपना नाम रोशन कर रही है. प्रशासनिक स्तर पर हुए कई कार्यक्रम में स्नेहा दास ने अपने ड्रम वादन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है. नन्हे हाथों में ड्रम के स्टीक से धुन निकालकर वह लोगों के जेहन में अपनी अमिट छाप छोड़ रही है.
हाल ही में जिले के साथ ही राज्य के अन्य कई जिलों में प्रशासनिक स्तर पर हुए कार्यक्रम में स्नेहा ने अपनी ड्रम वादकी से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है. स्नेहा ने अपने ड्रम वादन से प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों को भी मंत्रमुग्ध किया है. स्नेहा ने बताया कि 5 वर्ष की उम्र में ही उसके पिता दुर्गापुर के एक प्रतिष्ठित ड्रम वादक तपन पाल से स्नेहा को तालीम दिलायी. काफी दिक्कतों के बावजूद स्नेहा ने हार नहीं मानी.
स्नेहा कहती है कि वह एक विख्यात ड्रम वादक के रूप में अपना नाम रोशन करना चाहती है. पानागढ़ रामकृष्ण आश्रम विद्यापीठ की आठवीं कक्षा की छात्रा है स्नेहा. स्नेहा कहती है कि भविष्य में ड्रम वादक के साथ-साथ वह डब्ल्यूबीसीएस ऑफिसर बनना चाहती है. ताकि समाज के पीड़ित लोगों की मदद कर सके तथा सही मायने में सरकारी योजनाएं का उन्हें लाभ मिल सके. स्नेहा ने अपने परिजनों की मदद से ‘यूनिकॉर्न ‘ नामक एक फोक बैंड भी बनाया है.