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बांटेंगे ‘द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिएंस विथ ट्रूथ ’ की 10000 प्रतियां

आसनसोल : मेयर सह तृणमूल के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श और विचार इस दौर में पूरे विश्व के लिए सर्वाधिक प्रासंगिक हैं. खासकर पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ उनके विचार युवा पीढ़ी के लिए बेहतर मार्गदर्शक हैं. उन्होंने रविवार को कहा कि पश्चिम बर्दवान जिलों के […]

आसनसोल : मेयर सह तृणमूल के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श और विचार इस दौर में पूरे विश्व के लिए सर्वाधिक प्रासंगिक हैं. खासकर पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ उनके विचार युवा पीढ़ी के लिए बेहतर मार्गदर्शक हैं.

उन्होंने रविवार को कहा कि पश्चिम बर्दवान जिलों के युवा पीढ़ी को उनके विचारों तथा आदर्शों से लैस करने के लिए महात्मा गांधी द्वारा लिखित ‘द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरीयेंस विथ ट्रूथ ’ का हिंदी और बांग्ला में अनुदित 10 हजार पुस्तकों का वितरण आगामी माह जिले में किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में पूंजीवाद गंभीर संकट झेल रहा है तथा अपने संकट से निकलने का उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. दूसरी तरफ वामपंथ पूरी तरह से दिशाभ्रमित हो गया है. इस स्थिति में गांधी के दर्शन और विचार पूरी तरह से विश्व में प्रासंगिक और अनुकरणीय है.
विश्व के महारथी माने जानेवाले देश भी उनको पूरी तरह आत्मसात कर रहे हैं. लेकिन भारत की युवा पीढ़ी उनके बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं है. उन्होंने कहा कि शर्मनाक बात यह है कि जिन सांप्रदायिक शक्तियों ने उनकी हत्या की, वहीं शक्तियां उनकी जयंती के 150वें वर्ष पर उनके आदर्शों के अनुकरण का धकोसला कर रही है.
इन शक्तियों का नेतृत्व करनेवाले एक तरफ उनकी तस्वीरों के सामने सर झुकाते हैं, दूसरी तरफ उनके हत्यारे नाथू राम गोंडसे को देशभक्त बताते हैं. वैचारिक स्तर पर झूठ का कोहरा फैलाया जा रहा है ताकि सच्चाई पर परदा पड़ जाये तथा तथ्यों को अपने तरीके से तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक शक्तियां युवा पीढ़ी को अपने मन मुताबिक चला सके.
मेयर श्री तिवारी ने कहा कि जिले की युवा पीढ़ी को उनके विचारों से अनुप्रेरित करने, उनके आदर्शों व नीतियों से युवा पीढ़ी को अवगत कराना सामाजिक और नैतिक जिम्मेवारी है. यही कारण है कि उन्होंने महात्मा गांधी रचित पुस्तक ‘द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरीयेंस विथ ट्रूथ ’ का हिंदी और बांग्ला में अनुदित 10 हजार पुस्तकों का वितरण युवा पीढ़ी में करने का निर्णय लिया है. अगले माह पुस्तकों का वितरण किया जायेगा. इससे युवा पीढ़ी को उनके विचार, नीतियों और दर्शन को समझने में मदद मिलेगी और वे बेहतर तरीके से अपने सामाजिक व राजनीतिक दायित्वों का निर्वाह कर सकेंगे.
सनद रहे कि यह पुस्तक आत्मकथा के रूप में स्वयं महात्मा गांधी ने लिखी है. इसमें उन्होंने अपने बचपन से लेकर वर्ष 1921 तक के जीवन के बारे में लिखा है. यह आत्मकथा उनकी सप्ताहिक पत्रिका ‘नवजीवन ’ में वर्ष 1925 से वर्ष 1929 तक प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी उनकी अन्य अंग्रेजी पत्रिका ‘यंग इंडिया’ में किश्तों में प्रकाशित हुई थी.
इसके लेखन के लिए उन्हें स्वामी आनंद तथा उनके करीबी सहयोगियों ने प्रोत्साहित किया था. उनका कहना था कि महात्मा गांधी को अपने जीवन की पृष्ठभूमि के बारे में तथ्य सार्वजनिक करने चाहिए. वर्ष 1999 में अमेरिका स्थित विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और धार्मिक संस्था ने इस पुस्तक को 20वीं शताब्दी की सौ सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक पुस्तकों में शामिल किया था. निर्णायक कमेटी के चेयरमैन फिलिप जलेस्की थे.
श्री तिवारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के साथ महात्मा गांधी के काफी भावनात्मक संबंध थे. विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी. गुजरात हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इसकी पुष्टि कर इसको लेकर चलनेवाले सभी अटकलों को समाप्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि आजादी के साथ मिले विभाजन का दंश पंजाब के साथ-साथ पश्चिम बंगाल ने सबसे ज्यादा झेला था.
जिस समय कोलकाता तथा आसपास के इलाकों में भयंकर दंगे हो रहे थे, सांप्रदायिक शक्तियों के रहनुमा हिंदू और मुसलमान के नाम पर राजनीतिक स्वार्थ की रोटी झेंक रहे थे, उस समय महात्मा गांधी एक लाठी लेकर कलकत्ता आये थे तथा दंगों की समाप्ति के लिए कई दिनों तक अनशन किया था. उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में महात्मा गांधी से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

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