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शिल्पांचल में पितृ पक्ष में नदी-तालाबों में अर्पण शुरू

दुर्गापुर : अनंत चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू हो गया हैं. मान्यता है कि इस दौरान पितृ पितृलोक से पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें पिण्डदान तथा तिलांजलि देकर उन्हें संतुष्ट किया जाता है. श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पितृपक्ष को […]

दुर्गापुर : अनंत चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू हो गया हैं. मान्यता है कि इस दौरान पितृ पितृलोक से पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें पिण्डदान तथा तिलांजलि देकर उन्हें संतुष्ट किया जाता है. श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पितृपक्ष को लेकर शिल्पांचल में दामोदर नदी पर बने घाटो के साथ ही विभिन्न इलाकों में स्थित तालाब के किनारे लोग तर्पण कर रहे हैं.

श्राद्ध पक्ष के कारण शहर के भिरिंगी काली मंदिर परिसर में बने घाट पर लोग आ रहे है. मंदिर के मुख्य पुरोहित अमित मुखर्जी ने बताया कि श्राद्धपक्ष के शुरू होने के बाद से तर्पण करने वाले लोग घाट पर आकर अपने पूर्वजो का तर्पण कर रहे है. मंदिर कमेटी के स्तर से तालाब घाट पर सभी सुबिधा उपलब्ध करा दी गई है.
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व
पंडित गोपाल शर्मा के अनुसार भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है. इस साल पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 28 सितंबर तक चलेगा. सर्वपितृ अमावस्या 28 सितंबर को है. हिंदुओं के लिए इन दिनों का खास महत्व है. ब्रह्म पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों (पूर्वजों) की पूजा करनी चाहिए. पितरों की पूजा से देवता प्रसन्न होते हैं.

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