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कुलिक पक्षी निवास में अब तक नहीं पहुंचे विदेशी मेहमान

प्राकृतिक जलाशयों को बंद करने से पक्षियों के भोजन में कमी मानसून के पहुंचते ही पक्षियों के आने की उम्मीद रायगंज : हर साल मई महीने के बीचों-बीच कुलिक पक्षी निवास में विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. लेकिन इस मौसम में जून महीने का दूसरा सप्ताह बीत जाने के बाद भी आये […]

प्राकृतिक जलाशयों को बंद करने से पक्षियों के भोजन में कमी

मानसून के पहुंचते ही पक्षियों के आने की उम्मीद
रायगंज : हर साल मई महीने के बीचों-बीच कुलिक पक्षी निवास में विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. लेकिन इस मौसम में जून महीने का दूसरा सप्ताह बीत जाने के बाद भी आये हुए पक्षियों की संख्या कम ही है. इसे लेकर वन विभाग व रायगंज के पर्यावरण प्रेमी लोग वेहद चिंतित है. वहीं शहर वासियों व पर्यटक निराश हैं.
उल्लेखनीय है कि रायगंज के कुलिक पक्षी निवास में हर साल ओपन बिल स्टॉर्क, नाइट हेरन, इग्रेट, कॉर्मोरेंट जैसी खूबसूरत विदेशी पक्षी इस मौसम में पहुंचते है. यहां के बड़े-बड़े पेड़ों में घोसला बनाते, अंडे देते व बच्चों को बड़ा करने के बाद सितंबर- अक्टूबर तक फिर विदेश लौट जाते है. ये पक्षी कुलिक व आसपास के प्राकृतिक जलाशयों में मछली, घोंघा, गुगली खाकर मजे से घर संसार बसाते है. इन विदेशी पक्षियों के लेकर रायगंज के वनांचल में बना कुलिक पक्षी निवास विशेष आकर्षण का केंद्र है.
लेकिन इस साल शहर में विदेशी अतिथियों का अबतक पता नहीं चल रहा है. वन विभाग का दावा है कि राज्य में अबतक मानसून नहीं पहुंचा है. इसी कारण से विदेशी पक्षियों के आने में कुछ देर हो रही थी. वन विभाग ने आशा जतायी है कि मॉनसून के आते ही पक्षियों का जमावड़ा शुरू हो जायेगा. इस इलाके में अवैध तौर पर प्राकृतिक जलाशयों को भरा जा रहा है. इससे मौसम में तेजी से बदलाव आने से पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जतायी है. वन विभाग के रायगंज डिवीजन के डीएफओ द्विपर्ण दत्ता ने कहा कि मानसून नहीं आने की वजह से विदेशी पक्षियों के आने में देरी हो रही है.
जल्द ही बारिश शुरू होते ही पक्षियां आना शुरू कर देगी. उन्होंने बताया कि वन विभाग की ओर से कुलिक में तमाम व्यवस्था तैयार है. बस मेहमानों का इंतजार है. पर्यावरणप्रेमियों का कहना है कि इलाके में जलाशयों को बंद करने के कारण पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. इससे पक्षियों के भोजन में कमी आने लगी है. कुल मिलाकर विदेशी पक्षियों के लिए अनुकूल माहौल नहीं रहा. यह चिंता का विषय है.

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