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दुर्गापुर नगर निगम इलाके में चुनाव के परिणाम को लेकर तृणमूल कांग्रेस चिंतित

दुर्गापुर : लोकसभा के चुनाव के नतीजे आने मे अब कुछ घंटे शेष बचे हैं. ऐसे में नतीजे को लेकर राजनीतिक पार्टियों में माथा पच्ची जारी है. माथा पच्ची के बीच शासक दल के अलावा भाजपा, माकपा भी अपने जीत के दावे कर रही है, लेकिन जीत किसकी होगी यह तो समय ही बताएगा. इसी […]

दुर्गापुर : लोकसभा के चुनाव के नतीजे आने मे अब कुछ घंटे शेष बचे हैं. ऐसे में नतीजे को लेकर राजनीतिक पार्टियों में माथा पच्ची जारी है. माथा पच्ची के बीच शासक दल के अलावा भाजपा, माकपा भी अपने जीत के दावे कर रही है, लेकिन जीत किसकी होगी यह तो समय ही बताएगा.

इसी बीच बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत शहर दुर्गापुर के नतीजों को लेकर तृणमूल के लोगो मे चिंता साफ देखी जा रही है. जीत को लेकर शासक दल के लोग पेशोपेश है. हालांकि तृकां के लोग अपनी जीत की बात कर रहे है लेकिन उनमें विश्वास की कमी देखी जा रही है.
पार्षदों ने दिया लीड का भरोसा, कांफिडेंस की कमी
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में दुर्गापुर से पार्टी उम्मीदवार को अच्छी बढ़त मिली थी. इस कारण पार्टी उम्मीदवार एक बड़े अंतर से जीत कर आई थी.
लोकसभा के इस चुनाव में भी जीत के उसी अंतर को दोहराने के लिए पार्टी नेतृत्व ने पार्टी नेताओ और कार्यकर्ताओ को पहले से ही अलर्ट कर दिया था.इस शहर में जीत का पूरा दारोमदार इलाके के पार्षदो के कंधो पर डाल दिया गया था. पार्टी की ओर से सभी पार्षदो को अपने अपने इलाके से लीड करने का कड़ा निर्देश भी था.
19 अप्रैल को हुए मतदान के बाद दुर्गापुर के अधिकांश पार्षदों ने नेतृत्व को सुरक्षित महसूस कराया. किसी ने डेढ़ हजार तो किसी ने दो हजार लीड देने का दावा पार्टी नेतृत्व से किया है. लेकिन चुनाव के दौरान कुछ पार्षदो में तानतानी और मतदान के बाद शहर के कई पार्षदों के खिलाफ लोगों का गुस्सा सार्वजनिक रूप से सामने आ रहा है. इससे जिले के कई नेताओं को संदेह है कि उन्हे मतदान किया है की नहीं.
पार्षदों की जन विरोधी छवि से नुकसान की आशंका
पार्टी सूत्रो के अनुसार पिछले नगर निगम चुनाव में विवादास्पद पार्षदों को टिकट नहीं दिया था. पार्टी में शुद्धिकरण के तहत नगर निगम के चुनाव में कई पारदर्शी चेहरे को शामिल किया था लेकिन जैसे ही वे कुर्सी पर बैठे उन्होने पुराने पार्षदों की छुट्टी कर दी.
क्षेत्र के निवासियों के गुस्से के कारण एक पार्षद अपने ही मोहल्ले में प्रवेश नहीं कर पा रहा है. उसके भाई को निवासियों ने पीट-पीटकर अस्पताल पहुंचा दिया. स्थानीय निवासियों ने बताया कि, पार्षद की दादागिरी चरम सीमा पर पहुंच गई है और यह स्वीकार नहीं किया जाएगा.
इस घटना से पार्टी की काफी किरकिरी हो रही है. लोगो का मानना है की दुर्गापुर के इतिहास मे शायद यह पहली घटना होगी जब एक पार्षद को लोगो ने इलाके से तड़ीपार किया हो. स्थानीय निवासी और पार्टी के एक वर्ग का दावा है कि न केवल उस पार्षद बाल्कि शहर में कम से कम सात से आठ पार्षदों की छवि जनविरोधी है.
इससे इलाके के लोगो में काफी रोष है. लोगो की शिकायत है कि चुनाव जीतने के बाद उन्होंने जनसंपर्क नहीं किया. कुर्सी में बैठने के बाद उनमें से कुछ लोग डीएसपी के आवास पर कब्जा करने और कोई और बालू घाट में व्यस्त दिखे. इस कारण ये लोग जनता से दूर होते चले गए. इनका जनाधार भी कम होने लगा, इसलिए सत्ता पक्ष दुर्गापुर के परिणाम से चिंतित हैं.
ननि इलाके में किये गये विकास कार्य पर रह गया है भरोसा
हालांकि, तृणमूल के एक वर्ग का दावा है कि कुछ पार्षदों के खिलाफ गुस्सा है, लेकिन दो विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने विकास कार्यों को देखने के बाद तृंका का समर्थन किया. ममता बनर्जी के दो कार्यक्रमों में शामिल होकर लोगों ने इसका अपना प्रमाण भी दिया. पार्टी के एक जिला नेता का कहना है की कुछ समझ नहीं आ रहा है की क्या होगा. हमनें जिस तरह से काम किया उसमें हमें अपनी बढ़त हासिल करनी चाहिए. प्रत्येक वार्ड में विकास किए गए है.
दुर्गापुर में जल निकासी प्रणाली की दीर्घकालिक समस्या को सुलझाने के लिए पहल की गई है. तमला केनेल को पुनर्निर्मित किया गया है. दुर्गापुर बैराज का जीर्णोद्धार किया गया है. शहर के हर वार्ड की सड़कें भी बदल गई हैं. दुर्गापुर के विधायक विश्वनाथ पारियाल ने कहा कि दुर्गापुर से हमारे परिणाम अच्छे होंगे, हम लीड में हैं. तृणमूल के एक नेता अमिताभ बनर्जी ने कहा की जिस तरह से स्थानीय नेताओं ने एक साथ काम किया, हमारा शहर से जीतना निश्चित है.

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