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Friday, March 29, 2024

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विवाहिता पुत्री को अनुकंपा पर नौकरी!

सांकतोड़िया : कोल इंडिया में विवाहिता पुत्री को अनुकंपा के आधार के लिए नियोजन आश्रित नहीं मानने वाले आदेश को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वापस ले लिया है. अब इस मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच में फिर से होगी. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता के अंतर्गत पुत्रियों में सिर्फ अविवाहित पुत्री […]

सांकतोड़िया : कोल इंडिया में विवाहिता पुत्री को अनुकंपा के आधार के लिए नियोजन आश्रित नहीं मानने वाले आदेश को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वापस ले लिया है. अब इस मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच में फिर से होगी.

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता के अंतर्गत पुत्रियों में सिर्फ अविवाहित पुत्री को ही अनुकंपा के आधार पर नियोजन का पात्र माना गया है.
इसके कारण याचिकाकर्ता आशा पांडेय की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के आवेदन को निरस्त कर दिया गया. इसका कारण यह है कि वह विवाहिता है. आशा ने अपने वकील अजय श्रीवास्तव के जरिए अनुकंपा नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत मानते हुए कोल इंडिया के आदेश को निरस्त कर दिया था. साथ ही विवाहिता पुत्री को अनुकंपा के आधार पर नियोजन के लिए आश्रित माना था.
कोल इंडिया ने एकलपीठ के आदेश को द्वितीय खंडपीठ में चुनौती दी. मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि अनुकंपा के आदार पर नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है.
इसके चलते प्रकरण को अनुच्छेद 14 व 16 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती. इस पर याचिकाकर्ता आशा ने द्वितीय पीठ के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण के लिए याचिका दायर की.
इसमें कहा गया है कि कोल इंडिया ने रोजगार राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता के तहत आश्रितों को नियोजन देने का प्रावधान किया है. यह समझौता विधि का प्रभाव रखने वाला है.
कर्मचारियों व मैनेजमेंट के लिए यह समझौता बाध्यकारी है. इसके चलते यहां आश्रित रोजगार कर्मचारी का अधिकार है एवं प्रावधान के अनुसार अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है. यह मामला अनुकंपा नियुक्ति से भिन्न है.
याचिका में विद्युत विभाग द्वारा दिए गए आदेश का भी हवाला दिया गया है. सुनवाई बीते 25 मार्च को हुई। इस दौरान द्वितीय खंडपीठ ने अपने पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. मामले की पुनः सुनवाई के लिए निर्देशित किया है.
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