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पूर्णिमा आज, रात्रि सवा आठ बजे जलेगी होलिका

शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने बताया पंचांग सम्मत गुरुवार को ही खेली जायेगी होली, घर-घर में हो रही है इसको मनाने की तैयारी आसनसोल : होली का त्योहार इस बार 21 मार्च को मनाया जायेगा. हालांकि शिल्पांचल के कई इलाकों में इस तिथि को लेकर दुविधा बनी हुई है. कुछ का […]

शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने बताया पंचांग सम्मत

गुरुवार को ही खेली जायेगी होली, घर-घर में हो रही है इसको मनाने की तैयारी

आसनसोल : होली का त्योहार इस बार 21 मार्च को मनाया जायेगा. हालांकि शिल्पांचल के कई इलाकों में इस तिथि को लेकर दुविधा बनी हुई है. कुछ का कहना है कि होलिका 21 मार्च को जलेगी. स्थानीय शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने कहा कि पंचागों के अनुसार पूर्णिमा बुधवार को है. इस कारण होलिका रात्रि सवा आठ बजे जलेगी. इसके कारण गुरुवार को होली होगी. होली की तैयारी हर घर में शुरू हो गई है. घरों के साथ-साथ बाजार भी सजने लगे हैं.

होली के दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं और पुराने गिले-शिकवों को दूर करते हैं. चुनावी माहौल होने के कारण इसका महत्व कुछ अधिक ही है. राजनीतिक पार्टियों ने इसी बहाने अपने विरोधियों को साधने के लिए उनसे संपर्क बनाने की रणनीति बना रखी है.

पंडित श्री तिवारी ने कहा कि शिल्पांचल में कुछ लोग होली के दिन को लेकर दुविधा में हैं तथा बड़ी संख्या में लोगों ने उनसे संपर्क कर इस संबंध में सही राय मांगी है.

उन्होंने कहा कि पूर्णिमा को ही होलिका दहन होगी. बुधवार को पूर्णिमा है. पंचागों के अनुसार इसी रात्रि होलिका जलेगी तथा शुभ मुहुर्त रात्रि सवा आठ बजे है. इसके बाद गुरुवार को होली खेली जायेगी. उन्होंने कहा कि सभी पंचागों में होली गुरुवार को ही है. उन्होंने कहा कि होलिका की पवित्र आग में लोग जौ की बाल और शरीर पर लगाए गए सरसों के उबटन को डालते हैं. ऐसी मान्यता है कि यह सब करने से घर में खुशी आती है.

होलिका दहन भद्रा में कभी नहीं होता. 20 मार्च को सुबह 10.45 बजे से रात 08:14 बजे तक भद्रा काल बना रहेगा. इसलिए इस बार होलिका दहन सवा आठ बजे किया जा सकेगा. होली के अगले दिन दुल्हंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जायेगा. दोनों दिन क्रमश: पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं. स्थिर योग में आने के कारण होली का शुभ पर्व माना गया है.फागुन शुक्ल पक्ष में आठ दिनों के होलाष्टक 14 मार्च को लग चुका है. इसका समापन फाग के दिन होगा. इन आठ दिनों में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है.

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