कॉस्ट इफेक्टिव तकनीक द्वारा कोयला उत्पादन पर दिया गया बल
तकनीकी में सूचना पर फोकस तथा शेयर करने की है बड़ी जरूरत
सांकतोड़िया : द इंडियन माइनिंग एंड इंजीनियरिंग जर्नल" ने इसीएल के सहयोग से शनिवार को झालबागान स्थित डिसरगढ़ क्लब में एकनॉलेज पार्टनर ‘एकेएस यूनिवर्सिटी’ तथा ईएसएसआर (सीबीएम), डालमिया सीमेंट, गायत्री प्रोजेक्ट, स्टार सीमेंट आदि के साथ ‘माइनिंग टेक्नोलॉजी फॉर सेफ्टी’ विषय पर वर्कशॉप आयोजित किया.
कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रेमसागर मिश्रा, तकनीकी निदेशक (संचालन) सुनील कुमार झा, तकनीकी निदेशक (योजना व परियोजना) जयप्रकाश गुप्ता, एकेएस यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर एके सोनी, सीसीएल के पूर्व तकनीकी निदेशक (संचालन) एके मिश्रा आदि उपस्थित थे. एसईसीएल के पूर्व सीएमडी बीआर रेड्डी ने कहा कि झांझरा भूमिगत खदान पूरे देश भर में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन देने वाली खदान है.
ब्लास्ट लेस तकनीक से लांग वॉल और कंटीन्यूअस माइनर तकनीक से सुरक्षित उत्पादन किया जाता है. उन्होंने कहा कि अभी भी तकनीक क्षेत्र और प्रोसेस में लंबी दूरी तय करनी है. उन्होंने आशा जताई कि सीएमडी श्री मिश्रा के नेतृत्व में निकट भविष्य में एक सौ मिलियन टन का उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने का कंपनी का सपना साकार होगा. कंपनी में उच्च गुणवत्ता का कोयला मौजूद है. भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन की बढ़ोतरी की संभावना जताई. हालांकि कॉस्ट इफेक्टिव तकनीक द्वारा कोयला उत्पादन पर बल दिया. उन्होंने कहा कि भूमि की समस्या है. इसके लिए नई आईडिया तलाशनी होगी. उन्होंने सुरक्षा और पुनर्वासन की समस्या पर भी चर्चा की.
सीएमडी श्री मिश्रा ने चौदह विलियन वर्ष पहले बिग बैंक के बाद पृथ्वी की उत्पति के साथ प्राचीन प्रस्तर युग, नवीन प्रस्तर युग, कृषि की शुरुआत, औद्योगिक क्रांति से अबतक तकनीकी में हुए परिवर्तनों का जिक्र किया.
उन्होंने कहा की तकनीकी में सूचना पर फोकस करने तथा सूचना शेयर करने की जरूरत है. सुरक्षा के परिपेक्ष्य में माइनिग तकनीक की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने तनावमुक्त समाज सृजन की बात कही. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए माइनिग तकनीक की दिशा में मिशन ‘सुदेश’की शुरुआत की गई है.