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दुर्गापुर : विश्व रेडियो दिवस आज, सुनने वालों की दीवानगी बरकरार

दुर्गापुर : 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है. इंटरनेट, मोबाइल और टेक्नोलॉजी के इस दौर में रेडियो सुनने वालों की दीवानगी आज भी बरकरार है. रेडियो की इतनी प्रासंगिगता है कि आज भी काफी लोग इससे जुड़े हैं. समय के साथ रेडियो के स्वरूप में बदलाव जरूर आया है […]

दुर्गापुर : 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है. इंटरनेट, मोबाइल और टेक्नोलॉजी के इस दौर में रेडियो सुनने वालों की दीवानगी आज भी बरकरार है. रेडियो की इतनी प्रासंगिगता है कि आज भी काफी लोग इससे जुड़े हैं. समय के साथ रेडियो के स्वरूप में बदलाव जरूर आया है पर इसकी लोकप्रियता आज भी बरकार है.

रेडियो की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए शहर के युवा व्यवसायी विजय अग्रवाल, संजय अग्रवाल ने कहा कि रेडियो आज भी संचार का सबसे सस्ता और सुलभ माध्यम है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह सबसे लोकप्रिय माध्यम हैृ. रेडियो दुनिया का सबसे सुलभ मीडिया है. दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर रेडियो सुना जा सकता है. पढ़े-लिखे हो या अनपढ़, सभी रेडियो से जुड़े होते हैं.

शिक्षक सुरेश सिंह, व्यवसायी बृजमोहन शर्मा पुराने यादों को याद करते हुए कहा की उस वक्त रेडियो मनोरंजन का एकमात्र साधन होता था. बच्चे हो या बूढ़े, सभी अपने काम से निवृत होकर सभी रेडियो लेकर बैठ जाते थे. मनोरंजन के साथ साथ देश-दुनिया की बातें रेडियो से मिलती थी. समय बीतने के साथ रेडियो आज भी लोगों का मनोरंजन कर रही है. हालांकि समय के साथ इसकी चमक थोड़ी फीकी हुई है. प्रधानमंत्री के रेडियो पर मन की बात कहने पर लोगो में रेडियो को लेकर एक बार फिर दीवानगी बढ़ी है.

क्यों मनाया जाता है रेडियो दिवस
विश्व रेडियो दिवस मनाने की शुरूआत हाल ही में की गयी. यूनेस्को ने 2011 में विश्वस्तर पर रेडियो दिवस मनाने का निर्णय लिया. 13 फरवरी का दिन ‘विश्व रेडियो दिवस’ के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 13 फ़रवरी 1946 से ही रेडियो यूएनओ यानी संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने रेडियो प्रसारण की शुरुआत की थी.

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