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बंगाल में अभी लागू नहीं होगा सवर्ण आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी राज्य सरकार
कोलकाता : जहां एक ओर देश के बाकी राज्य सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण लागू करने में रुचि दिखा रहे हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार फिलहाल यहां इसे लागू करना नहीं चाहती है. पश्चिम बंगाल सरकार इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. उच्च आर्थिक सीमा का हवाला देते हुए […]
कोलकाता : जहां एक ओर देश के बाकी राज्य सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण लागू करने में रुचि दिखा रहे हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार फिलहाल यहां इसे लागू करना नहीं चाहती है. पश्चिम बंगाल सरकार इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. उच्च आर्थिक सीमा का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में 10 फीसदी आरक्षण को फिलहाल टाल दिया है.
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. उल्लेखनीय है कि भाजपा के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने सवर्णों को शिक्षा और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है, तभी से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके कानूनी और संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाती आयी हैं.
‘क्या इससे गरीब सवर्णों को नौकरी मिलेगी’: उन्होंने आठ लाख रुपये सालाना आय की आर्थिक सीमा पर भी सवाल उठाये और कहा कि गरीब तबके के हर शख्स को पहले उससे प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिसकी आय हर महीने 60 हजार रुपये से ज्यादा है. तो भी ऐसे में किसान या वास्तव में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के बेटे को नौकरी कैसे मिलेगी.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई. पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि हालांकि इस दौरान जनरल कोटा कानून पर कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कहा कि हमनें अभी कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है और हम इस पर अभी कोई कमेंट नहीं कर सकते, अभी इस पर कोई फाइनल कॉल नहीं ली गयी है.
विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग: श्री चटर्जी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री लगातार इसकी वैधता पर सवाल उठाती आयी हैं. तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने भी संसद में बिल पर अधिक स्पष्टीकरण और इसके कानूनी पुनरीक्षण के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की थी.
तृणमूल कांग्रेस संसद में उठा चुकी है अपनी मांग
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि अगर हम आर्थिक सीमा पर ध्यान दें जो कि आठ लाख रुपये प्रति साल है तो इसके अंतर्गत टैक्स अदा करनेवाले लोग भी शामिल होंगे और कुछ अमीर परिवार भी इसी दायरे में आयेंगे, क्या यह तर्कहीन नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि हम संसद में कह चुके हैं कि बिल पर स्टैंडिंग कमेटी द्वारा गहन अध्ययन की जरूरत है.
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