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कारखाना में उत्पादन शुरू, ली राहत की सांस

दुर्गापुर : दुर्गापूजा के मद्देनजर अधिक बोनस की मांग पर अंगदपुर स्थित श्रीनिवास फेरो एलॉयज लिमिटेड मे उत्पादन ठप्प कर धरना प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों ने रविवार की रात श्रमिक नेताओ के निर्देश पर आंदोलन वापस लिया. हालांकि श्रमिकों द्वारा कार्य का बहिष्कार कर दिए जाने से कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा. उत्पादन फिर […]

दुर्गापुर : दुर्गापूजा के मद्देनजर अधिक बोनस की मांग पर अंगदपुर स्थित श्रीनिवास फेरो एलॉयज लिमिटेड मे उत्पादन ठप्प कर धरना प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों ने रविवार की रात श्रमिक नेताओ के निर्देश पर आंदोलन वापस लिया. हालांकि श्रमिकों द्वारा कार्य का बहिष्कार कर दिए जाने से कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
उत्पादन फिर से प्रारम्भ होने से कारख़ाना प्रबंधन सहित श्रमिकों में भी राहत देखी जा रही है. सोमवार को कारखाने में कार्य सामान्य रूप से चालू रहा. मालूम हो कि शनिवार कंपनी द्वारा कार्यरत 300 श्रमिकों को 8.33 प्रतिशत बोनस दिया गया था. कंपनी द्वारा दिए गए बोनस को लेकर कारखाने के अधिकांश श्रमिक संतुष्ट दिखे, लेकिन कुछ श्रमिकों ने बोनस का विरोध कर जबर्दस्ती उत्पादन ठप्प कर दिया.
विरोध करने वाले श्रमिक विधायक विश्वनाथ पड़ियाल के समर्थक बताएं जा रहे हैं. बताया जाता है कि तृणमूल के जिला अध्यक्ष शिवदासन दासू के निर्देश पर आंदोलन कर रहे श्रमिकों को पीछे हटना पड़ा. सोमवार को घटना को लेकर तृणमूल नेताओं ने कारख़ाना प्रबंधन से मुलाक़ात कर हालत का जायजा लिया.
कारख़ाना प्रबंधन की ओर से उत्पादन ठप कराने के आरोपी श्रमिक सुकुमार माझी और अभिजीत बोस के खिलाफ थाना में शिकायत दर्ज कराई है. इन्हें कंपनी से निकाल देने की बात भी कही गयी है. लेकिन कारखाने के उत्पादन ठप्प कर आंदोलन की इस घटना ने शिल्पांचल में तृणमूल की गुटबाजी को उजागर कर रख दिया है. विधायक विश्वनाथ पड़ियाल की भूमिका पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं.
पार्टी सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार तृणमूल से कांग्रेस में जाकर वापस पार्टी में शामिल होने वाले विश्वनाथ की नजर हमेशा से श्रमिक संगठन पर रही है. श्रमिक संगठन के बल पर वे अंगदपुर सहित अन्य औद्योगिक इलाके में अपना बर्चस्व कायम करना चाहते हैं. आरोप है कि शासक दल के श्रमिक संगठन की कमान मिलने के बाद उनकी मनमानी काफी बढ़ गई है.
बताया जाता है कि कल आंदोलन कर रहे श्रमिकों ने समस्या के समाधान के लिये कारख़ाना प्रबंधन को विधायक के घर जाने को कहा था. लेकिन आंदोलन की खबर पार्टी के शीर्ष नेताओं तक चले जाने के कारण इन्हें अपना आंदोलन समाप्त करना पड़ा. इतना ही नहीं पार्टी अध्यक्ष नेकरखाना बंद के लिए जिम्मेदार लोगों पर पुलिसिया कार्रवाई करने का निर्देश कारख़ाना प्रबंधन को देना पड़ा.
प्लांट के रेसीडेंस डायरेक्टर सीवीए वर्मा ने बताया कि कंपनी की स्थिति ठीक ना रहने के बाद भी इस बार श्रमिकों को पिछले बार की तरह बोनस दिया गया है. बोनस को लेकर सभी ट्रेड यूनियनों की ओर से बैठक के जरिए समझौता भी किया जा चुका था. लेकिन एक पक्ष 15 प्रतिशत बोनस की मांग कर रहा था. उन्होने बताया की पिछले 25 सालों से कारख़ाना का संचालन कर रहे हैं लेकिन कभी भी इस प्रकार की समस्या नहीं हुई थी.
इधर, इस मामले को लेकर शासक दल के भीतर भी विधायक की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जिलाध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू ने कहा कि कारखाना को किसी भी हालत में बंद नहीं किया जायेगा. जो भी त्रुटियां होंगी, बैठकर समझौते के जरिये उसका समाधान किया जायेगा. सुबह से ही कारखाना में उत्पादन सामान्य है.

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