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प्रधानमंत्री के सभास्थल को लेकर छाये संशय के बादल

तृणमूल बाधा डालने का कर रही प्रयास: भाजपा जलपाईगुड़ी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा आगामी 8 फरवरी को जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी ब्लॉक के चुड़ाभंडार में होने वाली है. लेकिन अभी से इस जनसभा पर राजनीति शुरू हो गयी है. एक तरफ चुड़ाभंडार के किसानों ने अपने खेतों में लगी फसलों की बर्बादी की […]

तृणमूल बाधा डालने का कर रही प्रयास: भाजपा

जलपाईगुड़ी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा आगामी 8 फरवरी को जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी ब्लॉक के चुड़ाभंडार में होने वाली है. लेकिन अभी से इस जनसभा पर राजनीति शुरू हो गयी है. एक तरफ चुड़ाभंडार के किसानों ने अपने खेतों में लगी फसलों की बर्बादी की आशंका के साथ मयनागुड़ी थाने में शिकायत दर्ज करायी है, जिसका नेतृत्व तृणमूल के स्थानीय नेताओं ने दिया है.
वहीं, भाजपा के जिला नेतृत्व ने इसे तृणमूल की साजिश बताया है जिसके तहत प्रधानमंत्री की जनसभा को बाधित करने की यह सत्तापक्ष की चाल है. सूत्र ने बताया कि भाजपा के कार्यकर्ता सभास्थल पर पहरा दे रहे हैं. वहीं, मयनागुड़ी थाना के आईसी तमाल दास ने बताया कि शिकायत मिली है. पूरे मामले की पड़ताल की जा रही है. रविवार को इसकी रिपोर्ट शीर्ष अधिकारियों को भेजी जायेगी.
मयनागुड़ी एक नंबर ब्लॉक कमेटी के तृणमूल अध्यक्ष मनोज राय ने बताया कि यहां कोई दलीय मामला नहीं है. प्रभावित किसानों ने खुद ही शिकायत दर्ज करायी है. किसानों का कहना है कि सभा करने से यहां काफी बड़ी मात्रा में फसलों की बर्बादी होगी. इसलिये किसानों ने खुद ही तय किया है कि फसलों की कीमत पर सभा की इजाजत नहीं दी जायेगी.इसीलिए उन्हें रैली के जरिये मयनागुड़ी थाना ले जाया गया.
इस बारे में भाजपा के उत्तर बंगाल संयोजक दीपेन प्रामाणिक ने कहा कि तृणमूल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा को बाधित करना चाहती है. यह कोई नयी बात नहीं है. उन्होंने बताया कि इलाके के 30 किसानों से 85 एकड़ जमीन ली गयी है. ये सभी भाजपा समर्थक हैं.
उन्होंने खुद ही अपनी जमीन सभा के लिए दी है. इसके लिए क्षतिपूर्ति भी दी गयी है. लेकिन तृणमूल के नेता उनके कार्यकर्ताओं को डरा-धमका रहे हैं. हम लोग भी उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं. स्थानीय प्रशासन और राज्य के गृह विभाग को इसकी जानकारी दी गयी है. तृणमूल के नेता इन किसानों को बरगला रहे हैं. भाजपा के मयनागुड़ी विधानसभा क्षेत्रीय संयोजक श्यामल राय ने बताया कि किसानों ने खुद ही जमीन सभा के लिए दी है. तृणमूल नेतृत्व बिना वजह विवाद पैदा कर रहा है. वहीं, प्रभावित किसानों का कहना है कि फसलों की क्षतिपूर्ति के लिए उनका आंदोलन
जारी रहेगा.
मामूली मुआवजा देकर लाखों की फसल बर्बाद करने का आरोप
किसानों द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार एक किसान ने आरोप लगाया है कि उन्हें सूचित किये बिना ही जमीन की मेड़ काटी गयी है. एक शिकायतकर्ता साचान मंडल ने बताया कि उन्हें फसल की क्षतिपूर्ति के बाबत 16 हजार रुपए जबरन थमा दिये गये हैं. हालांकि फसल पकने पर उन्हें उससे न्यूनतम एक लाख रुपए की कमायी होगी. उन्होंने बताया कि उनकी पांच बीघा जमीन में मक्के की फसल लगी है. भाजपा के कार्यकर्ताओं ने उनके घर में जाकर 16 हजार रुपए दिये हैं लेकिन वह ये रुपए लौटा देना चाहते हैं.
झर्ना बारुई ने बताया कि उनकी डेढ़ बीघा जमीन में सरसों की फसल है. रमेश चंद्र बारुई ने बताया कि उन्हें सभा के बाबत किसी ने नहीं बताया था. शनिवार को जाकर देखा कि उनकी जमीन की मेड़ काट ली गयी है. इसलिये शिकायत दर्ज करायी है. उल्लेखनीय है कि इस घटना को लेकर आज सुबह ही सभास्थल के संलग्न करकरिया हाट में शिकायतकर्ता किसान जमा हुए थे. इसकी जानकारी मिलने पर स्थानीय तृणमूल के नेताभी पहुंचे.

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