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अधर में लटका हिंदीभाषी छात्रों का भविष्य

श्री मारवाड़ी विद्यालय बराकर में 1021 छात्रों पर सिर्फ आठ शिक्षक शिक्षा के अधिकार के तहत 40 छात्र पर होनी है एक शिक्षक की नियुक्ति कक्षा 11-12 में हिंदी और बांग्ला माध्यम के छात्र एक साथ ही बैठकर करते हैं पढ़ाई, दोनों के ही समक्ष भाषाई समस्या चरम पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने आठ सप्ताह […]

श्री मारवाड़ी विद्यालय बराकर में 1021 छात्रों पर सिर्फ आठ शिक्षक

शिक्षा के अधिकार के तहत 40 छात्र पर होनी है एक शिक्षक की नियुक्ति
कक्षा 11-12 में हिंदी और बांग्ला माध्यम के छात्र एक साथ ही बैठकर करते हैं पढ़ाई, दोनों के ही समक्ष भाषाई समस्या चरम पर
कोलकाता उच्च न्यायालय ने आठ सप्ताह में जिला स्कूल निरीक्षक से मांगी रिपोर्ट
शिक्षकों की कमी से छात्रों की समस्या को लेकर शिक्षक सुधांशु ने दाखिल किया है उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन
बराकर : वर्ष 1941 में स्थापित जिले के सबसे प्राचीन विद्यालय में शामिल श्री मारवाड़ी विद्यालय बराकर में हिंदीभाषी छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार होने के मुद्दे पर कोलकाता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायधीश राजश्री भारद्वाज ने संज्ञान लेते हुए जिला स्कूल निरीक्षक को आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट अदालत में जमा करने का आदेश दिया.
विद्यालय में कक्षा पांच से 12 तक की पढ़ाई होती है. हिंदी माध्यम के कुल एक हजार छात्र यहां पढ़ते है. कक्षा ग्यारह-बारह में यहां कला, वाणिज्य और विज्ञान तीनों संकाय की पढ़ाई होती है. इन छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र आठ शिक्षक हैं. ऐसे में इस विद्यालय में हिंदीभाषी छात्रों का भविष्य भगवान भरोसे ही हैं.
शिक्षकों की कमी से उत्पन्न छात्रों की समस्या को लेकर विद्यालय प्रबंधन समिति के शिक्षक प्रतिनिधि सुदर्शन कुमार सुधांशु ने तीन सितम्बर 2019 को राज्य सरकार के खिलाफ कोलकाता उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन दायर की थी. जिसपर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश श्री भारद्वाज ने 17 जनवरी को जिला स्कूल निरीक्षक को आठ सप्ताह के अंदर इसपर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया.
क्या है स्कूल की स्थिति?
श्री मारवाड़ी विद्यालय में बांग्ला और हिंदी दोनों माध्यम में कक्षा पांच से बारह तक की पढ़ाई होती है. बांग्ला माध्यम में कक्षा पांच से 10 तक 64 छात्र, कक्षा 11-12 विज्ञान संकाय में शून्य, कला संकाय में पांच और वाणिज्य संकाय में 14 कुल 83 छात्र हैं. हिंदी माध्यम में कक्षा पांच से 10 तक 695 छात्र, कक्षा 11-12 विज्ञान संकाय में 25 छात्र, कला संकाय में 141 और वाणिज्य संकाय में 160 कुल 1021 छात्र पढ़ते है. यहां बालक-बालिका एक साथ पढ़ते हैं.
दोनों माध्यमों के लिए विद्यालय में कुल 34 शिक्षकों का पोस्ट है. जिसमें आधा पोस्ट खाली है. हिंदी माध्यम के लिए नौ और बांग्ला माध्यम के लिए आठ शिक्षक हैं. शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के अनुसार 40 छात्र पर एक शिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान है. इस कानून के तहत अकेले हिंदी माध्यम के लिए कुल 25 शिक्षकों की जरूरत है. जबकि सिर्फ नौ शिक्षक हैं. ऐसे में हिंदीभाषी छात्रों का भविष्य भगवान भरोसे ही है.
जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक हुई शिकायत
हिंदीभाषी छात्र के अविभावक और शिक्षकों ने विद्यालय के छात्रों के भविष्य की दुहाई देते हुए संयुक्त रूप से इलाके के जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी लगातार शिकायत की. जिला स्कूल निरीक्षक को भी इस मुद्दे पर ज्ञापन दिया गया. इसके बावजूद यहां शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई.
कोलकाता उच्च न्यायालय में दायर किया रिट पिटिशन
विद्यालय प्रबंधन समिति के शिक्षक प्रतिनिधि श्री सुधांशु ने बताया कि शिक्षकों की कमी झेल रहा इस विद्यालय के प्रधान शिक्षक का निधन 30 मई 2017 को होने के बाद विद्यालय की स्थिति और भी खराब हो गयी.
शिक्षक और अविभावकों द्वारा इस मुद्दे पर लगातार विभिन जगह पर ज्ञापन देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर तीन सितम्बर 2019 को कोलकाता उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया गया. जिसके उपरांत प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में एक शिक्षक की नियुक्ति की. जिससे हिंदी माध्यम के शिक्षकों की संख्या यहां आठ से बढ़कर नौ हुई.
कक्षा 11-12 में दोनों माध्यम के छात्र एक साथ पढ़ते हैं
इस विद्यालय में कक्षा ग्यारह-बारह में हिंदी और बांग्ला माध्यम के छात्र एक साथ ही पढ़ाई करते हैं और दोनों माध्यम के शिक्षक छात्रों को पढ़ाते है. जिससे दोनों माध्यम के ही छात्रों के समक्ष कठिन समस्या उत्पन्न होती है. हिंदीभाषी शिक्षक हिंदी में बोलते हैं तो बांग्लाभाषी के लिए समस्या और बांग्लाभाषी शिक्षक बांग्ला में बोलकर पढ़ाते हैं तो हिंदीभाषी छात्रों के लिए समस्या होती है.
वर्षों से ऐसे ही यहां पढ़ाई हो रही है. श्री सुधांशु ने इस मुद्दे को भी अपनी याचिका में डाला है. आसनसोल के बाद इस इलाके में एकमात्र यही विद्यालय हैं जहां तीनों संकाय की पढ़ाई होती है. इसलिए छात्रों को मजबूरन यहीं दाखिला लेना पड़ता है.

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