कम नहीं हुआ परिजनों का दर्द, घटना को याद कर सिहर जाते हैं लोग
करपी : रंगों के त्योहार होली के पूर्व अपनों को श्रद्धांजलि दे रहे सेनारी गांव के लोग 18 मार्च, 1999 की घटना को याद कर सिहर जा रहें हैं. भले ही इस घटना का दो दशक बीत गये हो, लेकिन परिजनों का दर्द आज भी ताजा है. लोगों की आंसू से भरी आंखें इस बात […]
करपी : रंगों के त्योहार होली के पूर्व अपनों को श्रद्धांजलि दे रहे सेनारी गांव के लोग 18 मार्च, 1999 की घटना को याद कर सिहर जा रहें हैं. भले ही इस घटना का दो दशक बीत गये हो, लेकिन परिजनों का दर्द आज भी ताजा है. लोगों की आंसू से भरी आंखें इस बात का परिचय दे रही थीं.
समय बीतने के बाद भी दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बताते चलें कि 18 मार्च, 1999 को भाकपा माओवादियों ने बर्बर तरीके से 35 लोगों की हत्या कर दी थी. सभी लोग होली के आगमन को लेकर तैयारी में जुटे हैं, वहीं इस गांव के लोग अपने परिजनों की श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आज फिर वह मंजर ताजा हो गया. शहादत स्थल पर लोगों की भीड़ इस बात का गवाह था. नरसंहार में अपनों को खोने वाले आज भी उन्हें भूल नहीं पाये हैं.
होली की खुमारी इस गांव के लोगों ने वहीं, ताजा हो रही है. हालांकि समय के साथ परिवर्तन हुआ है, उस तरह की हो रही है और न ही उस तरह का माहौल रहा है, फिर भी होली के पूर्व इस हृदय विदारक घटना को याद करना उन परिवारों के लिए काफी दुखद बात है. ग्रामीण बताते हैं कि किस तरह से उस रात माओवादियों ने गांव के चारों ओर ग्रामीणों को बंधक बनाकर गला रेतकर निर्मम तरीके से हत्या की थी.
इस घटना में किसी तरह अपने आपको बचाने वाले विजय शर्मा ने बताया कि आज भी वह दिन याद कर रो जाते हैं. गांव में गाड़ी आ रही थी लोग उससे उतर रहे थे, लेकिन उनके ऊपर होली की खुमारी नहीं, बल्कि अपनों को श्रद्धांजलि देने का गम था. लोग शहादत स्थल पर जाते समय एक हृदय विदारक लग रहा था.
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