सरकार से पुस्तकों की खरीद के लिए मिलता था अनुदान
1934 में हुई थी पंडित नेहरू पुस्तकालय की स्थापना
सरकार से पुस्तकों की खरीद के लिए मिलता था अनुदान करपी (अरवल) : प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मात्र पंडित नेहरू पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पाठक इसका ताला खुलने एवं इसके जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे हैं. पुस्तकालय में अब भी कई पठनीय पुस्तकें संग्रहित हैं. मगर रखरखाव के अभाव में […]
करपी (अरवल) : प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मात्र पंडित नेहरू पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पाठक इसका ताला खुलने एवं इसके जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे हैं. पुस्तकालय में अब भी कई पठनीय पुस्तकें संग्रहित हैं. मगर रखरखाव के अभाव में उनमें से कई को दीमक ने अपना भोजन बना लिया है. करपी बस स्टैंड के कोने में अवस्थित यह पुस्तकालय जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. वर्षा होने पर पानी टपकता है जिससे पुस्तकें नष्ट हो रही है. अब भी इस पुस्तकालय में लगभग एक हजार पुस्तकें विभिन्न भाषाओं की हैं. इसकी स्थापना 1934 में हुई थी जिसका उद्घाटन शाह उमेर साहब ने किया था. ग्रामीणों के सहयोग से इस पुस्तकालय का भवन का निर्माण करवाया गया था. पुस्तकालय की अपनी जमीन भी है.
पुस्तकालय को कई वर्षों तक सरकार से पुस्तकों की खरीद के लिए अनुदान भी मिलता था. 1984 में जनसंपर्क विभाग ने एक बड़ा रेडियो तथा माइक सेट भी दिया था. बताया जाता है कि पहले इस पुस्तकालय में काफी लोग आते थे तथा पठन-पाठन का कार्य करते थे. शाम के समय रेडियो सुनने के लिए काफी लोग जमा होते थे, लेकिन धीरे -धीरे सब ठप पड़ता गया. यह भी बताते चलें कि 01 जुलाई, 1985 एवं 24 अगस्त, 1986 को तत्कालीन विधायक नागमणि ने प्रशासन के लोगों के साथ इसका निरीक्षण कर जीर्णोद्धार का आश्वासन दिया था लेकिन यह आश्वासन कार्यरूप में परिणत नहीं हो सका. कुछ लोग पुस्तकालय की बदहाली का कारण कभी बैठक नहीं होना बताते हैं. पुस्तकालय संचालन समिति के सचिव युगेश्वर सिंह ने बताया कि बैठक कराने के लिए कई बार प्रयास किया गये लेकिन किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखायी.