अनुराग प्रधान
पटना : अगर आपको पेंटिंग, ग्राफिक्स, स्कल्पचर, प्रिंट मेकिंग में डिग्री हासिल करनी है तो बिहार-झारखंड का एक मात्र कॉलेज कला एवं शिल्प महाविद्यालय है. यह कॉलेज कला के क्षेत्र में काफी नाम कमाया है. यहां से पढ़ाई कर निकले कई कलाकार नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर नाम कमा रहे हैं.
आर्ट्स कॉलेज की स्थापना राधा मोहन द्वारा गोविंद मित्रा रोड, पटना में सरस्वती पूजा के दिन 25 जनवरी 1939 में किया गया था. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद कॉलेज की प्रबंधन समिति के पहले सदस्य थे. 1949 में, भारत सरकार ने बिहार सरकार के रूप में कॉलेज का नियंत्रण ले लिया. पहले यहां कला और शिल्प में पांच वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाता था. 12 अप्रैल 1977 को, कॉलेज पटना यूनिवर्सिटी को सौंप दिया गया और डिप्लोमा कोर्स को डिग्री कोर्स में तब्दील कर दिया गया.
कॉलेजों में है इनकी कलाकृति
कॉलेज में रवींद्र नाथ टैगोर, राधा मोहन, नंदलाल बासु, विशेश्वर भट्टाचार्य, यामनी रॉय, सी नाथ, विनोद बिहारी मुखर्जी के अलावा मुगल शौली, पटना कलम, ठनका पेंटिंग पर किये गये अनेक काम यहां रखे हुये हैं.
काफी कुछ सीखने को है कॉलेज में
कॉलेज के प्राचार्य डॉ अजय कुमार पांडेय बताते हैं कि कला एवं शिल्प महाविद्यालय का इतिहास पुराना है. यहां पर हर कला की विधा स्टूडेंट्स को बतायी जाती है. इसमें स्टूडेंट्स को काला के हर माध्यम को अच्छे तरीके से बताया जाता है. समय-समय पर यहां बड़े-बड़े कलाकार आकर स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण देते हैं. इसके साथ आर्ट वर्क के लिए कॉलेज में कई सुविधाएं स्टूडेंट्स को मिलते हैं. यहां के स्टूडेंट्स को बेहतर प्लेटफॉर्म दिया जाता है.
हॉस्टल की है व्यवस्था
कॉलेज में हॉस्टल की भी व्यवस्था है. इसके लिए 28 सीटें है. पटना से बाहर के स्टूडेंट्स को हॉस्टल उपलब्ध करायी जाती है. इसके लिए उन्हें काफी कम फीस का भुगतान करना पड़ता है.
खूबसूरत ऑर्ट गैलरी है मौजूद
कॉलेज में दो खूबसूरत आर्ट गैलरी मौजूद है. यहां स्टूडेंट्स अपने खुद के वर्क को डिसप्ले भी कर सकते हैं. सरकार द्वारा कॉलेज में एक और नया आर्ट गैलरी बनाया गया है. इसके साथ ही यहां कलाकारों को ठहरने के लिए गेस्ट रूम भी तैयारी किया जायेगा.