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पुत्र की दीर्घायु को जिउतिया व्रत का अनुष्ठान आज से

अररिया : सनातन धर्म में श्रद्धा ही नहीं अटूट विश्वास के साथ हर महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए तीन दिवसीय व्रत का अनुष्ठान शुक्रवार से शुरू होगा. शनिवार को जिउतिया का उपवास होगा. बताया जाता है यह व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक दिन दिनों का होता […]

अररिया : सनातन धर्म में श्रद्धा ही नहीं अटूट विश्वास के साथ हर महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए तीन दिवसीय व्रत का अनुष्ठान शुक्रवार से शुरू होगा. शनिवार को जिउतिया का उपवास होगा. बताया जाता है यह व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक दिन दिनों का होता है. पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है. इसलिए महिलाएं सुबह पितरों की संतुष्टि के लिए उनको भोजन देकर व्रत रखती हैं.

जानकारों की मानें तो पितरों के आशीर्वाद से ही पूरे वर्ष पुत्र पर किसी तरह का संकट नहीं आता है. जीवित पुत्रिका में पुरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है. तीसरे दिन व्रत का पालन किया जाता है. पारण में भात, नोनी का साग, मरूआ की रोटी, खाजा आदि खाया जाता है. इसकों लेकर जिला मुख्याल में जिउतिया पर्व को लेकर जगह-जगह पर खाजा की दुकानें भी सज गयी है. खाजा खरीदारी के लिए काफी भीड़ भी है.
पुत्र की लंबी आयु के लिए माताएं करती हैं व्रत
पंडितों के अनुसार पुत्र की लंबी आयु व सुख की प्राप्ति के लिए आश्विन माह की कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में महिलाएं जीमुत वाहन की पूजा करती हैं. भोजन के लिए जीत वाहन किससे निर्मित प्रतिमा को धूप दीप, चावल, पुष्प, दही, चूरा अर्पित किये जाते हैं.
इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील और सिवारिन की प्रतिमा बनायी जाती है. पूजन समाप्त होने के बाद जीवित पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पुराणों में वर्णित मान्यता है कि जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती हैं.
उन्हें पुत्र रत्न का सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है. सनातनी परंपरा में पितृ ऋण प्रमुख माना गया है. पितरों को समर्पित आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहा जाता है. पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्ध कर्म शुरू हो गये हैं. पूर्वजों को तर्पण करने का सिलसिला शुरू हो गया है. श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं.
पुत्र की दीर्घायु के लिए माताएं आज करेंगी तीन दिवसीय निर्जला जिउतिया पर्व
फारबिसगंज : पुत्र की लंबी उम्र के लिए माताएं आज से जिउतिया पर्व की शुरुआत करेंगी. प्रख्यात ज्योतिषी रेवती कांत झा ने बताया कि इस बार बहुत ही शुभ लग्न में जिउतिया पर्व हो रहा है. वर्षों बाद शनिवार व रविवार को जिउतिया पर्व हो रहा है. इस मुहूर्त में नयी माताएं जिउतिया पर्व की शुरुआत कर सकती हैं. जिउतिया पर्व वर्षों पूर्व महाभारत काल से होते आ रहा है.
मान्यता है कि हर मां अपने बच्चों के लिए उपवास रख कर जिउतिया पर्व धूमधाम से करती हैं. निर्जला उपवास कर माताएं पुत्रों के सुखमय भविष्य की कामना करती हैं. माताएं फलों से भरी डाली से पूजा-अर्चना करती हैं. इस मौके पर दूध-दही समेत मिठाइयों में खाजा का बड़ा महत्व है.
अनुमान है कि जिउतिया के त्योहार पर करीब एक करोड़ रुपये की साड़ियों का कारोबार होगा. जिउतिया पर 1000 रुपये से लेकर 1500 रुपये के बीच वाली साड़ियों की बिक्री सबसे अधिक हो रही है. विक्रेताओं का अनुमान है कि जिउतिया पर एक से डेढ़ करोड़ रुपये के साड़ी का कारोबार फारबिसगंज व आसपास के बाजारों में होगा.
खाजा व फल से पटा है बाजार
जिउतिया पर्व को लेकर बाजार में फल व खाजा के दुकान जगह-जगह पर लगा है. पर्व को लेकर लोगों में खरीदारी के लिए काफी भीड़ है. इसमें खास बात यह है अन्य जिलों से भी लोग आकर जिला मुख्यालय में खाजा बेच रहे हैं.
जानकारों की मानें तो इन दिनों फल व खाजा मिलाकर लाखों रुपये की खरीदारी होती है. अररिया बाजार में खाजा बेच रहे दुकानदार विष्णु साह, नितेश कुमार व चंदन साह ने बताया कि जिउतिया पर्व को लेकर कई दिन से बाहर से कारीगर मंगवा कर खाजा बनाया जा रहा है. जिउतिया पर्व को लेकर अच्छी-खासी ब्रिकी होती है

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