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डिक्की तोड़वा गिरोह का नाम सामने फिर भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं

बेदी झा, अररिया : अररिया पुलिस की कार्यशैली अजब गजब है. बावजूद यह कहना गलत होगा कि पुलिस कोई काम नहीं करती. पुलिस अपराधियों पर दबिश नहीं डालती. शराब करोबारियों पर नजर नही रखती. जुआ खेलने वालों पर शिकंजा नहीं कसती. सब कुछ करती है पुलिस. लोगों की आलोचना सहती है पुलिस. फिकरा सुनने को […]

बेदी झा, अररिया : अररिया पुलिस की कार्यशैली अजब गजब है. बावजूद यह कहना गलत होगा कि पुलिस कोई काम नहीं करती. पुलिस अपराधियों पर दबिश नहीं डालती. शराब करोबारियों पर नजर नही रखती. जुआ खेलने वालों पर शिकंजा नहीं कसती. सब कुछ करती है पुलिस.

लोगों की आलोचना सहती है पुलिस. फिकरा सुनने को लाचार है पुलिस. आवेदन की जांच में कोताही बरतने से कलंकित होती पुलिस. रात-दिन मेहनत करती पुलिस. फिर लोग क्यों उठाते इनके विरुद्ध उंगलियां. इसे भी समझने की जुर्रत करें पुलिस.
हाल के दिनों में फारबिसगंज में मोबाइल ऐप के द्वारा खेले जाने वाले जुआ का पर्दाफाश किया गया. गिरफ्तारी भी हुई. निश्चित तौर पर यह एक बेहतर कार्य जिला पुलिस ने किया. भले ही लोगों को पचा नही हों, लेकिन कनीय अभियंता हत्याकांड का खुलासा हो गया. शराब की होम डिलेवरी भले ही बदस्तूर चल रहे हो. लेकिन शराब की जब्ती, गिरफ्तारी भी होती रही है.
पुलिस की गश्ती से बेफिक्र चोर अपने इरादे में कामयाब होते रहते हैं. चोर, बाइक चोरी करता है. डिक्की तोड़ रुपये उड़ाता है. पुलिस अपराधियों की पहचान कर गिरफ्तार करने का दावा भी करती है. यदा कदा सफलता प्राप्त भी होती है. लेकिन कुछ बातें है जो लोगों के जेहन को कुलबुला कर रख देता है.
कानून के दायरे में रहने वाले खुद कानून की व्यवस्था से इतर चले जाते हैं. सोमवार की देर शाम में गिरफ्तारी होती है. उसे बुधवार की शाम जेल भेजा जाता है. समय की पाबंदी कहां चली जाती है. एक अपराधी के स्वीकारोक्ति बयान को आधार बना कर 10 कांडों का उद्भेदन का दावा किया जाता है. कांड डिस्पोजल का दबाव जो ना करा दें.
ये बाते चर्चा में आ जाती है. इस तरह तो जो असली अपराधी होता है. वह कहीं न कहीं राहत की सांस ले रहा होता है. सबूत के अभाव में इस तरह के अपराधी बहुत जल्द सलाखों से निकल जाते हैं. बातचीत में लोग इसे मजाक बना देते हैं कि पुलिस को कांड डिस्पोजल की चिंता रहती है. सबूत जुटाने की फुरसत नहीं मिलती है.
अधिकांश मामले अब भी अधर में हैं लटके, नहीं हो पाया है खुलासा
लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं से लोग सकते में है. कुछ मामले आज भी अधर में लटका हुआ है. मोहन झा शकुंतला देवी दोहरे हत्याकांड का खुलासा नहीं हो पाया कि आखिर हत्या किसने और क्यों किया. साज खाद बीज भंडार के गोदाम में लाखों की लूट का उद्भेदन नहीं की जा सकी.
डिक्की तोड़ने की घटनाओं में सामान्य तौर पर कहा जाता है कि कटिहार जिला के कोढ़ा गिरोह का हाथ है. फिर भी क्यों नही गिरफ्तारी व लूटी गयी राशि की बरामदगी पुलिस कर पाती है. झपट्टा मार कर रुपये लेने के मामले में तीन दिनों तक हाजत में रखने के बाद एक को पीआर पर छोड़ दिया जाता है.
जबकि मो मिट्ठू कांड का नामजद अभियुक्त है. पूछने पर कहा जाता है कि वादी ने आवेदन दिया है कि मो मिट्ठू का नाम गलती से दे दिया गया है. कहा जाता है कि मो मिट्ठू आदतन अपराधी है. कई बार जेल भी गया है. लगातार डिक्की तोड़वा गिरोह, झपटमार गिरोह घटनाओं को अंजाम दे रहा है. बाइक चोरी की घटना रुकने का नाम नही ले रहा है.

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