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मिशन 2019 : लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर रोचक मुकाबले के आसार, सरफराज का रास्ता रोकेगी भाजपा या कोई और

टिकट के लिए चल रही दावेदारी पटना : इस बार के लोकसभा चुनाव में अररिया में रोचक मुकाबले के आसार हैं. एक ओर राजद के टिकट पर मौजूदा सांसद सरफराज आलम मैदान में होंगे. दूसरी ओर उनके मुकाबले भाजपा के प्रदीप सिंह को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. अब तक एनडीए के भीतर यह तय […]

टिकट के लिए चल रही दावेदारी
पटना : इस बार के लोकसभा चुनाव में अररिया में रोचक मुकाबले के आसार हैं. एक ओर राजद के टिकट पर मौजूदा सांसद सरफराज आलम मैदान में होंगे. दूसरी ओर उनके मुकाबले भाजपा के प्रदीप सिंह को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. अब तक एनडीए के भीतर यह तय नहीं हो पाया है कि अररिया की सीट भाजपा को जायेगी या जदयू को. भाजपा जहां अपना दावा मजबूत मानती है.
वहीं, जदयू अपना दावा भी कमजोर नहीं मानता है. पिछले कई चुनावों से यह सीट सरफराज के परिवार में ही रही है. सरफराज के पिता तस्लीमुद्दीन जदयू में भी रहे हैं. सांसद के उम्मीदवार बनने से पहले तक सरफराज जदयू के विधायक थे. राजद से मौजूदा सांसद सरफराज आलम की उम्मीदवारी पर कोई सवाल नहीं दिख रहा. जबकि, भाजपा उम्मीदवार के नाम का फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा. हालांकि, भाजपा सूत्र बताते हैं कि प्रदीप सिंह ही इस बार भी पार्टी उम्मीदवार होंगे.
यदि भाजपा चुनाव लड़ती है तो पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह, सिकटी विधायक विजय कुमार मंडल, सिकटी के पूर्व विधायक आनंदी यादव, नरपतगंज के पूर्व विधायक जनार्दन यादव, रानीगंज के पूर्व विधायक परमानंद ऋषिदेव सरीखे नेता टिकट की आस लगाये बैठे हैं. यदि जदयू में जाता है तो सिकटी विधानसभा क्षेत्र से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉ शत्रुघ्न मंडल, फारबिसगंज के पूर्व विधायक पद्म पराग वेणु टिकट के दौड़ में दिखते हैं.
1989 से ही माय समीकरण का रहा है दबदबा
अररिया लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से ही माय समीकरण का दबदबा रहा है. इस लोकसभा में लगभग 54 प्रतिशत हिंदू आबादी है, तो 46 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. हिंदू मतदाताओं में लगभग पांच से छह प्रतिशत यादव मतदाता हैं. 2014 के चुनाव में माय समीकरण सफल हुआ और तस्लीमुद्दीन आसानी से चुनाव जीत गये थे. तस्लीमुद्दीन को अगड़ी जाति का भी अच्छा खास समर्थन मिला था. फिर भी यहां महागठबंधन व एनडीए में कड़े मुकाबले के आसार हैं.
– पिछले दो चुनावों से राजद का इस सीट पर रहा है कब्जा : पिछले दो चुनावों से राजद का इस सीट पर कब्जा रहा है. मो तस्लीमुददीन के निधन के बाद खाली सीट पर हुए उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज आलम सांसद निर्वाचित हुए.
भाजपा ने एक बार फिर प्रदीप कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया. इस बार जदयू ने भी भाजपा का साथ दिया. लेकिन, भाजपा को जीत नहीं मिल सकी. 2014 के चुनाव में जदयू ने विजय कुमार मंडल को अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्हें 2,21769 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर रहे थे. दूसरे स्थान पर भाजपा के प्रदीप सिंह रहे थे. इस बार के चुनाव में एक बार फिर मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच ही होने की उम्मीद है.
2009 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हो गयी
इस सीट पर प्राय: हर चुनाव में समाजवादी-कांग्रेस, जनता दल-कांग्रेस व अब भाजपा-राजद के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है. अररिया लोकसभा के गठन के बाद से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित था.
पर, 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हो गयी. नये परिसीमन के बाद हुए चुनाव में पहली बार भाजपा को सफलता मिली. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज आलम ने एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह को लगभग 50 हजार वोटों से हराया.

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