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भारत में एचआईवी पीड़ितों में टीबी से मरने की दर 84 फीसदी तक घटी : यूएनएड्स

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने वर्ष 2017 तक एचआईवी से पीड़ित लोगों की टीबी से होने वाली मौतों को 84 प्रतिशत तक कम करने में कामयाबी हासिल की. एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कार्यक्रम (यूएनएड्स) ने बताया कि यह कमी 2020 की तय समयसीमा से तीन साल पहले हासिल की गयी और टीबी से […]

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने वर्ष 2017 तक एचआईवी से पीड़ित लोगों की टीबी से होने वाली मौतों को 84 प्रतिशत तक कम करने में कामयाबी हासिल की. एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कार्यक्रम (यूएनएड्स) ने बताया कि यह कमी 2020 की तय समयसीमा से तीन साल पहले हासिल की गयी और टीबी से होने वाली मौतों के मामले में 20 से अधिक देशों में भारत में सर्वाधिक गिरावट देखने को मिली है.

यूएनएड्स ने रविवार को विश्व टीबी दिवस के मद्देनजर वर्ष 2020 तक एचआईवी के साथ जी रहे लोगों में टीबी से होने वाली मौतों को 75 फीसदी तक कम करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देशों से तेजी से कदम उठाने का अनुरोध किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में एचआईवी के साथ जी रहे लोगों में टीबी से होने वाली मौतों में 2010 के बाद से 42 फीसदी कमी आयी है. 2010 से लेकर 2017 में टीबी से होने वाली मौतें 520,000 से घटकर 300,000 रह गयी है.

यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक माइकल सिडिबी ने कहा, ‘टीबी बीते दौर की बीमारी होनी चाहिए. दशकों से इसका इलाज संभव है और इससे बचा जा सकता है. दुनिया के गरीब लोगों के मौलिक स्वास्थ्य देखभाल, भोजन और आवास के अधिकार को वर्षों तक नजरअंदाज करने से टीबी को फैलने का मौका मिला.’ उन्होंने कहा, ‘खासतौर से एचआईवी से पीड़ित लोगों में इस बीमारी का खतरा होता है. अब भी कई देशों के पास इस लक्ष्य को पूरा करने का मौका है, लेकिन हमें अभी कदम उठाना होगा. यह टीबी और एड्स को खत्म करने का वक्त है.’

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