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जाधव को फांसी की सजा सुनानेवाली पाकिस्तान की सैन्य अदालत पर संयुक्त राष्ट्र ने उठाये गंभीर सवाल

नयी दिल्लीः इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के बाद संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने भी पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. ‘यूएन कमेटी अगेंस्ट टॉर्चर’ की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान की सैन्य अदालत पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं. कहा गया है कि यह सेना की अदालत है, इसलिए उसे आम लोगों पर मुकदमा चलाने […]

नयी दिल्लीः इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के बाद संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने भी पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. ‘यूएन कमेटी अगेंस्ट टॉर्चर’ की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान की सैन्य अदालत पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं. कहा गया है कि यह सेना की अदालत है, इसलिए उसे आम लोगों पर मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना को अधिकार प्राप्त है कि वह बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में ले सकती है. संयोग से, पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने ही भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप में बिना किसी सबूत के मौत की सजा सुनायी है.

पाकिस्तान पर कितना असर होगा!

पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को जाधव से मिलने की भी इजाजत नहीं दी गयी. पाकिस्तान कह रहा है कि उसने जाधव को जासूसी और पाकिस्तान में विस्फोट करने में मदद करने के मामले में सजा सुनायी है. वहीं, भारत का कहना है कि जाधव को पाकिस्तानी एजेंसियों ने ईरान से अगवा किया था.

भारत ने अपने नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा देने के फैसले को इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में चुनौती दी है. इंटरनेशनल कोर्ट ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है, लेकिन इस मामले में आगे की सुनवाई जारी है.

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इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की इस अहम समिति की रिपोर्ट ने पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. रिपोर्ट में पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के कामकाज पर भी चिंता व्यक्त की गयी है. समिति ने कहा है कि जाधव जैसे मामलों की सुनवाई सिविल कोर्ट में होनी चाहिए. सैन्य अदालत सेना का हिस्सा हैं, वे आजाद नहीं हैं. लिहाजा, सिविलियन से जुड़े मामले सिविल कोर्ट में चलाये जाने चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र की समिति ने पाकिस्तान से मांग की है कि वह आतंकवाद से जुड़े मामलों में सिविलियंस के खिलाफ मिलिटरी कोर्ट में चल रहे मुकदमों को सिविल कोर्ट में स्थानांतरित करे. समिति ने कहा है कि पाकिस्तान के आतंकरोधी कानून, खासकर एंटी-टेररिजम एक्ट 1997 में यातनाओं से रक्षा के कानूनी उपायों को ‘खत्म’ कर दिया गया है.

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समिति ने कहा है कि मजिस्ट्रेट की गैरमौजूदगी में लिये गये इकबालिया बयानों को साक्ष्य न माना जाये, यह पाकिस्तान सुनिश्चित करे. खास बात यह है कि पाकिस्तान ने दावा किया है कि जाधव ने अपना जुर्म कबूल किया है. लेकिन, इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान इस वीडियो को कोर्ट में पेश करने की पाकिस्तान को इजाजत नहीं दी.

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