29 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

लाल रंग की चमक फीकी कई रंगों में रंगा गाजीपुर

!!गाजीपुर से अंजनी कुमार सिंह!! डॉ राही मासूम रजा के उपन्यास ‘आधा गांव’ और फणीश्वर नाथ रेणु के ‘मैला आंचल’ से उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वी इलाकों के राजनीतिक और सामाजिक स्वभाव को बहुत हद तक समझा जा सकता है. दोनों उपन्यास के कथानक और पात्र अलग-अलग हैं, लेकिन जो सवाल इन दोनों उपन्यास […]

!!गाजीपुर से अंजनी कुमार सिंह!!

डॉ राही मासूम रजा के उपन्यास ‘आधा गांव’ और फणीश्वर नाथ रेणु के ‘मैला आंचल’ से उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वी इलाकों के राजनीतिक और सामाजिक स्वभाव को बहुत हद तक समझा जा सकता है. दोनों उपन्यास के कथानक और पात्र अलग-अलग हैं, लेकिन जो सवाल इन दोनों उपन्यास में उठाये गये हैं, वे आज भी मौजूं है. सांप्रदायिकता के विरुद्ध और पिछड़ेपन के ताने-बाने में बुने इन उपन्यासों के कथ्य आज भी यहां दिखते हैं. भले ही उसका रूप थोड़ा बदल गया हो. लेनिनग्राद के नाम से मशहूर यह जिला कभी वामपंथ का अभेद किला था. लेकिन, वक्त के साथ लाल सलाम की रंगत फीकी पड़ती गयी और जिले में कई तरह के रंग उभर कर सामने आ गये. आज पूरे गाजीपुर में रंगों (चुनावी झंडे) की रंगोली दिख रही है. हर दल अपने रंग को दूसरे रंग से चटकदार और स्थायी (धुलने वाला नहीं ) बता रहे हैं.

मऊ से गाजीपुर के तकरीबन 50 किलोमीटर के रास्ते वैसे तो हाइवे है, लेकिन यह रास्ता काफी खराब है. बीच-बीच में लंबा-लंबा पैच. गाड़ी स्पीड से आगे बढ़ती है, लेकिन उस स्पीड पर तुरंत ही ब्रेक लग जाता है. गाजीपुर के विकास की तरह. कभी गाजीपुर आर्थिक और वैचारिक रूप से समृद्ध था. मुगल काल से लेकर ब्रिटिश शासन तक यह इलाका महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन आज गाजीपुर खस्ताहाल में है. जिले की आबादी तकरीबन 30 लाख है, जिसमें मुसलमानों की आबादी 20 फीसदी के आसपास है. 72 फीसदी साक्षरता दर वाले इस जिले में महिलाओं की साक्षरता दर 60 फीसदी है. सात विधानसभा वाले गाजीपुर में मुकाबला त्रिकोणीय है. कई सीटों पर सीधे भाजपा और बसपा के बीच मुकाबला दिख रहा है, तो कई सीटों पर सपा और बसपा के बीच. जखनियां, सैदपुर, सदर में भाजपा पूरा जोर लगाये हुये है. मुहम्मदाबाद में बसपा के शिगबतुल्लाह अंसारी और भाजपा के अलका राय के बीच कांटे की टक्कर है. इस जिले की यह सबसे हॉट सीट है, जिस पर वोटों के सारे समीकरण ध्वस्त हो रहे हैं. जमनियां में राज्य सरकार के मंत्री ओमप्रकाश सिंह, बसपा के अतुल राय और भाजपा की सुनीता सिंह के बीच मुकाबला है. जंगेपुरा में सर्वाधिक मतदाता यादव हैं.

जहूराबाद में भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर खुद मैदान में हैं, जिनका मुकाबला बसपा के काली चरण राजभर और सपा के महेंद्र चौहान से है. गाजीपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले लो प्रोफाइल केंद्रीय संचार(स्वतंत्र प्रभार) व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को चुनाव में अहम जिम्मेवारी दी गयी है, जिसका वह बखूबी निर्वाह कर रहे हैं. पूछने पर लोग बताते हैं, रेलवे, कॉलेज भवन, गंगा नदी पर पुल आदि का जो काम शुरू हुआ है, वह मनोज सिन्हा की बदौलत. इसीलिए यहां की जनता भाजपा को निराश नहीं करेगी. वैसे गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ में यादव और मुसलिम समीकरण समाजवादी पार्टी का अभेद्य दुर्ग माना जाता है, लेकिन इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुसलिम वोट को मजबूत करने के लिए मुख्तार अंसारी को पार्टी में शामिल किया है, जिसका दबदबा आजमगढ, मऊ, गाजीपुर के हिस्सों में है. लेकिन, सपा-कांग्रेस गंठजोड़ ने मुसलमानों के उहापोह को बहुत हद तक कम कर दिया है. इसलिए इन सीटों पर चुनाव परिणाम देखना दिलचस्प होगा. गाजीपुर की एक समृद्ध विरासत है, लेकिन बंदूक और तस्करी के गढ़ ने उस विरासत काे धूमिल कर रखा है. यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं. गंगा में आने वाली पानी के कारण जमनियां और मुहम्मदाबाद में नेताओं के प्रति लोगों का गुस्सा है. लेकिन, उनके सामने विकल्प नहीं है. कहते हैं, सभी नेतबा एके हउये. (सभी नेता एक ही समान हैं)

रउजा चौक पर कॉलेज के कुछ छात्र मिलते हैं, जिन्हें सरजु पांडे, झारखंडे राय सरीखे नेता के बारे में दिलचस्पी नहीं है. स्वामी सहजानंद सरस्वती उनकी ही धरती पर जन्म लिये हैं, यह सुन कर चुप रहते हैं. लेकिन, चुनाव की बात होते ही वह सभी प्रश्नों का जवाब फटाफट देते हैं. इससे साफ पता चलता है कि वर्तमान चुनाव को लेकर गाजीपुर की जनता कितनी जागरूक है. अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, सड़क, स्वास्थ्य आदि की समस्या से निजात पाने के लिए भाजपा की सरकार बनाने की बात कहते हैं. लगभग सभी छात्र पहली बार वोट देंगे. लेकिन, किसे वोट देंगे, इसे लेकर उनके मन में किसी तरह की दुविधा नहीं दिखती. बिना संकोच के पार्टी का नाम बताते हैं. बिहार में जिस तरह से पॉलिटिक्स, कास्ट और राष्ट्र पर लोग खुल कर बात करते हैं, ठीक उसी तरह की स्थिति यहां भी है. यह वीर अब्दुल हमीद की धरती है. एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर इसी जिले में है, जहां प्रत्येक घर से एक व्यक्ति फौज में है. करगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद होने वाले सबसे ज्यादा जवान भी इसी जिले के बताये जाते हैं. स्वतंत्रता आंदोलन के समय शेरपुर गांव वालों पर अंगरेजों ने गोलियां बरसायीं, लेकिन गांव वालों ने झुकने का नाम नहीं लिया, क्योंकि विरोध और चेतना यहां की मिट्टी में है.

गाजीपुर विकास के पायदान पर बहुत नीचे है. जमनियां और मुहम्मदााबाद में गंगा से हर साल आने वाली बाढ़ से होने वाली तबाही का हल अब तक ढ़ूंढ़ा नहीं जा सका है. यहां के लोगों की पीड़ा को 1962 में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने संसद में उठाया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी भावुक हो गये थे. उसके बाद इलाके के विकास के लिए कमेटी बनी, सर्वे हुआ, विकास का रोडमैप बना. लेकिन, धरातल पर अब तक कुछ नहीं हो पाया है. गाजीपुर की जनता को तब से लेकर आज तक एक अदद विकास की तलाश बनी हुई है. इस तलाश में क्षेत्र की जनता अब तक छली जाती रही है, देखना है कि कौन सी पार्टी या सरकार इससे निजात दिलाती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें