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निजामाबाद: तालीमी इदारे हैं आतंक की नर्सरी नहीं

!!निजामाबाद (आजमगढ़) से अंजनी कुमार सिंह!! निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र का बीनापारा गांव. आयशा सिद्दिकी निषवा इंटर कॉलेज में लड़कियों की छुट्टी का समय. कॉलेज के पास ही एक चौक, जहां पर बहुत से लोग इकट्ठा हैं. चुनाव का बहुत कोई शोर-गुल नहीं. वयोवृद्ध मोहम्मद रहमान से मुलाकात होती है. राजनीति को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीँ. […]

!!निजामाबाद (आजमगढ़) से अंजनी कुमार सिंह!!

निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र का बीनापारा गांव. आयशा सिद्दिकी निषवा इंटर कॉलेज में लड़कियों की छुट्टी का समय. कॉलेज के पास ही एक चौक, जहां पर बहुत से लोग इकट्ठा हैं. चुनाव का बहुत कोई शोर-गुल नहीं. वयोवृद्ध मोहम्मद रहमान से मुलाकात होती है. राजनीति को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीँ. कहते हैं सभी दल एक समान है. राजनीति के लिए नेता कुछ भी कर सकते हैं.

सपा सरकार को लेकर उनके मन में आक्रोश है, यह आक्रोश केंद्र और राज्य सरकारें दोनों से हैं. क्योंकि किसी एक व्यक्ति के कारण पूरा इलाका बदनाम हो गया. बदनाम करने में केंद्र और राज्य सरकार दोनों का हाथ रहा. अपने इलाके को आतंक की नर्सरी कहे जाने से वयोवृद्ध रहमान साहब दुखी हैं. कहते हैं देश के किसी भी हिस्से में कुछ हो जाये, तो पुलिस सीधे उनके गांव में आ धमकती है. पता नहीं मुसलमानों को ही लोग शक की दृष्टि से क्यों देखते हैं? एक मुसलमान की गलती को लेकर पूरे कौम को बदनाम क्यों किया जाता है. उनकी बेचैनी का मुख्य कारण इसी गांव के एक लड़के को इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी होने के आरोप में गिरफ्तार कर ले जाने से था. उसके बाद यह गांव देश में चरचा में आ गया. जबकि बीनापारा वह गांव हैं, जिसमें दर्जनों स्कूल हैं. मदरसे हैं. आइटीआइ है. टीचर ट्रेनिंग स्कूल हैं. मेडिकल कॉलेज है. इंगलिश मीडियम स्कूल और कॉलेज हैं. यानी मदरसे की शिक्षा से लेकर आधुनिक शिक्षा तक की सारी सुविधाएं. यानी दर्जनों तालीमी इदारे हैं गांव में, लेकिन इस गांव को अब कथित आतंकी की गिरफ्तारी होने वाले गांव के रूप में भी देखा जाने लगा है.

आइएम का मास्टर माइंड

बीनापार तब चरचा में आया था, जब इस गांव के शिक्षक मोहम्मद अबुल बशर को पुलिस ने अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोप में गिरफ्तार किया था. गांव के लोगों के मुताबिक उन्हें फंसाया गया. दिन में घर से गिरफ्तार कर पुलिस ले गयी और उसकी गिरफ्तारी लखनऊ से दिखायी. बशर को इंडियन मुजाहिद्दीन का मास्टर माइंड बताया गया, जो लोगों को भड़काने से लेकर उन्हें इसका सदस्य बनाने को प्रेरित करता था. बशर की गिरफ्तारी के समय इस क्षेत्र में काफी विराेध हुआ था. आजमगढ़-लखनऊ रोड को घंटो जाम किया गया था. जिसमें हजारों लोग शामिल हुये थे. अबु आजमी भी सरायमीर के हैं, जो बीनापारा से सटा कस्बा है. लगभग 2500 की आबादी वाला बीनापारा संपन्न गांव है. जिसे देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि इस गांव में इंडियन मुजाहिद्दीन का कथित सदस्य रहा हो.

बटला हाउस इनकाउंटर

निश्चित रूप से बशर के प्रति इस क्षेत्र में सहानुभूति है, लेकिन ऐसा हर कोई मानने को तैयार नहीं है. सरायमीर के ही एक अन्य व्यक्ति कहते हैं कि यदि ऐसा रहता तो दूसरे मुसलमानों को पुलिस पकड़ कर क्यों नहीं ले जाती है. बशर को यदि बेगुनाह मान लें, तो बटला हाउस इनकाउंटर के आरोपी को क्या माना जाये? उसकी गिरफ्तारी पर भी शोर मचाया गया. यह वही इलाका है जहां से बटाला हाउस इनकाउंटर के आरोपी पकड़े गये थे. आजमगढ़ जिले से कुल 16 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बीनापारा से सटे संजरपुर से तीन आरोपी को गिरफ्तार किया गया, तो रानी सराय से कासिमी को गिरफ्तार किया गया. जबकि जौनपुर से खालिद मुजाहिद को. इससे पूरे क्षेत्र की बदनामी हुई.

जबाव मांगेगी जनता

इन सारे सवालों का जवाब जनता केंद्र और राज्य सरकारें से चाहती है. खासकर मुसलिम समुदाय राज्य सरकार से भी उतना ही नाराज है जितना केंद्र सरकार से. लेकिन उनके पास सपा के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा है. जिन जगहों पर बसपा मजबूत है, उन जगहों पर मुसलमानों का रुझान बसपा के प्रति दिख रहा है, लेकिन उन्हें यह भी भय सता रहा है कि मुसलमानों का वोट बंटने के साथ ही इससे भाजपा को फायदा न पहुंच जाये. तभी तो मंजीर आलम कहते हैं कि मुसलमानों का वोट बंट रहा है. कोई बसपा तो कोई सपा कर रहा है, संभव है इसका फायदा भाजपा को मिले.

अबु सलेम का पुश्तैनी घर

यह वही इलाका है, जहां पर माफिया डॉन अबू सलेम का घर भी है. सरायरानी के पठान टोला में अबू सलेम का दो मंजिला पुश्तैनी घर है जहां पर उनके परिवार के लोग रहते हैं. तंग गलियों से होकर उसके घर तक पहुंचने के बाद लोग सशंकित दृष्टि से देखते हैं. सलेम के घर से एक महिला दरवाजे के अंदर से ही झांक कर बोलती है कि घर में कोई मर्द नहीं है, इसलिए वह कुछ बात नहीं कर सकती. आस पड़ोस के लोग ज्यादा कुछ बताने से इंकार करते हैं, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि आजमगढ़ अबू सलेम के वजह से भी जाना जाता है. सलेम ने क्या अच्छा किया और क्या गलत किया इससे पठान टोला के निवासियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है, उनकी नजरों में सलीम एक नेकदिल इंसान रहा है, जो शायद किसी गलतफहमी या गलती की वजह से सजा काट रहा है.

मुसलमानों के प्रति अविश्वास क्यों

गांव के लोग कहते हैं कि किसी भी कौम से ज्यादा हम अपने वतन के लिए मरने वालों में से हैं. फिर भी मुसलमानों पर ही इतना अविश्वास क्यों? गांव में ही माइनरिटी एजुकेशनल सोसाएटी के तहत चलने वाला मेडिकल कॉलेज हैं. कॉलेज के अधिकारी गुलाम सरवर कहते हैं कि दूसरे राज्यों के बच्चे भी इसमें पढ़ते हैं. यदि इसके आसपास का इलाका वैसा होता तो कोई भी अपने बच्चे को यहां भेजने से पहले सोचता. अबुल बशर पास के ही सरायमीर में मदरसातुल-इस्लाह के छात्र रहे हैं. बशर को पढ़ाने वाले शिक्षक डॉ जुबैर अहमद सिद्दिकी कहते हैं कि बशर आज भी सामने में पड़ जाये, तो एक बार डांट देने पर वह रोने लगेगा. लेकिन पता नहीं देश की जांच एजेंसियों को यह समझने में कैसे भूल हो गयी. सिद्दीकी कहते हैं कि उसपर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का भी आरोप लगा है, तो फिर ओवैसी, कटियार, आदित्यनाथ आदि को क्यों नहीं गिरफ्तार किया जाता है.

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